अमरीका के प्रतिबंधो पर ईरान का जवाब – प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम तथा कुद्स फोर्स की निधी बढाई

तेहरान: अमरीका ने लगाए प्रतिबंधो को ईरान के संसद ने करारा जवाब दिया है। जिस प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम के लिए अमरीका ने ईरान पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी उसके लिए लगभग २६ करोड़ डॉलर का प्रावधान करनेवाले विधेयक को ईरान के संसद ने मंज़ूरी दे दी है। इसीके साथ अमरीका ने प्रतिबंध लगाए ईरान के ‘रिव्होल्युशनरी गार्ड’ की परदेश में काम कर रही शाखा कुद्स फोर्स के लिए भी इस विधेयक में २६ करोड़ डॉलर का प्रावधान किया गया है। साथ ही खाड़ी देशों में अमरीका के अधिकारीयों पर आतंकवादीयों को मदद करने का आरोप लगाकर ईरान ने अमरीकी अधिकारीयों पर प्रतिबंध लगाए।

क्षेपणास्त्र कार्यक्रमडोनाल्ड ट्रम्प ने राष्ट्रध्यक्ष पद पर नियुक्त होने के बाद ईरान के विरोध में आक्रामक भूमिका ली थी। साल २०१५ में ओबामा प्रशासन ने ईरान के साथ किये परमाणु समझौते का उलंघ्घन करने का आरोप लगाकर राष्ट्रध्यक्ष ट्रम्प ने ईरान पर कठोर प्रतिबंध लगाए थे। ईरान अपना प्रक्षेपास्त्र

कार्यक्रम विकसित कर रहा है। उसी समय ईरान के रिव्होल्युशनरी गार्डस नामक लष्करी दल पर खाड़ी देशों में आतंकवादीयों को मदद करने का आरोप लगाकर ट्रम्प ने रिव्होल्युशनरी गार्ड के साथ इरान के कुछ अधिकारीयों पर भी प्रतिबंधों की घोषणा की थी। इसपर ईरान द्वारा तीव्र प्रतिक्रिया प्रकट हुई थी व यह प्रतिबंध ईरान के साथ किये परमाणु समझौते का उलंघ्घन है, ऐसा आक्षेप ईरान के राष्ट्रध्यक्ष हसन रोहानी ने लिया था।

अमरीका के इस उत्तेजक प्रतिबंधों को अत्यंत कल्पकता व सूझबुझ से जवाब दिया जाएगा, ऐसी चेतावनी ईरान ने दी थी। उसीके अनुसार ईरान के संसद ने अमरीका के प्रतिबंधों को उत्तर देने वाला प्रस्तुत विधेयक को अनुमति दे दी है। इस विधेयक के पक्ष में ईरान के २४० संसद सदस्यों ने मतदान किया। मतदान के समय ईरान के संसद में अमरीका का निषेध करने वाले नारें लगाए गए। इस विधेयक द्वारा ईरान ने अपने बैलिस्टिक क्षेपणास्त्र के विकास के लिए लगभग २६ करोड़ डॉलर्स की निधि उपलब्ध की है। इसीके साथ ईरान के रिव्होल्युशनरी गार्डस की दुसरे देशों में काम कर रही शाखा कुद्स फोर्स को भी २६ करोड़ डॉलर्स की निधि उपलब्ध करके दी है।

क्षेपणास्त्र कार्यक्रमइराक तथा सिरिया इन देशों में कुद्स फोर्स का काम जारी है और इसके प्रमुख जनरल कासीम सुलेमानी का इराक में ही रहने का बताया जाता है। ईरान के इस लष्करी दल की कारवाहीयों की वजह से अमरीका, इस्राईल व सऊदी अरेबिया के इराक तथा सिरियासंबधित योजनाऍ उध्वस्त होने का दावा किया जा रहा है। इसीलिए अमरीका ने रिव्होल्युशनरी गार्डस पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लेने का बताया जाता है। अमरीका के इस निर्णय को भी ईरान ने जवाब देते हुए इराक में ‘अल कायदा’ तथा सिरिया में ‘आयएस’ को मदद करने का आरोप लगाकर कुछ अमरीकी अधिकारीयों पर प्रतिबंध लगाए है। इन प्रतिबंधों में व्हिसा व प्रवासबंदी का समवेश है।

ईरान के संसद ने इस विधेयक को स्वीकृति देकर वे अमरीका के दबाव के सामने नहीं झुकेंगे ऐसा स्पष्ट संकेत दिया है। आनेवाले समय में अमरीका से इस विषय पर प्रतिक्रिया उमट सकती है। इस साल के अंत तक अमरीका के राष्ट्रध्यक्ष ईरान के विरोध में युद्ध की घोषणा कर सकते है, ऐसा दावा कुछ विशेषज्ञों ने किया है। साथ ही उत्तर कोरिया का परमाणु परीक्षण तथा क्षेपणास्त्र परीक्षण कर सीधे अमरीका को ही निशाना बनाने की चेतावनी के चलते, ईरान पर लष्करी कारवाही का प्रस्ताव महत्वहीन बन सकता है, ऐसी भी आशंका जताई जा रही है।

पर्शियन खाड़ी प्रदेश में अमरीका व ईरान के लड़ाकू जहाज एक दुसरे के समक्ष निरंतर आने की घटनाओं की सुचना प्राप्त हो रही है। इस कारण अमरीका तथा ईरान के दरमियाँ संघर्ष का आरंभ किसी भी समय हो सकता है यह आशंका भी विशेषज्ञों ने अमान्य नहीं की है।

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