प्रधानमंत्री राजपक्षे को प्राप्त हुआ बहुमत भारत-श्रीलंका सहयोग के लिए नया अवसर – भारतीय उच्चायुक्त का दावा

कोलंबो/नवी दिल्ली – रविवार के दिन श्रीलंका के नेता महिंदा राजपक्षे ने चौथी बार देश के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण की। राजपक्षे को प्राप्त हुआ बहुमत भारत और श्रीलंका के द्विपक्षीय सहयोग के लिए नया अवसर साबित होगा, इन शब्दों में श्रीलंका में नियुक्त भारत के राजदूत ने राजपक्षे का अभिनंदन किया। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही राजपक्षे को फोन करके अगले कार्यकाल के लिए शुभेकामनाएं प्रदान की हैं।

प्रधानमंत्री राजपक्षे

बीते सप्ताह में श्रीलंका में हुए संसदिय चुनावों के लिए मतदान हुआ। इस चुनाव के रुझान अब घोषित हुए हैं और महिंदा राजपक्षे की ’एसएलपीपी पार्टी’ ने 225 में से 145 ज़गहों पर जीत प्राप्त की है। सहयोगी दल के साथ उन्होंने जीत हासिल की हुई ज़गहों की संख्या 150 हुई है और संसद में राजपक्षे को दो तिहाई बहुमत प्राप्त हुआ है। बीते पांच दशकों में राजपक्षे ने प्राप्त की हुई यह सबसे बड़ी जीत साबित हुई है।

बीते वर्ष नवंबर महीने में हुए राष्ट्राध्यक्ष पद के चुनाव में महिंदा राजपक्षे के भाई गोताबाया राजपक्षे 52% से अधिक मत प्राप्त करके विजयी हुए थे। इसके बाद हुए इस चुनाव में राजपक्षे की पार्टी को लगभग 60% वोट प्राप्त होने की जानकारी सामने आ रही है। हासिल वोटों में हुई बढ़ोतरी यानी श्रीलंका के मतदाताओं ने राजपक्षे के नेतृत्व के लिए दिखाया हुआ निर्णायक कौल होने का दावा स्थानीय विश्‍लेषक कर रहे हैं।

इससे पहले श्रीलंका के राष्ट्राध्यक्ष रहे महिंदा राजपक्षे की पहचान चीन समर्थक एवं भारत द्वेषी नेता के तौर पर बनी थी। कुछ वर्ष पहले हुए चुनाव में परास्त होने के पीछे भारत का हाथ होने का आरोप भी उन्होंने लगाया था। लेकिन चीन के कर्ज का शिकंजा, आर्थिक गिरावट और आतंकी हमलों की पृष्ठभूमि पर राजपक्षे की भारत से संबंधित नीति में बदलाव होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। बीते वर्ष राष्ट्राध्यक्ष चुने जाने के बाद गोताबाया राजपक्षे ने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत का चयन करना, इसी बदलाव का स्पष्ट नमुना साबित होता है।

वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन की वर्चस्ववादी हरकतों का विरोध करनेवाला मज़बूत मोर्चा बन रहा है। इससे पहले चीन ने राजपक्षे के कार्यकाल में श्रीलंका के साथ बनाई नज़दिकीयां देखें तो अगले दौर में इससे संबंधित श्रीलंका की भूमिका अहम साबित हो सकती है। ऐसी पृष्ठभूमि पर भारत ने श्रीलंका के साथ अपने संबंध मज़बूत करके सहयोग के लिए नए अवसरों पर विचार करना निर्णायक कदम साबित हो सकता है।

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