५० फीसदी लोग ‘मास्क’ पहनते नहीं – केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जताई चिंता

नई दिल्ली – कोरोना की नई लहर की वजह से गंभीर स्थिति के बावजूद ५० फीसदी लोग अभी भी बाहर निकलते समय मास्क नहीं पहनते हैं। जो लोग मास्क पहनते हैं उनमें से ६४ फीसदी लोगों के मास्क उनकी नाक से नीचे होते हैं, ऐसा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है। हमने ९९ प्रतिशत कोशिश की है और एक प्रतिशत से भी दूर रहें तब भी संक्रमण फिर से होने का खतरा रहता है। ऐसे में कोरोना संक्रमण रोकने के लिए बनाए गए नियमों का पालन करें, ऐसा अनुरोध केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने किया है।

देश में बुधवार से गुरूवार की सुबह तक के चौबीस घंटों के दौरान कोरोना के २.६६ लाख नए मामले सामने आए और ३,८७४ संक्रमितों की मौत हुई। इसके साथ ही बीते चार दिनों में पहली बार चौबीस घंटों के दौरान कोरोना से हुई मौतों की संख्या ४ हज़ार से कम दर्ज़ हुई है। इसके साथ ही लगातार चौथे दिन कोरोना के ४ लाख से कम नए मामले दर्ज़ हुए हैं। देश में लगातार १० हफ्ते कोरोना संक्रमण बढ़ रहा था। लेकिन बीते दो हफ्तों में नए मामलों की संख्या कम हो रही है। संक्रमण के मामलों में गिरावट देखी जा रहे जिलों की संख्या बढ़कर अब ३०३ हुई है। एक लाख से अधिक एक्टिव संक्रमण वाले राज्यों की संख्या भी अब कम होकर ११ से ८ हुई है। अब १९ राज्यों में एक्टिव संक्रमितों की संख्या ५० हज़ार से कम होने की जानकारी लव अग्रवाल ने गुरूवार के दिन प्रदान की।

लेकिन, अभी भी ७ राज्यों में कोरोना का ‘पॉज़िटिविटी रेट’ २५ प्रतिशत है और २२ राज्यों में यही ‘रेट’ १५ प्रतिशत से अधिक है। विश्व स्वास्थ्य संघ के निदेशों के अनुसार ५ प्रतिशत से अधिक रेट चिंताजनक है और इस वजह से कोरोना संक्रमितों की संख्या कम हो रही है ऐसे राज्यों को अभी इस संक्रमण को काबू करने के लिए काफी कोशिशें करनी पड़ेंगी, ऐसा अग्रवाल ने कहा।

इस भयंकर संक्रमण का सामना करने के लिए सभी नियमों का पालन करके इस संक्रमण को रोकना होगा। इस दौरान सुरक्षित दूरी रखना और मास्क का उपयोग करना काफी अहम है। इन नियमों का यदि ७५ प्रतिशत पालन किया जाए तब भी संक्रमण काफी मात्रा में कम होता हैं। लेकिन, मास्क पहनने जैसे नियमों का पालन भी होता हुआ नहीं दिखता। हाल ही में एक सैम्पल सर्वे किया गया और इससे सामने आए मुद्दे अग्रवाल ने इस दौरान माध्यमों के सामने रखे। इसके अनुसार अभी भी ५० फीसदी नागरिक मास्क नहीं पहनते। मास्क इस्तेमाल करनेवालों में से ६४ प्रतिशत लोगों का मास्क नाक से नीचे होता है। साथ ही २० प्रतिशत लोगों के मास्क ठोड़ी पर लगा होता है एवं दो प्रतिशत लोगों के मास्क गले पर लगे हुए होते हैं। यानी की जो ५० फीसदी लोग मास्क पहनते हैं उनमें से मात्र १४ फीसदी लोग ही नाक, मुँह, ठोड़ी ढ़क जाए इस पद्धति से मास्क पहनते हैं। ऐसी स्थिति में संक्रमण बढ़ने का या दोबारा नई लहर आने का खतरा बढ़ता है, इस ओर अग्रवाल ने ध्यान आकर्षित किया।

इसी बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार के दिन कोरोना के ‘होम टेस्टिंग किट’ को मंजूरी प्रदान की। अन्य तीन कंपनियों ने इसी पद्धति के ‘होम टेस्टिंग किट्स’ तैयार किए हैं और उन्हें भी अगले दिनों में मंजूरी प्राप्त होगी, यह जानकारी ‘आयसीएमआर’ के डॉ.बलराम भार्गव ने प्रदान की।

कोरोना वायरस के ‘एयरोसोल’ हवा में १० मीटर तक जा सकते हैं

केंद्र सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार विजय राघवन के दफ्तर से एक एड्वाइजरी जारी की गई है। इसमें कोरोना का एअर सोल यानी छींक, खांसी से बाहर फेंके जा रहे सूक्ष्मतम कण हवा से १० मीटर दूरी तक फैलते हैं, यह इशारा दिया गया है। ऐसे में किसी संक्रमित के संपर्क में ना आने के बावजूद मास्क ना लगानेवाला व्यक्ति संक्रमित होने का खतरा होता है। संक्रमित में आसार ना दिखाई ना देते हों, फिर भी उसकी लार और नाक से निकलनेवाले ‘ड्रॉपलेट्स’ और ‘एयरोसोल’ दो मीटर दूरी तक फैल सकते हैं। उससे छोटे एयरोसोल हवां से १० मीटर दूरी तक फैलते हैं, ऐसा वैज्ञानिक सलाहकार के दफ्तर ने कहा है।

इस मुद्दे पर आवश्‍यक सूचनाएँ भी मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के दफ्तर ने जारी किए हैं। संक्रमित के नाक और मुँह से बाहर निकल रहे ‘ड्रॉपलेट्स’ सतह पर गिरते हैं और वे लंबे समय तक वहां पर रहते हैं और इस वजह से लगातार संपर्क वाले दरवाज़े की कुंड़ी, हैंड़ल, आसन, लाईट्स के बटनों का स्वच्छीकरण (सैनिटाइज़ेशन) लगातार करना आवश्‍यक है। साथ ही नागरिक डबल मास्क पहनें या एन-९५ मास्क का इस्तेमाल करें। यह बात मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के दफ्तर ने स्पष्ट की है।

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