भारतीय नौसेना के बेड़े में ‘वरुणास्त्र’ दाखिल

नई दिल्ली – शनिवार के दिन भारतीय नौसेना के बेड़े में स्वदेशी टोर्पेडो ‘वरुणास्त्र’ दाखिल किया गया। इस की मारक क्षमता ४० किलोमीटर हैं और प्रति घंटा ७० किलोमीटर गती से भारतीय ‘वरुणास्त्र’ लक्ष्य को निशाना करता हैं। इस वजह से भारतीय नौसेना के सामर्थ्य में वृद्धी होगी।

‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ (डीआरडीओ) की विशाखापट्टनम्‌ स्थित ‘नेव्हल सायन्स ॲण्ड टेक्नॉलॉजिकल लैबोरेटरी’ (एनएसटीएल) ने इस टोर्पेडो का निर्माण किया हैं। ‘भारत डायनामिक्स लिमिटेड’ (बीडीएल) ने इसका उत्पादन शुरू किया हैं। ‘वरुणास्त्र’ पनडुब्बी विरोधी टोर्पेडो मिसाइल हैं और यह मिसाइल २५० किलो विस्फोटकों के साथ हमला करने की क्षमता रखती हैं। साथ ही गहराई एवं उथले पानी में मौजूद पनडुब्बीयों को भी इस टोर्पेडो के ज़रिये लक्ष्य करना संभव होगा। इसमें लगाई ‘जीपीएस’ यंत्रणा की वजह से यह मिसाइल निर्धारित लक्ष्य को सटिकता के साथ बड़ी आसानी से निशाना कर सकती हैं।

शनिवार के दिन ‘डीआरडीओ’ के प्रमुख सतीश रेड्डी की मौजुदगी में पहला ‘वरुणास्त्र’ नौसेना को प्रदान किया गया। विशाखापट्टनम्‌ में यह समारोह हुआ। भारतीय नौसेना ने फिलहाल ६३ ‘वरुणास्त्र’ की माँग दर्ज़ की हैं। इसके लिए नौसेना और ‘बीडीएल’ ने १,१८७ करोड़ रुपयों का समझौता किया हैं।

indian-navy-varuunastraभविष्य में भारत मित्रदेशों को भी ‘वरुणास्त्र’ प्रदान करेगा, ऐसा वृत्त हैं। बीते कुछ वर्षों से भारत ने अपनी नौसेना के सामर्थ्य में बढ़ोतरी करने के लिए अहम निर्णय किए थे। इसमें पनडुब्बी विरोधी विध्वंसक एवं पनडुब्बीयों के निर्माण के साथ ही पनडुब्बीयों को लक्ष्य करनेवाले टोर्पेडो विकसित करने पर भी जोर दिया गया था। चीन की नौसेना में पनडुब्बीयों की संख्या काफी हैं और भारतीय समुद्री क्षेत्र के करीबन चीन की पनडुब्बीयों की मौजुदगी भारत की सुरक्षा को चुनौती देनेवाली साबित होती हैं।

इस पृष्ठभूमि पर पनडुब्बीयों को लक्ष्य करने की क्षमता के ‘वरुणास्त्र’ का निर्माण और मित्रदेशों को यह टोर्पेडो प्रदान करने का भारत का निर्णय भारत की सामरिक नीति का हिस्सा होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

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