चीन की सीमा पर के तनाव की भारत ने ली गंभीर दखल – प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री की सेनादल प्रमुखों से उच्चस्तरीय चर्चा

नई दिल्ली, (वृत्तसंस्था)  – लद्दाख के गलवान क्षेत्र में भारत और चीन के सैनिक आमनेसामने खड़े हैं कि तभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल,  रक्षादलप्रमुख जनरल बिपीन रावत के साथ तीनों रक्षा दलों के प्रमुखों से चर्चा की। इससे पहले सेनाप्रमुखों ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंग के साथ भी चर्चा की थी। इन बैठकों का विवरण ज़ाहिर नहीं किया गया है। लेकिन भारत अपनी सार्वभूमता के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगा। सीमा पर शांति बनाये रखने के लिए चीन के साथ चर्चा जारी रहेगी, लेकिन इस भाग में जारी रास्ते का काम किसी भी हालत में नहीं रोका जायेगा और चीन के अनुपात में सीमा पर सैनिकों की तैनाती की जायेगी, ऐसे निर्णय इस बैठक में हुए ऐसा कहा जा रहा है।

लद्दाख में पँगोंग सरोवर क्षेत्र में एक जगह पर और गलवान क्षेत्र में तीन जगहों पर भारत और चीन के सैनिक आमनेसामने खड़े हुए हैं। इनमें गलवान फिंगर पॉईंट क्षेत्र में तनाव बहुत ही बढ़ा है। इस भाग में चिनी जवानों ने घुसपैंठ करके तंबू गाड़े हैं, साथ ही खंदक खोदने का काम भी चीनद्वारा चल रहा है। इसके लिए कुछ ज़रूरी सामान भी यहाँ लाया गया है। इस भाग में गश्ती के लिए चीन ने हेलिकॉप्टर्स ड्रोन तैनात किये होने कीं ख़बरें आ रहीं हैं।

भारतीय सैनिक भी चीन की इस घुसपैंठ की चाल को नक़ाम करने के लिए यहाँ डटकर खड़े हुए हैं। भारतीय सैनिकों ने गलवान नदी क्षेत्र में चिनी जवानों के सामने ही अपने तंबू बनाये हैं। गलवान क्षेत्र में चीन ने तैनाती बढ़ाने के बाद यहाँ भारतीय सैनिकों की तैनाती भी बढ़ायी गयी है। कुछ रिपोर्ट्स् के अनुसार, चीन ने लद्दाख से सटी सीमा के नज़दीक पाँच हज़ार अतिरिक्त सैनिक तैनात किये हैं; वहीं, कुछ ख़बरों के अनुसार, चीन ने १० हज़ार सैनिक तैनात किये होने के दावें किये जा रहे हैं।

मंगलवार को चीन की सरकार का मुखपत्र होनेवाले ‘ग्लोबल टाईम्स’ में पूरा गलवान क्षेत्र चीन का भाग होने का दावा किया गया। साथा ही, भारत जानबूझकर विवाद निर्माण कर रहा है और गलवान क्षेत्र में चीन के इलाक़े में रक्षाविषयक सुविधा का निर्माण कर रहा है, ऐसा आरोप इस दैनिक ने किया है। इस कारण, इसका जवाब देने के सिवाय चीन को अब कोई चारा ही नहीं रहा है, ऐसा दावा भी चीन के इस मुखपत्र ने किया है। गलवान क्षेत्र से शुरू हुआ यह विवाद यानी भारत की सुनियोजित साज़िश होकर मई महीने की शुरुआत से ही भारतीय सैनिकों ने इस इलाक़े में घुसपैंठ शुरू की है, ऐसा आरोप भी ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने किया है।

          सन १९६२ के युद्ध की याद भी ‘ग्लोबल टाईम्स’ के इस लेख में करा दी गयी है। सन १९६२ में दोनों देशों की ताकत एक जैसी थी। लेकिन अब चीन का जीडीपी भारत के पाँच गुना है। भारत सरकार, भारतीय लष्कर, वहाँ के बुद्धीजीवी और माध्यम चीन के संदर्भ में अपनी समझ बढ़ायेंगे, ऐसी टिप्पणी ‘ग्लोबल टाईम्स’ के इस लेख में की गयी है। एक प्रकार से चीन ने भारत को युद्ध की धमकी दी है। इससे पहले भी ‘ग्लोबल टाईम्स’ में, भारत ने ही घुसपैंठ की होने के दावे किये गए थे।

