‘यूरोपियन आर्मी’ की वजह से यूरोप का विभाजन होगा – ‘नाटो’ प्रमुख का इशारा

ब्रुसेल्स/जिनेवा – ‘यूरोपियन देशों को सुरक्षा के लिए पहल करके अधिक कोशिश करना निश्चितरूप से स्वागतार्ह है। लेकिन, यह बात ‘नाटो’ का स्थान प्राप्त नहीं कर सकती। यूरोप और अमरीका एक साथ रहेंगे, इसका ध्यान हमें रखना पड़ेगा। अमरीका और यूरोप के बंधन कमज़ोर करने की कोशिश नाटो को भी कमज़ोर कर सकते हैं’, यह इशारा नाटो के प्रमुख जेन्स स्टॉल्टनबर्ग ने दिया।

Eu-army-01अफ़गानिस्तान से अमरीका की सेना वापसी ‘डिज़ास्टर’ साबित होने की आलोचना सभी क्षेत्रों में हो रही है। अमरीका के परंपरागत मित्रदेश यूरोपिय देशों ने भी अमरीका के निर्णय की कड़ी आलोचना की है और यह वापसी बड़ी भूल होने का इशारा दिया है। इसी पृष्ठभूमि पर अमरीका और यूरोप के संबंधों में भी तनाव निर्माण होने का चित्र सामने आ रहा हैं। ऐसी तनाव की स्थिति में यूरोपिय देशों में फिर से स्वतंत्र ‘यूरोपियन आर्मी’ की माँग जोर पकड़ रही है।

महासंघ के विदेश प्रमुख जोसेफ बॉरेल द्वारा स्लोवेनिया में एक बैठक में इससे संबंधित प्रस्ताव रखने की बात कही जा रही है। बॉरेल ने यूरोपिय महासंघ का स्वतंत्र ‘फर्स्ट एन्ट्री फोर्स’ की आवश्‍यकता जताकर इसमें कम से कम पांच हज़ार सैनिकों की तैनाती करने का विचार किया है। कुछ यूरोपियन देशों ने इस फोर्स में २० हज़ार तक सैनिकों की तैनाती की भूमिका रखी है। बॉरेल और अन्य देशों से प्राप्त हुए यह प्रस्ताव ‘यूरोपियन आर्मी’ के गठन की कोशिश दिख रही है।

Jens Stoltenbergस्वतंत्र यूरोपियन आर्मी के प्रस्ताव पर ‘नाटो’ ने पहले भी नाराज़गी जताई थी। अब भी ‘नाटो’ के प्रमुख जेन्स स्टॉल्टनबर्ग ने नाराज़गी जताकर सीधे यूरोप के विभाजन का इशारा दिया। इस दौरान उन्होंने ‘नाटो’ के विस्तार पर किए बयान में यह विस्तार यूरोप की सुरक्षा के नज़रिये से आवश्‍यक होने की बात स्पष्ट की। साथ ही स्वतंत्र ‘यूरोपियन आर्मी’ के उद्देश्‍य, रचना और कमांड  भी ‘नाटो’ की ‘डुप्लिकेट’ होने के खतरे की ओर ध्यान आकर्षित किया।

यूरोपियन महासंघ के कुछ देश बीते दो दशकों से स्वतंत्र ‘यूरोपियन आर्मी’ का विचार आगे ला रहे हैं। इसके लिए जर्मनी और फ्रान्स ने पहल की है और इन्होंने अन्य देशों का समर्थन प्राप्त करने की सफलता भी हासिल की है। लेकिन, ब्रिटेन जैसे देशों ने इसका जोरदार विरोध किया था। स्वतंत्र ‘यूरोपियन आर्मी’ की तैयारी के लिए महासंघ ने हर देश के डेढ़ हज़ार सैनिकों के समावेश के दो ‘बैटलग्रुप्स’ तैयार किए हैं। लेकिन, आज तक इनकी तैनाती नहीं हो पाई है। लेकिन, ‘ब्रेक्ज़िट’ के बाद महासंघ के सदस्य देशों ने फिर से ‘यूरोपियन आर्मी’ के लिए नए से कोशिश शुरू की है और महासंघ की रक्षा नीति में भी इसका ज़िक्र किया गया है।

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