भारत ने रशियन ईंधन की खरीद काफी बढ़ाई

नई दिल्ली – फ़रवरी महीने में भारत ने रशिया से हर दिन १६ लाख बैरल्स से भी अधिक ईंधन तेल खरीदा। इससे पहले भारत को सबसे ज्यादा मात्रा में ईंधन तेल की आपूर्ति करने वाले देशों की सुचि में सौदी अरब और इराक का स्थान आगे था। लेकिन, फ़रवरी महीने में सौदी और इराक से आयात हो रहे कुल ईंधन से भी अधिक ईंधन की भारत ने रशिया से खरीद की है। इससे भारत की ईंधन कंपनियों को काफी लाभ प्राप्त होने की जानकारी सामने आ रही है।

ईंधन कारोबार पर नज़र रखने वाली वोर्टेक्सा कंपनी ने भारत और रशिया के ईंधन कारोबार की जानकारी साझा की। फ़रवरी महीने में भारत ने रशिया से हर दिन करीबन १६ लाख बैरल्स से भी अधिक ईंधन खरीदा है। यूक्रेन युद्ध से पहले भारत अपनी ज़रूरत का एक प्रतिशत से भी कम ईंधन रशिया से खरीद रहा था। लेकिन, यूक्रेन युद्ध के बाद अमरीका और यूरोपिय देशों ने रशियन ईंधन की निर्यात पर प्रतिबंध लगाए। इसके बाद रशिया ने भारत को सहुलियत की कीमत पर ईंधन आपूर्ति करने का प्रस्ताव दिया। इसका भारत ने पूरा लाभ उठाया है। मौजूदा समय पर सौदी अरब, इराक और अमरीका इन देशों को पीछे छोड़कर रशिया ही भारत को सबसे ज्यादा ईंधन आपूर्ति करनेवाला देश बना है।

यह जानकारी देते हुए वोर्टेक्सा ने यह कहा है कि, रशिया फिलहाल भारत की ज़रूरत के ३५ प्रतिशत ईंधन की आपूर्ति कर रही हैं। रशियन ईंधन की आपूर्ति बढ़ रही हैं और तभी सौदी से भारत को हो रही ईंधन की आपूर्ति १६ प्रतिशत और अमरीका से हो रही ईंधन आपूर्ति ३८ प्रतिशत कम होती दिख रही हैं। पिछले दशक पर गौर करें तो सौदी और इराक ही भारत को ईंधन की भारी मात्रा में आपूर्ति करने वाले देश थे। लेकिन, अब उनका स्थान रशिया ने प्राप्त किया है, ऐसा दावा वोर्टेक्सा ने किया।

भारत की ईंधन कंपनियां रशिया से प्राप्त ईंधन को शुद्ध करके भारी मुनाफा कमा रहे हैं, इस बात पर भी वोर्टोक्सा ने ध्यान आकर्षित किया। भारत के साथ जारी यह ईंधन कारोबार रशियन अर्थव्यवस्था का आधार बनेगा, यह पहले ही स्पष्ट हुआ था। इसी कारण रशिया से भारत ईंधन खरीद ना करे, इसके लिए अमरीका और यूरोपिय देशों ने दबाव बनाया था। अमरीका और यूरोपिय देश इसके लिए अभी भी भारत पर दबाव बना रहे हैं। लेकिन, देश के ग्राहकों को किफायती किमत पर ईंधन उपलब्ध कराने की ज़िम्मेदारी रखनेवाली भारत की राष्ट्रीय कंपनियां ईंधन खरीद करती हैं और उचित विकल्प निर्धारित करते हैं। इसमें सरकार दखलअंदाजी नहीं करती, यह भारत ने स्पष्ट किया था। साथ ही रशिया से किफायती कीमत से प्राप्त हो रहा ईंधन ठुकराना मुमकिन नहीं हैं, इसका अहसास भारत ने अमरीका के साथ यूरोपिय देशों को भी कराया है।

भारत पर अपनी दबाव नीति काम नहीं करती, यह जानने के बाद पश्चिमी देशों ने विभिन्न ढ़ंग से भारत-रशिया का ईंधन कारोबार रोकने की कोशिश की थी। रशिया से कोई भी प्रतिबैरल ६० डॉलर्स से अधिक दर से ईंधन खरीद ना करे, ऐसे प्रतिबंध अमरीका और यूरोपिय देशों ने लगाए थे। इन प्रतिबंधों का लाभ उठाकर भारत रशिया से अधिक कम कीमत पर ईंधन खरीद करे, ऐसा सुझाव अमरीका ने दिया था। लेकिन, भारत ने इसे अनदेखा किया है।

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