काबुल में नाटो के सैनिकों की तैनाती के भीषण परिणाम होंगे – तालिबान की अमरीका और नाटो को धमकी

दोहा/काबुल – ‘अमरीका और नाटो के सदस्य देश कतार में हुए समझौते का पालन करके अफ़गानिस्तान से पूरी तरह से वापसी करे। 11 सितंबर के बाद नाटो का एक भी सैनिक काबुल में दिखाई दिया तो, इसके गंभीर परिणाम होंगे’, ऐसी धमकी तालिबान के प्रवक्ता सोहेल शाहिन ने दी है। अमरीका ने अफ़गानिस्तान से वापसी करने के बाद भी अपने 1 हज़ार सैनिक काबुल में तैनात रखने का ऐलान किया है। तो, तुर्की और ब्रिटेन ने भी अपने सुरक्षा बल की तैनाती जारी रखने का ऐलान किया है, इस पृष्ठभूमि पर तालिबान ने यह धमकी जारी की है।

Afghan-Taliban-nato-2अमरीका ने अफ़गानिस्तान के सबसे बड़े बगराम अड्डे की चाबियाँ अफ़गान सेना के हाथों में सौंप दी हैं। अमरीका के 50 प्रतिशत सैनिक और हथियार विमान से स्वदेश पहुँचाए गए हैं और शेष सैनिक अगस्त के अन्त तक वापसी करेंगे, यह ऐलान अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने किया। फिर भी अफ़गानिस्तान में हवाई हमले जारी रखने के लिए कतार से मुहिम चलाई जाएगी, ऐसा अमरिकी रक्षा मुख्यालय के प्रवक्ता जॉन किरबाय ने कहा है।

साथ ही राजधानी काबुल के दूतावास और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की सुरक्षा के लिए करीबन 1 हज़ार सैनिक पीछे तैनात रखने का ऐलान अमरीका ने किया। अमरीका की तरह तुर्की और ब्रिटेन ने भी सितंबर के बाद भी काबुल में अपने सैनिकों की तैनाती रहेगी, ऐसा कहा है। तुर्की की इस तैनाती पर तालिबान ने पहले ही चेतावनी दी थी। लेकिन, अमरीका और ब्रिटेन के नए ऐलान के बाद तालिबान ने नाटो के सभी सदस्य देशों को फिर से धमकाया है।

Afghan-Taliban-nato-1‘कतार के समझौते के अनुसार निर्धारित समय में नाटो के सभी सैनिक अफ़गानिस्तान छोड़कर चले जाएँ। काबुल पर कब्ज़ा करना, तालिबान की नीति में नहीं है। लेकिन, निर्धारित अवधि के बाद भी नाटो के सैनिक या लष्करी ठेकेदार यदि काबुल में दिखाई दिए तो तालिबान को अपनी इस नीति में बदलाव करके अन्य विकल्पों पर विचार करना पड़ेगा। इन विदेशी सैनिकों को घुसपैठी माना जाएगा’, यह धमकी शाहिन ने दी है।

‘पश्‍चिमी देशों के दूतावास, राजनीतिक अधिकारी, स्वयंसेवी संगठन और उनके स्वयंसेवकों के साथ तालिबान का बैर नहीं है। उन्हें तालिबान से किसी भी तरह का खतरा नहीं है’, ऐसा कतार में स्थित तालिबान के राजनीतिक दूतावास के प्रवक्ता शाहिन ने ब्रिटिश समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार के दौरान कहा। साथ ही अमरिकी सेना ने बगराम हवाई अड्डे का कब्ज़ा छोड़ना, ऐतिहासिक घटना होने की बात भी शाहिन ने कही।

इसी बीच, बीते हफ्ते में अमरीका ने बगराम अड्डे का कब्ज़ा छोड़ने के बाद रविवार के दिन तालिबान ने इस अड्डे पर कब्ज़ा करने की कोशिश की। करीबन 20 तालिबानी आतंकियों ने वहां की सुरक्षा चौकी पर हमला किया था। लेकिन, अफ़गान सेना ने तालिबान का यह हमला नाकाम किया, यह जानकारी अफ़गान सेना ने साझा की। तभी, तालिबान के हमलों से ड़रे 1 हज़ार से अधिक अफ़गान सैनिक भागकर ताजिकिस्तान पहुँचे होने की खबरें प्राप्त हो रही हैं।

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