रक्षाबलों के संयुक्त मोरचे की अहमियत बढ़ी है – एडमिरल करमबिर सिंह

संयुक्त मोरचेपुणे – ‘युद्ध का स्वरूप बदल रहा है। एक ही समय पर भूमि, जल, आकाश, अंतरिक्ष एवं सायबर क्षेत्र में शत्रु का सामना करने की क्षमता विकसित करना अनिवार्य बना है। इसी कारण, देश के रक्षाबलों के संयुक्त मोरचे की आवश्‍यकता पहले से अधिक सामने आयी है’, ऐसा नौसेनाप्रमुख एडमिरल करमबिर सिंह ने कहा है। पुणे की ‘नैशनल डिफेन्स एकडमी’ में १४० वें ‘पासिंग आउट परेड़’ समारोह में नौसेनाप्रमुख ने यह संदेशा दिया।

भारत ने रक्षाबलप्रमुख पद का निर्माण किया है और जनरल बिपीन रावत देश के पहले रक्षाबलप्रमुख बने हैं। विश्‍वभर में युद्धतंत्र मे काफी बड़े बदलाव हुए हैं। परंपरागत युद्ध के साथ ही अपारंपरिक युद्धतंत्र की कुशलता प्राप्त करने के अलावा विकल्प नहीं रहा है, ऐसी बात देश के मौजूदा और पूर्व लष्करी अधिकारी लगातार कह रहे हैं। ज़मीन, आकाश और समुद्री क्षेत्र के युद्ध के साथ ही, मौजूदा समय में सायबर एवं अंतरिक्ष क्षेत्र में युद्ध शुरू हो सकते हैं। इसके परिणाम शायद परंपरागत युद्ध से भी अधिक भयंकर साबित हो सकते हैं, ऐसी चेतावनी रक्षाबलों के वरिष्ठ अधिकारी दे रहे हैं।

कोई एक सायबर हमला भी देश को मुश्‍किलों में धकेलने के लिए पर्याप्त साबित हो सकता है। इसके कुछ उदाहरण भी सामने आए हैं। इसी बीच, चीन और पाकिस्तान जैसें घातकी देशों का पड़ोस भारत को प्राप्त हुआ है। इस वजह से इस मोरचे पर अनदेखी करना भारत के लिए नुकसानदायी होगा, इस बात का अहसास रक्षाबलों के अफसर लगातार देश को दे रहे हैं। नौसेनाप्रमुख ने नैशनल डिफेन्स एकेडमी में संबोधित करते समय इसी ओर निर्देश किया।

रक्षाबलों के संयुक्त मोरचे की अहमियत, पहले कभी नही थी इतनी अधिक मात्रा में बढ़ी है, यह बयान भी एडमिरल करमबिर सिंह ने इस दौरान किया। बदलते दौर के युद्धतंत्र में हुए बदलावों को ध्यान में रखकर इसी दिशा की ओर कदम बढ़ाना आवश्‍यक है, इस बात का अहसास नौसेनाप्रमुख ने दिया। इस दौरान नौसेनाप्रमुख ने कैडेटस्‌ के साथ ‘पुश-अप्स’ लगाकर सबका जोश और उत्साह बढ़ाया।

इसी बीच, रक्षाबलप्रमुख जनरल बिपीन रावत, सेनाप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे, वायुसेनाप्रमुख एअरचीफ मार्शल आर.के.एस.भदौरिया और अब नौसेनाप्रमुख एडमिरल करमबिर सिंह इन सभियों ने रक्षाबलों के संयुक्त मोरचे की आवश्‍यकता सामने रखकर, इस दिशा में तेज़ कदम बढ़ाए जाने की बात समय समय पर स्पष्ट की थी।

खास तौर पर लद्दाख की ‘एलएसी’ पर भारत का चीन के साथ तनाव निर्माण होने के बाद भारतीय थलसेना और वायुसेना ने समन्वय दिखाकर की हुई गतिविधियाँ चीन की चिंता बढ़ानेवालीं थीं। साथ ही, लद्दाख की ‘एलएसी’ पर स्थित पैन्गॉन्ग त्सो के लिए नौसेना ने अतिजलद गश्‍ती जहाज़ भेजकर चीन पर दबाव बढ़ाया था। इस उपलक्ष्य में लद्दाख की ‘एलएसी’ पर एक ही समय पर भारतीय थलसेना, वायुसेना और नौसेना की संयुक्त कार्रवाई दिखाई दी थी।

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