अफगानिस्तान के भविष्य के लिए आतंकवादियों के आश्रयस्थान नष्ट करें – भारत के विदेश मंत्रालय का आवाहन

नई दिल्ली – अफगानिस्तान में काबुल के उत्तरी ओर स्थित लड़कियों के स्कूल के पास हुए आतंकवादी हमलों में ६८ लोगों की मौत हुई होकर, इनमें छात्राओं की संख्या बड़ी बताई जाती है। दुनियाभर से इस हमले की आलोचना की जा रही है। भारत ने भी इस हमले का निषेध किया होकर, यह अफगानिस्तान के भविष्य पर हुआ हमला साबित होता है, ऐसी तीखी आलोचना की है। इस हमले के कारण आतंकवादियों के आश्रय स्थान नष्ट करने की और अफगानिस्तान में व्यापक संघर्ष बंदी करने की फौरन आवश्यकता है, ऐसा भारत के विदेश मंत्रालय ने जताया है।

आश्रयस्थान

शनिवार को दोपहर के समय काबुल के उत्तर की ओर होने वाले सयेद अल-शुहादा इस स्कूल के नजदीक बम विस्फोट हुए। इस भयंकर हमले में ६८ लोगों की जान गई। इस हमले की जिम्मेदारी का स्वीकार तालिबान ने नहीं किया है। लेकिन यह हमला तालिबान ने ही कराया होने का आरोप अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष अश्रफ गनी ने किया। इस हमले पर दुनियाभर से तीव्र प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। भारत के विदेश मंत्रालय ने, जान गँवाईं इन छात्राओं के प्रति संवेदनाएँ ज़ाहिर कीं होकर, उनके परिजनों के दुख में भारत सहभागी है, ऐसा कहा है।

इस लड़कियों के स्कूल पर हुआ यह हमला यानी अफगानिस्तान के भविष्य पर हुआ हमला है। पिछले दो दशकों के यातनामयी संघर्ष में अफगानी जनता ने बहुत बड़ा बलिदान देकर जो कुछ कमाया है, उसे ही लक्ष्य करने की कोशिश इन हमलावरों ने की है, ऐसा भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है। इस हमले के कारण, आतंकवादियों के सुरक्षित आश्रयस्थान नष्ट करने की और व्यापक संघर्ष बंदी करने की फौरन आवश्यकता साबित हुई है, ऐसा भारत के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया।

अफगानिस्तान में फैले आतंकवाद का मूल इस देश में नहीं, बल्कि पाकिस्तान में ही है, ऐसा भारत और अफगानिस्तान की सरकारें लगातार कहतीं आईं हैं। अफगानिस्तान में खूनखराबा करानेवाले तालिबान के सुरक्षित आश्रयस्थान पाकिस्तान में होने के आरोप अमरिकी नेता खुलेआम करने लगे हैं। इतना ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान द्वारा तालिबान को दी जानेवाली सहायता ही, अफगानिस्तान में अमरीका को मिली असफलता के लिए ज़िम्मेदार होने के कड़े आरोप हो रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में, अमरीका की सेनावापसी के बाद, तालिबान अफगानिस्तान में कर रहे खूनखराबे के लिए पाकिस्तान ही ज़िम्मेदार होने की बात, भारत का विदेश मंत्रालय अलग शब्दों में रख रहा है।

अफगानिस्तान की शांति के लिए, अफगानी भूमि और आसपास के क्षेत्र में शांति आवश्यक है, ऐसा सूचक बयान कुछ हफ्ते पहले भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने किया था। इसके लिए भी यही पृष्ठभूमि है।

पिछले कुछ दिनों में अफगानी लष्कर और तालिबान के बीच भड़के संघर्ष में तालिबान के पक्ष में लड़नेवाले पाकिस्तानी आतंकी ढेर होने की बात सामने आ रही है। उनकी संख्या भी अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय द्वारा लगातार घोषित की जाती है। इससे यही बात नये से साबित हो रही है कि तालिबान के पीछे पाकिस्तान है। उसी समय, आधुनिक लोकतंत्रवादी शासन व्यवस्था और लड़कियों की शिक्षा और महिलाओं को समान अधिकार, इन बातों को तालिबान का सख्त विरोध होने की बात इससे पहले उजागर हुई थी। इस कारण तालिबान शिक्षासंस्थाओं को लक्ष्य कर रहा है, यह पिछले कुछ महीनों में साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा है। इस कारण, अगर अफगानिस्तान फिर से तालिबान के हाथ में चला गया, तो यह देश फिर से विनाश की ओर जाएगा, ऐसा डर ज़ाहिर किया जा रहा है। इसी कारण, तालिबान के साथ अफगानी फौजियों का संघर्ष शुरू रहते समय, स्थानीय नागरिक भी हाथ में हथियार लेकर तालिबान के विरोध में खड़े होने की खबरें आ रहीं हैं।

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