‘पैलेस्टिन’ के संघर्ष का लाभ उठाकर कश्‍मीर का मसला भी उपस्थित करें – पाकिस्तान की सरकार को पत्रकारों की सलाह

कश्‍मीर का मसलाइस्लामाबाद – पाकिस्तान की संसद ने इस्राइल के विरोध में निषेध प्रस्ताव पारित किया है। गाज़ा स्थित हमास पर इस्रायल के हो रहे हमले यानी मानव अधिकारों का हनन हैं, ऐसा आरोप लगानेवाला प्रस्ताव पाकिस्तान के विदेशमंत्री शाह महमूद कुरेशी ने संसद में रखा था। पैलेस्टिनियों पर इस्राइल के हमले रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद आवश्‍यक कार्रवाई करे, यह माँग इस प्रस्ताव के माध्यम से पाकिस्तान की संसद ने की है। इसी दौरान ‘पीओके’ के प्रधानमंत्री राजा फारूख हैदर ने तो सीधे अब इस्राइल और भारत के दिन पूरे हो रहे हैं, ऐसी धमकी दी है। अब पैलेस्टिन का मसला अहम बना हुआ है, इसके साथ ही कश्‍मीर का मसला जोड़ने की कल्पकता दिखाएँ, ऐसी सलाह भी कुछ पाकिस्तानी पत्रकार अपने देश की सरकार को दे रहे हैं।

इस्राइल पर हज़ारों रॉकेट्स और मिसाइलों का हमला कर रहे हमास और इस्लामिक जिहाद जैसे आतंकी संगठनों पर इस्रायल सख्त कार्रवाई कर रहा है। इस कार्रवाई के विरोध में पाकिस्तान में जताई जा रही प्रतिक्रिया में गुस्सा व्यक्त किया जाने लगा है। पाकिस्तानी सरकार पैलेस्टिनियों के पक्ष में और इस्राइल के खिलाफ कुछ भी नहीं कर रही है, ऐसी तीखी आलोचना इस देश के चरमपंथी कर रहे हैं। सिर्फ जुबानी निषेध दर्ज़ करके इस्राइल पर असर नहीं होगा, पाकिस्तानी सेना ने हरकत किए बगैर इस्राइल पर दबाव नहीं पड़ेगा, ऐसा बयान पाकिस्तानी समाचार चैनलों के विश्‍लेषक कर हे हैं। कम से कम पैलेस्टिनियों को हथियारों की आपूर्ति करें, यह माँग भी यह विश्‍लेषक प्रधानमंत्री इम्रान खान की सरकार से कर रहे हैं।

ऐसी स्थिति में इस्राइल के विरोध में प्रस्ताव पारित करके पाकिस्तान की सरकार ने इन सभी को शांत करने की कोशिश की है। लेकिन, इस पर यह चरमपंथी संतुष्ट होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। इस्राइल के खिलाफ पूरी ताकत लगाकर पाकिस्तान पैलेस्टिनियों की सहायता करे, यह माँग अब जोर पकड़ने लगी है और इसका असर अब इस देश के माध्यमों में भी दिखाई देने लगा है। पाकिस्तान के साथ अन्य इस्लामी देशों की सरकारें और हुकूमतों पर पाकिस्तान के माध्यम काफी बयान कर रहे हैं। यह सभी देश इस्राइल के विरोध में संगठन बनाएं, ऐसी माँग करने में पाकिस्तान के पत्रकार सबसे आगे हैं।

‘पीओके’ के प्रधानमंत्री राजा मुहम्मद फारूख हैदर खान ने तो पैलेस्टिनी और कश्‍मीरी नागरिकों पर अन्याय कर रहे इस्राइल और भारत के दिन अब पूरे हुए हैं, यह धमकी दी है। इस्लामी देशों की ‘ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ इस्लामिक कौन्सिल’ (ओआयसी) संगठन इस्राइल और भारत के विरोध में कड़े कदम उठाएँ, यह निवेदन भी राजा मुहम्मद फारूख हैदर खान ने किया है। कुछ पाकिस्तानी पत्रकारों ने भी पैलेस्टिन के साथ कश्‍मीर का मसला भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपस्थित करने की सलाह पाकिस्तान की सरकार को प्रदान की है।

गाज़ा पर हो रहे इस्राइल के प्रतिकार की वजह से पैलेस्टिन का मसला फिलहाल काफी चर्चा में है। इसका लाभ उठाना हो तो कश्‍मीर का मसला पैलेस्टिन से जोड़ना होगा। इससे पाकिस्तान को बड़ा लाभ प्राप्त होगा, ऐसा अनुमान इन पत्रकारों ने व्यक्त किया है। यह दोनों मसले अलग-अलग पेश करने का ज्यादा उपयोग नहीं होगा और कश्‍मीर का मसला काफी पीछे पड़ेगा, ऐसा इशारा पाकिस्तानी पत्रकारों ने दिया है। साथ ही पाकिस्तान के विदेशमंत्री शाह महमूद कुरेशी ने ईरान, तुर्की, ईजिप्ट और चीन इन देशों के विदेशमंत्रियों से फोन पर बातचीत की और इसके बाद इस्राइल से लड़ने के लिए पाकिस्तान अपनी सेना रवाना करने की तैयारी में जुटा होने की अफवाह भी पाकिस्तान में फैली थी।

पाकिस्तान के माध्यम और पत्रकार एवं विश्‍लेषक जनभावना भड़कानेवाली प्रक्षोभक रचना एवं माँग कर रहे हैं। और ऐसे में इस देश के कुछ ज़िम्मेदार पत्रकारों ने काफी सूझबूझ की भूमिका स्विकारी हुई दिखती है। कश्‍मीर मसले का हल निकालने में असफल इम्रान खान की सरकार, पैलेस्टिन का मसला हल करेगी, यह उम्मीद करना मूर्खता होगी, ऐसा बयान पाकिस्तानी समाचार चैनल के एंकर ने किया है। अपनी क्षमता को ध्यान में रखकर ही पैलेस्टिन के मसले पर पाकिस्तान अपनी भूमिका रखे, ऐसी स्पष्ट सलाह ज़िम्मेदार पत्रकार दे रहे हैं। अंदरुनि समस्याओं का हल निकालने में पाकिस्तान की सरकार को बड़ी असफलता हाथ लगी है, ऐसा होते हुए पैलेस्टिन के मामले में अपनी नाक घुसाकर इस्राइल को चुनौती देने से पुख्ता क्या हासिल किया होगा, ऐसा सवाल भी इन पत्रकारों ने किया है।

इसी बीच कुछ चरमपंथी विश्‍लेषकों ने यह दावे किए हैं कि, पैलेस्टिन के बाद इस्राइल का अगला लक्ष्य पाकिस्तान होगा।

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