अफगानिस्तान में नशीले पदार्थों के व्यापार को बढ़ावा देने के लिए तालिबान की गतिविधियाँ – अमरिकी विश्लेषक का दावा

काबुल – तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद इस देश की अर्थव्यवस्था बेहाल हो चुकी है। लेकिन तालिबान अफीम की खेती और नशीले पदार्थों के व्यापार को बढ़ावा देने की तैयारी कर रहा है। १९९० के दशक में तालिबान ने अफगानिस्तान में बड़े पैमाने पर नशीले पदार्थों का व्यापार किया था। अब भी तालिबान की इसी दिशा में मार्गक्रमणा शुरू हुई है, इसपर विश्लेषक गौर फरमा रहे हैं। नशीले पदार्थों के कारण अफगानिस्तान की आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था ढह गई थी, इसकी भी याद विश्लेषक करा दे रहे हैं।

एक तरफ तालिबान अपने शासन में नशीले पदार्थों के व्यापार के विरोध में सख्त कार्रवाई की घोषणा कर रहा है। तालिबान के कुछ नेताओं ने, नशीले पदार्थों का व्यापार और सेवन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, ऐसी चेतावनी दी थी। लेकिन वास्तव में तालिबान का प्रवास अलग दिशा में शुरू हो चुका है, ऐसी चेतावनी अमेरिकी विश्लेषक डेव्हिड मॅन्सफिल्ड ने दी।

afghan-taliban-drugs-1अफीम का अवैध व्यापार यह अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था और उसमें होनेवाली अफरातफरी के साथ उलझा हुआ है। अफगानिस्तान की अफीम की खेती पर दुनिया का हेरोइन का व्यापार बड़े पैमाने पर निर्भर है। इस अफीम के साथ ही अफगानिस्तान में मेथाम्फेटामाईन यानी मेथ इस और एक नशीले पदार्थ का उत्पादन किया जाता है। इन दोनों नशीले पदार्थों की अमरीका, लैटिन अमरीका और युरोपीय देशों में बड़े पैमाने पर तस्करी की जाती है।

इन नशीले पदार्थों की खेती करनेवाले अफगानी, तालिबान से जुड़े होने की बात समय-समय पर सामने आई थी। तालिबान इसी मार्ग से सर्वाधिक कमाई करता है, ऐसा विश्लेषकों का कहना है। लेकिन अब इस नशीले पदार्थों के व्यापार के साथ अपना कुछ भी संबंध ना होने के दावे तालिबान ने ठोके हैं। लेकिन सन २०२० में इन नशीले पदार्थों की तस्करी करनेवालों से तालिबान ने दो करोड़ डॉलर की फिरौती वसूल की थी, ऐसा दावा अमरिकी विश्लेषक मॅन्सफिल्ड ने किया।

दो दशक पहले अफगानिस्तान में हुकूमत रहते हुए भी तालिबान ने नशीले पदार्थों की तस्करी से बड़ा मुनाफा कमाया था, इसकी भी याद मॅन्सफिल्ड ने करा दी। लेकिन अमरीका के अफगानिस्तान में किये हमले के बाद तालिबान के स्थान पर सत्ता में आई हुई, अफगानिस्तान की किसी भी सरकार ने अफीम की खेती पर प्रतिबंध लगाने की हिम्मत नहीं दिखाई थी।

महीने भर पहले हालांकि तालिबान ने अफीम के सेवन पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की, फिर भी उसपर अमल करना तालिबान के लिए संभव नहीं होगा, ऐसा दावा किया जाता है। तालिबान से जुड़े अफगानिस्तान के कुछ प्रभावी गुट, इस नशीले पदार्थों की खेती और व्यापार में उलझे हैं। उनके ज़रिए तालिबान को बड़े पैमाने पर पैसा मिलता है और पिछले दो दशकों से तालिबान इन्हीं पैसों के बल पर अमरीका से लड़ रहा है, ऐसे दावे किए जा रहे थे।

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