चीन से व्यापार करते समय सावधानी बरतें, भारतीय दूतावास की सूचना

बिजींग/नई दिल्ली, २९ (वृत्तसंस्था) – चिनी कंपनियों के साथ व्यापार करते समय चौकन्ना रहें, ऐसी ‘ऍडव्हायजरी’ भारत सरकार ने जारी की है| पाँच दिन पहले ही, चीन के तीन पत्रकारों को भारत छोड़ने के आदेश दिये गये थे| इस पृष्ठभूमि पर, भारत द्वारा जारी की गई सूचना को, भारत-चीन के बीच के बढ़ते तनाव के साथ जोड़ा जा रहा है|

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चीन में भारतीय दूतावास के अधिकारी ने इस संदर्भ में जानकारी देते समय, ‘इस सूचना में कुछ ख़ास नहीं है, नियमित रूप से जारी की जानेवालीं सूचनाओं की तरह ही यह सूचना है’ ऐसा खुलासा किया था| लेकिन यह नयी सूचना, पिछले छ: वर्षो में जारी की गई चौथी सूचना है| इससे पहले सन २०१०, २०११ और २०१३ में भी इस प्रकार से सूचना जारी की गई थी| इन सूचनाओं में, भारतीय व्यापारियों ने क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, इसकी सलाह दी गयी थी| पर नयी ‘ऍडव्हायजरी’ में स्पष्ट और कड़े शब्दों में, चीन के साथ व्यापार करते समय चौकन्ना रहने की सलाह दी गयी है|

इससे पहले दी गई सूचना की तरह, नयी ‘ऍडव्हायजरी’ भारतीय दूतावास के वेबसाईट पर नहीं डाली गयी होकर, वह केवल शंघाय के वाणिज्य दूतावास की वेबसाईट पर प्रकाशित की गयी है| पर इसके पीछे की वजह बताने से भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने इन्कार कर दिया है|

पिछले कुछ वर्षो में, चीन के साथ व्यापार करनेवाले भारतीय कंपनियों की कई शिकायतें दूतावास को मिली हैं| चिनी कंपनियों के साथ व्यापार करते समय भारतीय कंपनियों को कई मुश्किलें आती हैं और उनको ठगाया एवं लूटा जाता है, ऐसा सामने आया है| आयात माल के पैसे देने के बाद रसीद देने के लिए इन्कार किया जाता है; भारतीय कंपनी ने अग्रिम पैसे देने के बावजूद भी, सामनेवाली चिनी कंपनी उसके बाद संपर्क ही बंद कर देती है; खराब मशीन्स भेजी जाती हैं; माल का पैसा तीसरे ही बँक में डिपॉझिट किया जाता है, ऐसे कई वाक़ये सामने आये हैं।

इसीके साथ रसायन, सिलिकॉन कार्बाइड, ऍल्युमिनियम, जस्त, प्लॅस्टिक, पॉलिमर के बदले पथ्थर, नमक, ईंट और कीचड़ भेजकर भारतीय कंपनीयों को ठगा ज़ा रहा है| इन सभी शिकायतों को देखते हुए भारतीय दूतावास ने सदर सूचना जारी की है, ऐसा कहा जा रहा है|
इसी वजह से, चिनी कंपनियों के साथ कारोबार करने से पहले, दूतावास और वक़िलात के साथ संपर्क करते हुए सबंधित चिनी कंपनी की विश्‍वासार्हता को जाँच लें, ऐसी सलाह भारतीय दूतावास ने दी है|

इस नयी ‘ऍडव्हायजरी’ का भारत और चीन के बीच के व्यापार पर कितना असर होगा यह बताना फ़िलहाल मुश्किल है, ऐसा विशेषज्ञों का कहना है| चीन के साथ के द्विपक्षीय व्यापार में भारत को काफ़ी घाटा सहना पड़ रहा है| पिछले महीने में वाणिज्यमंत्री निर्मला सीतारामन ने, चीन के साथ व्यापारी घाटा भारत ज़्यादा समय तक नहीं सह सकता, ऐसा स्पष्ट शब्दों में कहा था| लेकिन चीन ने उस तरफ़ ज़्यादा ध्यान नहीं दिया|

इसी दौरान, भारत के हितसंबंधो के बारे में सोचे बिना ही चीन ने भारत की ‘एनएसजी’ सदस्यता का विरोध किया था| साथ ही, भारत में आतंक मचानेवाले हफ़ीज़ सईद, सय्यद सलाहुद्दीन, मौलाना मसूद अझहर पर कार्रवाई भी, संयुक्त राष्ट्र में नकाराधिकार का इस्तेमाल करते हुए चीन ने रोकी थी| इस वजह से, भारत के साथ कारोबार में फ़ायदा उठाकर भारत के ही खिलाफ़ भूमिका अपनानेवाले चीन को सबक सिखाने की माँग हो रही है|

भारतीय जनता की माँग को देखते हुए सरकार की नीति पर अपेक्षित परिणाम हुए हैं और भारत ने इस संदर्भ में चीन को एहसास दिलानेवाले निर्णय लिने की शुरूवात की है| अपनी भारतविरोधी नीति के, फैसले पर आर्थिक परिणाम हो सकते हुए, यह ध्यान में आने के बाद, चीन भारत के संदर्भ में कदम उठाते समय अधिक सावधानी बरतने की उम्मीद है|

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