भारत और अमरीका के बीच ‘लॉजिस्टिक’ समझौता संपन्न

वॉशिंग्टन, दि. ३० (पीटीआय) – चीन का बढ़ता सामर्थ्य और आक्रमकता को जवाब देनेवाला, भारत और अमरीका के बीच ‘लॉजिस्टिक एक्सचेंज मेमोरंडम ऑफ़ ऍग्रीमेंट’ (एलईएमओए) समझौता संपन्न हुआ है| रक्षामंत्री पर्रिकर और अमरिका के रक्षामंत्री ऍश्टन कार्टर ने इस समझौते पर दस्तख़त किए|

Ash Carter- manohar parrikar-  भारत और अमरीका

इस समझौते के कारण दोनों देश एक-दूसरे के सैनिकी अड्डों का इस्तेमाल कर सकेंगे| इस समझौते का भारतीय राजनीतिज्ञों तथा सामरिक विशेषज्ञों ने स्वागत किया है| लेकिन इस समझौते की वजह से चीन और पाकिस्तान की चिंताएँ बढ़ी हैं, ऐसा दावा आंतर्राष्ट्रीय मीडिया कर रही है|

अमरीका के दौरे पर आय्रे रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने ‘एलईएमओए’ पर संतोष जताया है| इस समझौते की वजह से दोनों देशों के लड़ाक़ू विमान, युद्धपौत एक-दुसरे के सैनिकी अड्डों पर जाकर ईंधन भर सकते हैं| साथ ही, उनकी मरम्मत और अनुरक्षण का काम भी कर सकते है| इनके पुर्जे हासिल करने से लेकर खाद्य और ज़रूरी चीज़ों की आपूर्ति सुनिश्‍चित होगी, ऐसा पर्रिकर ने कहा| लेकिन इस समझौते का मतलब, भारत की भूमि पर अमरीका का सैनिकी अड्डा होगा ऐसा नहीं है, ऐसा रक्षामंत्री ने स्पष्ट किया| ‘एलईएमओए’ समझौता, भारत और अमरीका का जिनपर भरोसा है, ऐसे समान मूल्यों पर आधारित है और यह समझौता विश्‍वशांति और रक्षा के लिए कटिबद्ध है, ऐसा दावा रक्षामंत्री पर्रीकर और कार्टर ने किया|

भारत अमरीका का सबसे बड़ा रक्षाविषयक सहयोगी देश है, ऐसा रक्षामंत्री कार्टर ने इस समय स्पष्ट किया| पिछले ५० सालों में अमरीका ने अन्य देशों के साथ की साझेदारी में, भारत के साथ हुआ सहयोग काफ़ी अहमियत रखता है, ऐसा कार्टर ने कहा| अगले समय में, भारत के साथ यह रक्षाविषयक साझेदारी और अधिक दृढ़ एवं व्यापक होगी| भारत और अमरीका में ‘डिफ़ेन्स टेक्नॉलॉजी एवं ट्रेड इनिशिएटीव्ह’ (डीटीटीआय) समझौते की व्याप्ती बढाने का निर्णय लिया गया है, ऐसी जानकारी रक्षा मंत्री ऍश्टन कार्टर ने इस समय दी|

इसी दौरान, आंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने ‘एलईएमओए’ समझौता यह चीन और पाकिस्तान इन देशों को चेतावनी है, ऐसा कहा है| पिछले कुछ सालों से अमरीका ने अपना पूरा ध्यान एशिया-प्रशांत क्षेत्र पर केंद्रित किया है|

चीन का बढता सामर्थ्य और उसकी मनमानी की वजह से एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देश असुरक्षित बने हैं और इन देशों को अपनी रक्षा के लिए चीन के विरोध में मोरचा तैयार करना ज़रूरी हुआ है| अमरीका ने इस बात पर ठोस भूमिका अपनाकर अपनी नौसेना की इस क्षेत्र की तैनाती बढाई है| इसी बीच, भारत के साथ सामरिक सहयोग मज़बूत करते हुए अमरीका चीन को मात दे रहा है| साथ ही, हिंद महासागर क्षेत्र में और भारतीय उपखंड में अपना वर्चस्व स्थापित करने की कोशिश कर रहे चीन से भारत को काफ़ी बड़ा ख़तरा है| इस वजह से भारत ने अमरीका के साथ सामरिक सहयोग बढ़ाने के लिए कदम उठाये हैं, ऐसा दिख रहा है| अमरीका के साथ ‘एलईएमओए’ समझौता इसी कदम का हिस्सा है|

‘एलईएमओए’ समझौता करके भारत ने सामरिक स्तर पर अपनी संप्रभुता को गँवाया है, ऐसी आलोचना चीन का सरकारी अख़बार ‘ग्लोबल टाईम्स’ कर रहा है| साथ ही, इस समझौते की वजह से चीन, पाकिस्तान और रशिया ये देश भारत के खिलाफ़ होंगे| इस वजह से भारत और भी असुरक्षित होगा, ऐसा दावा इस अख़बार ने किया है|

लेकिन चीन के विदेश मंत्रालय ने इस समझौते पर अधिकृत प्रतिक्रिया देते समय काफ़ी सावधानी बरती है, ऐसा दिखाई दे रहा है| ‘एलईएमओए’ समझौता इस क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा को गती देने के लिए अहम साबित होगा, ऐसा विश्‍वास चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने जताया| इस समझौते की वजह से भारत को अमरीका की ओर से अधिक मदद मिलेगी, ऐसी चिंता पाकिस्तान की मिडिया ने जताई है|

‘एलईएमओए’ समझौते पर भारतीय विशेषज्ञों ने संतोष जताया है| भारत के मित्रदशों पर अमरीका हमला करती है, तो भारत अमरीका को अपने बेस का इस्तेमाल करने से रोकेगा, यह भी इस समझौते में नमूद किया गया है| इस वजह से, इस समझौते से सामरीक स्तर पर भारत की संप्रभुता ख़तरे में नहीं आयेगी, यह स्पष्ट हो रहा है| साथ ही, सामरिक स्तर के इस सहयोग का बड़ा दबाव चीन के उपर बढेगा| पिछले कुछ सालों से भारत के उपर दबाव बढाने की कोशिश करनेवाला चीन पहली ही बार इस समझौते की वजह से दबाव में आया है, ऐसा दिखाई दे रहा है|

कुछ दिन पहले, चीन के विदेशमंत्री ‘वँग यी’ भारत दौरे पर आऐ थे| उस समय उन्होंने ‘एलईएमओए’ पर चिंता जताई थी, ऐसी ख़बरें मीडिया में प्रकाशित हुई थीं| लेकिन इस बात की पुष्टि नहीं हो पायी है| हालाँकि अधिकारिक स्तर पर चीन ने ‘एलईएमओए’ की आलोचना नहीं की है, लेकिन चीन की बौखलाहट छिपी नहीं है| ‘ग्लोबल टाईम्स’ जैसे चिनी सरकार के मुखपत्र रहनेवाले अख़बार ने इस समझौते पर की हुई आलोचना, चीन को सता रही चिंता स्पष्ट करती है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.