तालिबान द्वारा सरकार स्थापना की घोषणा – मंत्रिमंडल में कुख्यात आतंकवादियों का समावेश

काबुल – आखिरकार तालिबान ने अफगानिस्तान की अपनी सरकार की घोषणा की। मुल्ला हसन अखुंद इस सरकार के प्रधानमंत्री और मुल्ला बरादर उपप्रधानमंत्री होंगे। अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवादी के रूप में ख्यातनाम होनेवाला सिराजुद्दीन हक्कानी इस सरकार का अंतर्गत सुरक्षा मंत्री होगा। वहीं, तालिबान का संस्थापक होनेवाले मुल्ला ओमर का बेटा मुल्ला याकूब के पास अफगानिस्तान के रक्षामंत्रीपद की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। तालिबान की इस सरकार को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलना अब बहुत ही मुश्किल बन चुका है, यह इस सरकार में शामिल हुए आतंकवादी चेहरों के कारण बिल्कुल स्पष्ट हुआ है।

सरकार स्थापनाअफगानी सरकार की यह व्यवस्था अंतरिम अर्थात अस्थाई रूप की है, ऐसे तालिबान के प्रवक्ता झबिउल्ला मुजाहिद ने कहा। प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार स्वीकारनेवाला मुल्ला हसन अखुंद कंदहार से होकर, तालिबान के संस्थापकों में अखुंद का नाम लिया जाता है। तालिबान का वर्तमान प्रमुख होनेवाले मुल्ला हैबतुल्लाह अखुंदजादा का निकटवर्तीय, ऐसी मुल्ला हसन की पहचान है। वहीं, जो अफगानिस्तान के अगले प्रधानमंत्री होंगे ऐसा माना जाता था, उन मुल्ला बरादर को उपप्रधानमंत्रीपद पर संतुष्ट होना पड़ा है। तालिबान का खतरनाक आतंकवादी गुट हक्कानी नेटवर्क का नेता सिराजुद्दीन हक्कानी के पास अफगानिस्तान की अंतर्गत सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है, यह बात पूरी दुनिया का गौर फरमाने वाली साबित होती है।

सरकार स्थापनासिराजुद्दीन हक्कानी के सिर पर अमरीका ने लगभग ५० लाख डॉलर्स का इनाम घोषित किया था। अफगानिस्तान में हुए कई घातपातों के पीछे सिराजुद्दीन हक्कानी की साज़िश थी। सन २००८ में काबुल के होटल में हुए विस्फोट का सूत्रधार सिराजुद्दीन ही था। अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष हमीद करझाई पर हुए जानलेवा हमले की साज़िश भी सिराजुद्दीन हक्कानी ने ही रची थी। ऐसे नेता के पास अफगानिस्तान का अंतर्गत सुरक्षा मंत्रालय आया है। इससे यह दावा ख़ारिज हुआ है कि तालिबान ने आतंकवाद को छोड़ दिया है।

उसी प्रकार, जैसा कि तालिबान ने घोषित किया था, उसके अनुसार यह सरकार अफगानिस्तान के सभी समाजगुटों को प्रतिनिधित्व देनेवाली नहीं है, यह भी सामने आया है। तालिबान के मंत्रिमंडल में महिलाओं को तथा अल्पसंख्यकों को स्थान नहीं है। इस कारण इस सरकार को कोई भी ज़िम्मेदार देश मान्यता देने की संभावना नहीं है। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने ऐसा बयान किया है कि अमरीका तालिबान को मान्यता देने की बात बहुत ही दूर की है। इसी बीच, अफगानिस्तान की इन सभी गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर, भारत और अन्य देशों ने चर्चा शुरू की दिख रही है। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल और रशिया के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार निकोलाय पत्रुशेव्ह के बीच चर्चा संपन्न होनेवाली है। अफगानिस्तान का मुद्दा उसमें अग्रक्रम पर होगा।

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