ताश्कंद, शिमला और लाहौर समझौता तोडकर पाकिस्तान को कश्मीर की नियंत्रण रेखा बदलनी होगी – जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता गिलानी 

श्रीनगर – ताश्कंद, शिमला और लाहोर समझौता तोडकर जम्मू-कश्मीर की नियंत्रण रेखा भी बदल दे, यह मांग अलगाववादी नेता सय्यद अली शहा गिलानी ने पाकिस्तान के सामने रखी है| जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान समर्थक अलगाववादियों की केंद्रीय संगठन के तौर पर काम कर रही हुरियत कॉन्फरन्स के नेता यह गिलानी की पहचान है| अलग शब्दों में सय्यद अली शहा गिलानी पाकिस्तान को भारत के साथ युद्ध शुरू करने का संदेशा दे रहे है| पाकिस्तान के चरमपंथी नेता भी प्रधानमंत्री इम्रान खान की सरकार से यही मांग कर रहे है और इसके लिए दबाव बढा रहे है|

भारत ने धारा ३७० हटाकर जम्मू-कश्मीर को प्रदान किया हुआ विशेष दर्जा हटाया है| जम्मू-कश्मीर अब केंद्रशासित प्रदेश बनने पर इसपर अब सिधे केंद्र सरकार कार नियंत्रण बना है| यहां की प्रशासकीय व्यवस्था में पूरी तरह से बदलाव करने के असर दिखाई देने लगे है और आतंकियों के साथ पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता भी बेहाल हुए है| इसमें ९२ वर्ष के सय्यद अली शहा गिलानी का भी समावेश है| ऐसा होते हुए भी गिलान जैसे अलगाववादी नेता ने भारत की एकता को चुनौती देने की हरकतें अभी बंद नही की है| इसी लिए गिलानी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान को अपना यह संदेशा दिया है|

इससे पहले भारत और पाकिस्तान के बीच हुए ताश्कंद, शिमला और लाहोर समझौते तोड दे और भारत के साथ सभी स्तरों पर बने संबंध तोड दे, यह मांग गिलानी ने की है| इसके अलावा यदी भारत ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने का निर्णय करने से यहां पर अब वर्ष १९४७ जैसी स्थिति बनी है| इसका लाभ उठाकर पाकिस्तान कश्मीर की नियंत्रण रेखा दुबारा तय करने की कोशिश करें, यह मांग गिलानी ने की है| अलग शब्दों में गिलानी ने पाकिस्तान को जम्मू-कश्मीर का हिस्सा कब्जे में करने की सलाह दे रहे है| लष्करी कार्रवाई के बिना यह मुमकिन नही, इस लिए भारत के साथ युद्ध शुरू करने का संदेशा ही गिलानी दे रहे है, यह स्पष्ट हो रहा है|

संभव हो, मैनें आपको दिया यह आखरी संदेशा हो सकता है, यह निवेदन करके गिलानी ने आगे यह भी कहा है की, अपनी उमर काफी हुई है और स्वास्थ्य भी अस्थिर है| यह कहकर गिलानी ने पाकिस्तानी जनता का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की है| पर, कश्मीर की नियंत्रण रेखा नए से तय करने की क्षमता पाकिस्तान रखता होता तो इस देश ने इससे पहले ही इस क्षमता का इस्तेमाल किया होता, यह बात गिलानी अपनी जरूरत के नुसार भुलते दिख रहे है| पाकिस्तान में भारत का द्वेष करनेवाले चरमपंथियों को भी इसका एहसास नही रहा| इसी लिए कश्मीर की नियंत्रण रेखा लांघकर पाकिस्तान सीधे भारतीय सेना पर हमला करें, यह मांग यह चरमपंथी कर रहे है| पाकिस्तान की सेना इसके लिए समर्थ है, पर इम्रान खान की सरकार इस कार्रवाई के लिए तैयार नही| इस वजह से पाकिस्तानी सेना असहाय होने का दावा यह चरमपंथी कर रहे है|

इम्रान खान को पाकिस्तानी सेना ने ही प्रधानमंत्री बनाया है, यह आरोप हो रहा है| ऐसी स्थिति में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की वजह से ही इस देश की सेना भारत के साथ संघर्ष नही कर रही, यह चरमपंथियों का आरोप हास्यास्पद साबित होता है| फिर भी पाकिस्तान आतंकियों की घुसपैठ करवाकर भारत के साथ छिपा युद्ध करता दिखाई दे रहा है|

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