भारत-श्रीलंका कारोबार में होगा रुपये का इस्तेमाल – कारोबार में रुपये का इस्तेमाल करने के लिए तैयार देशों की संख्या हुई ५०

नई दिल्ली – श्रीलंका ने कारोबार में भारत के रुपये का इस्तेमाल करने की तैयारी दिखाई है और दोनों देशों के कारोबार से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बना डॉलर हट जाएगा। सिर्फ श्रीलंका ही नहीं, बल्कि रशिया, मॉरीशस, म्यांमार, मलेशिया, सिंगापुर, इस्रायल और जर्मनी ने भी भारत के कारोबार में रुपये का इस्तेमाल करने की गतिविधियां शुरू की है। इस कारोबार के लिए ‘स्पेशल रुपी वोस्त्रो अकाऊंट’ (एसआरबीए) खाता खोलनेवाले देशों की संख्या अब बढ़कर ५० हुई है। इस वजह से भारत का रुपये अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के तौर पर उभरता स्पष्ट दिखने लगा है।

यूक्रेन युद्ध के बाद अमरीका ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा डॉलर का हथियार की तरह इस्तेमाल किया था। इसके परिणाम खराब होंगे और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के तौर पर डॉलर ने प्राप्त किए स्थान को खतरा होगा, ऐसी चेतावनी आर्थिक विशेषज्ञों ने दी थी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी अमरीका को इसपर आगाह किया था। इसका असर दिखाई देने लगा है और रशिया के साथ कारोबार करने की मंशा रखने वाले देश अमरिकी डॉलर को बाजू करके रशिया के साथ स्थानीय मुद्राओं से कारोबार करने लगे हैं। इसमें भारत का भी समावेश है। रशिया से प्रचंड़ ईंधन खरीद रहे भारत ने कारोबार में रुपया-रुबल इस्तेमाल करने के लिए कदम बढ़ाए हैं।

इसके अनुसार रशियन बैंकों ने भारतीय बैंकों में ‘वोस्त्रो’ खाते शुरू किए हैं। रशिया के बाद अन्य देश भी भारत के साथ इसी तरह के कारोबार करने के लिए तेज़ कदम उठाते दिख रहे हैं। वोस्त्रो खाते शुरू करनेवाले देशों की संख्या अब ५० हुई है और भारतीय रुपये की विश्वासार्हता इससे प्रचंड़ बढ़ी हैं। इसी वजह से रुपया अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के तौर पर उभर रहा हैं, ऐसे दावे किए जा रहे हैं। विकसित देश भी भारत के साथ रुपये में कारोबार करने की तैयारी दिखाकर इसकी पुष्टि करते दिख रहे हैं।

दो देशों के कारोबार के लिए अमरिकी डॉलर का आजतक इस्तेमाल होता रहा है। डॉलर के अलावा यूरोपिय महासंघ की यूरोप भी आरक्षित अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनी थी। लेकिन, भारत के साथ व्यापार करने के लिए रुपये का इस्तेमाल शुरू होने से द्विपक्षीय व्यापार की स्थिति और गति बदल सकती हैं। रिज़र्व बैंक ने अन्य देशों को रुपयों के कारोबार करने में आसानी हो, इसके लिए आवश्यक प्रावधान किए हैं और इसके लिए बैंकों को आवश्यक आदेश दिए हैं। भारत को भारी मात्रा में निर्यात कर रहे देशों के लिए द्विपक्षीय व्यापार की ‘सरप्लस’ यानी अतिरिक्त राशि भारत सरकार के बांड़ में निवेश करने का आकर्षिक विकल्प भी रिज़र्व बैंक ने उपलब्ध कराया है। इससे भारत में हो रहा निवेश प्रचंड़ बढ़ सकता है।

अंतरराष्ट्रीय स्तके विख्यात कुछ ज़िम्मेदार आर्थिक विशेषज्ञों ने भारत का रुपया आगे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनेगा, ऐसा अनुमान व्यक्त किया था। यह प्रक्रिया शुरू भी हुई है, ऐसा इन आर्थिक विशेषज्ञों ने कहा था।

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