‘नोटा’ की मात्रा अधिक होने पर फिर से चुनाव हों

– सर्वोच्च अदालत में याचिका दाखिल
– अदालत ने केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग से माँगा जवाब

नई दिल्ली – चुनाव में अधिक से अधिक वोटर्स ने यदि ‘नोटा’ का विकल्प चुना हो तो वहां का नतीजा रद करके वहां पर फिर से चुनाव करवाए जाएं, यह माँग करनेवाली याचिक सर्वोच्च अदालत में दाखिल हुई है। इस याचिका पर सुनवाई के समय अदालत ने केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग को नोटीस जारी करके जवाब देने को कहा है।

supreme-court-notaकिसी स्थान पर वोटर्स ने चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को नापसंद करके नोटा का चयन किया हो और विजयी उम्मीदवार से अधिक यदि नोटा को पसंदी प्राप्त होती है तो वहां का चुनावी नतीजे तुरंत रद किए जाएं और वहां पर फिर से चुनाव करवाए जाएं, यह माँग एक याचिका के माध्यम से की गई है। यह याचिका दाखिल करके सरन्यायाधीश शरद बोबडे, न्या. ए.एस.बोपन्ना और वी.रामसुब्रमण्यन के पीठ ने केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग को सोमवार के दिन नोटिस जारी करके इस याचिका में उपस्थित की गई माँग पर जवाब माँगे हैं।

वोटर्स को अनुचित उम्मीदवारों को ठुकराने का पूरा अधिकार है। इस वजह से किसी स्थान पर प्राप्त वोट से अधिक ‘नोटा’ के विकल्प की संख्या अधिक होती है तो वहां पर फिर से चुनाव करवाएं और इसमें पहले के उम्मीदवारों को दोबारा अवसर ना दिया जाए, यह माँग भी इस याचिका में की गई है। इसके लिए निर्वाचन आयोग अनुच्छेद-३२४ के तहत उन्हें प्राप्त अधिकारों का इस्तेमाल करे, यह बात भी याचिकाकर्ता ने रखी है।

निर्वाचन आयोग ने वर्ष २०१४ में वोटिंग मशीन पर ‘नन ऑफ दि अबोव’ का बटन उपलब्ध कराया है। इससे पहले वर्ष २००९ में निर्वाचन आयोग ने एक याचिका पर जवाब देते समय सर्वोच्च न्यायालय में यह विकल्प वोटिंग मशीन पर उपलब्ध कराने की मंशा व्यक्त की थी। इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष २०१३ में दिए आदेशों के अनुसार यह विकल्प वोटिंग मशीन पर उपलब्ध कराया गया। लेकिन, वोटर्स ने ‘नोटा’ को सबसे अधिक पसंदी दिखाई तो मौजूदा व्यवस्था में चुनाव का नतीजा रद नहीं होता। वहां पर सबसे अधिक वोट प्राप्त करनेवाले उम्मीदवार को विजयी घोषित किया जाता है।

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