         भारत और चीन के बीच किसी भी स्तर पर जब तनाव पैदा होता है, तब ग्लोबल टाईम्स और चीन की कम्युनिस्ट हुक़ूमत के अन्य मुखपत्र भारत को सन १९६२ के युद्ध की याद दिलाते हैं। सन २०१७ में डोकलाम में भारत और चीन के सैनिक जब आमनेसामने खड़े थे, तब भी चीन के माध्यम और नेता भी, भारत को सन १९६२ से भी अधिक मानहानिकारक पराजय झेलना पड़ेगा, ऐसी धमकियाँ दे रहे थे। लेकिन उसका भारतीय लष्कर के मनोबल पर अंशमात्र भी परिणाम नहीं हुआ था। आख़िरकार भारत के निर्धार के सामने चीन को झुकना पड़ा था। ऐसी ही परिस्थिति गलवान नदी क्षेत्र में फिर एक बार निर्माण हुई होकर, इस बार भी भारत चीन को मुँहतोड़ जवाब देता दिखायी दे रहा है।

         सीमा पर की परिस्थिति फिर से सामान्य हों, इसलिए दोनों देशों के लष्करों में छ: बार चर्चा हुई। लेकिन उससे कुछ भी हाथ नहीं लगा है। याहाँ शुरू किये बुनियादी सुविधाओं के विकास काम रोक दें और परिस्थिति ‘जैसे थे’ रखें, ऐसी शर्त चीन ने भारत के सामने रखी है। लेकिन भारत ने चीन की यह माँग ठुकरायी है।

           इस पृष्ठभूमि पर गतिविधियाँ तेज़ हुईं हैं। रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने रक्षादलप्रमुख जनरल बिपीन रावत, लष्करप्रमुख जनरल मनोज नरवणे, वायुसेनाप्रमुख एअर मार्शल राकेश कुमार सिंग भदोरिया और नौसेनाप्रमुख अ‍ॅडमिरल करमबीर सिंग के साथ चर्चा की। लद्दाख की सीमा पर की परिस्थिति का और सिद्धता का जायज़ा रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने लिया। चार ही दिन पहले, लष्करप्रमुख जनरल नरवणे ने लद्दाख की भेंट कर यहाँ मुआयना किया था। इस बैठक के कुछ ही घंटें बाद, प्रधानमंत्री ने एनएसए अजित डोवाल की उपस्थिति में सभी सेनाप्रमुखों से चर्चा की। प्रधानमंत्री मोदी ने विदेशसचिव हर्षवर्धन श्रृंगला के साथ भी स्वतंत्र बैठक की। साथ ही, बुधवार से लष्कर की कमांडो कॉन्फरन्स भी शुरू ह रही है।

            लद्दाख में सीमा के नज़दीक भारत द्वारा शुरू किया गया बुनियादी सुविधाओं का विकास भी चीन को रास नहीं आया है। इससे भारत की रक्षाविषयक क्षमता बढ़ेगी, इसका डर चीन को सता रहा है। साथ ही, कोरोनावायरस के संकट के बाद चीन में कारोबार चला रहीं बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ, बतौर विकल्प भारत को चुन रहीं हैं, यह भी चीन की बेचैनी के पीछे का प्रमुख कारण माना जाता है। इस कारण चीन तनाव बढ़ाकर भारत पर दबाव डाल रहा है, ऐसा विश्लेषकों का कहना है। इतना ही नहीं, बल्कि तैवान और हाँगकाँग के मसले में भारत अपने विरोध में भूमिका ना अपनायें, इसके लिए भी चीन यह दबाव डाल रहा है, ऐसा कुछ निरीक्षकों का कहना है। ‘पीओके’ पर भारत कार्रवाई करेगा, इस डर के कारण चीन सीमा पर तनाव बढ़ा रहा होने का दावा कुछ भारतीय विश्लेषकों ने किया है।

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