इंडो-पैसिफिक नीति पर ध्यान केंद्रित करके जर्मनी पहली बार अपना सैन्य दल ऑस्ट्रेलिया भेजेगा

बर्लिन – अमरीका, ब्रिटेन, फ्रान्स की तरह अब जर्मनी ने भी इंडो-पैसिफक के मुद्दे पर अपनी नीति में बड़ा बदलाव किया है। इसी के तहत अपने सैन्य दल को जल्द ही ऑस्ट्रेलिया रवाना करेंगे, यह जानकारी जर्मनी के सेनाप्रमुख ने प्रदान की। दो हफ्ते बाद ऑस्ट्रेलिया में आयोजित हो रहे युद्धाभ्यास में जर्मनी की सेना शामिल होगी। साथ ही रक्षा सहयोग मज़बूत करने के लिए जर्मनी अपनी सेना के लिए ऑस्ट्रेलिया से भारी सामान की यातायात के लिए १०० वाहन खरीद रहा है।

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज्‌ नाटो की बैठक के लिए यूरोप पहुंचे हैं। बर्लिन उतरने के बाद प्रधानमंत्री अल्बानीज्‌ ने जर्मन चान्सलर ओलाफ शोल्झ से मुलाकात की। इस दौरान १०० बॉक्सर सैन्य वाहनों की खरीद के लिए १ अरब डॉलर के कारोबार को लेकर दोनों देशों के नेताओं की चचा हुई। भारी हथियारों की यातायात करने के लिए इस्तेमाल हो रहे इन सैन्य वाहनों का सेना के बेड़े में समावेश होने से जर्मनी की रक्षा तैयारी बढ़ेगी, यह विश्वास शोल्झ ने व्यक्त किया।

वहीं, जर्मनी के सेनाप्रमुख लेफ्टनंट जनरल अल्फोन्स मेस ने अंतरराष्ट्रीय माध्यमों से साझा की हुई जानकारी के अनुसार २२ जुलाई से ४ अगस्त के दौरान ऑस्ट्रेलिया में आयोजित हो रहे ‘टैलिस्मैन सैबर’ युद्धाभ्यास में इस बार जर्मनी की सेना भी शामिल होगी। कुल २४० सैनिक जल्द ही इस युद्धाभ्यास के लिए ऑस्ट्रेलिया पहुंचेंगे और इनमें १७० पैराट्रूपर्स और ४० मरिन्स होंगे। जर्मनी की इंडो-पैसिफिक संबंधित नीति में हो रहे बदलावों के तहत यह निर्णय करने की बात मेस ने कही।

‘शीत युद्ध के दौरान विश्व दो ध्रुवों में बटा था। इस वजह से जर्मनी को यूरोप पर ध्यान केंद्रित करना आसान था। लेकिन, अब वह स्थिति नहीं रही। जर्मनी को अधिक व्यापक विचार करना होगा और निर्णय करने होंगे’, यह कहकर लेफ्टनंट जनरल मेस ने ऑस्ट्रेलिया के लिए अपने सैनिक रवाना करने के कारण स्पष्ट किए। लगभग दो हफ्ते होने वाले इस युद्धाभ्यास में १२ देशों के कम से कम ३० हज़ार सैनिक शामिल होंगे। इनमें ऑस्ट्रेलिया के साथ अमरीका, ब्रिटेन, फ्रान्स, जापान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया के सैनिक होंगे।

इसी बीच, जर्मनी ने पहले २०२१ में अपने युद्धपोत को साउथ चाइना सी रवाना किया था। इसपर चीन की तीव्र प्रतिक्रिया सामने आयी थी। वहीं, पिछले वर्ष ऑस्ट्रेलिया में आयोजित युद्धाभ्यास के लिए जर्मनी ने अपने १३ विमान रवाना किए थे। इससे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर केंद्रीत जर्मनी की नई रक्षा नीति चीन को चुनौती देने वाली होने की बात दिख रही है।

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