भारतमाला के अंतर्गत महामार्ग इंटरनेशनल ट्रेड पॉइंट्स से जोड़े जायेंगे- केन्द्रीय परिवहन मंत्री की घोषणा

नई दिल्ली: पड़ोसी देश के साथ व्यापार बढ़ाना है, तो अधिक सुलभता के लिए प्रमुख महामार्ग को अंतरराष्ट्रीय ट्रेड पॉइंट्स को जोड़ा जाएगा। इस के लिए २५ हजार करोड़ रुपयों की योजना बनाई गई है। केंद्रीय परिवहन और महामार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने रविवार को घोषित किया है। इस प्रकल्प के अंतर्गत २ हजार किलोमीटर के हाईवे बनाए जाने वाले हैं। वह मुख्य महामार्ग और ट्रेड पॉइंट से जुड़ जायेंगे, ऐसी जानकारी गडकरी ने दी है।

भारतमाला

अक्टूबर महीने में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ८३ हजार ६७७ किलोमीटर के महा मार्ग निर्माण करने की बड़ी योजना को मंजूरी दी थी। इस के लिए ७ लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाने वाले हैं। इस योजना के अंतर्गत ५ लाख ३५ हजार करोड़ का ‘भारतमाला’ यह महत्वाकांक्षी प्रकल्प है। इस के द्वारा भारत देश के सभी राज्य महामार्ग से जोड़े जाएंगे, यह महत्वकांक्षी महामार्ग प्रकल्प के अंतर्गत निर्माण होनेवाले प्रमुख हाय-वे कॉरिडोर और अंतरराष्ट्रीय ट्रेड पॉइंट को जोड़ने वाले २ हजार किलोमीटर का महामार्ग बनाएं जाएगा, ऐसा गडकरी ने कहा है।

भारत के पड़ोसी देशों के साथ व्यापार में बढ़त हो एवं व्यापार अधिक सुलभ हो इस के लिए प्रमुख महामार्ग अंतरराष्ट्रीय ट्रेड पॉइंट्स तक जोड़ने का निर्णय होने की जानकारी गडकरी ने  दी है। नेपाल, भूतान, म्यांमार और बांगलादेश इन भारत के पड़ोसी देशों की सीमा तक कि हमारा मार्ग पहुंचाने से इस देश के साथ व्यापार एवं परिवहन बढ़ेगा ऐसा दावा किया जा रहा है।

इस से पूर्व भारत एवं बांगलादेश और नेपाल के दौरान मोटार परिवहन करार की एमव्हीए को कार्यान्वित किया गया है। इस का करार के अनुसार ३ देशों में किसी भी प्रवासी एवं माल परिवहन के साथ अन्य वाहनों को परिवहन का अवसर प्राप्त होगा तथा इन ३ देशों में रेलवे तथा जल मार्ग परिवहन भी शुरू होने वाला है। दक्षिण एशियाई देशों के साथ अपना व्यापार एवं प्रभाव बढ़ाने की दृष्टि से भारत ने उठाया यह महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। भारतमाला प्रकल्प के अंतर्गत निर्माण होने वाले महामार्ग अंतरराष्ट्रीय ट्रेड पॉइंट्स को जोड़ने का निर्णय इस स्तर के आगे होनेवाले निर्णय स्पष्ट दिखाई रहे हैं।

दक्षिण एशियाई देशों के साथ अधिनियम एवं पूर्व एशियाई देशों के साथ कनेक्टिविटी बढ़ाने पर फिलहाल भारत पर जोर दे रहा है। कुछ दिनों पहले आसियान परिषद के बाद भारत ने सागरी हवाई एवं रास्ता मार्ग से आसियान देशों को जोड़ने के लिए १०० करोड़ डॉलर की कर्ज सहायता की घोषणा की थी। इस के सिवाय कंबोडिया, लाओस, म्यानमार एवं व्हिएतनाम को उत्पादन केंद्र बनाने के लिए भारत ने ७ करोड़ ७० लाख का विकास निधि भी घोषित किया है।

इस के अलावा भारत अन्य प्रकल्पों पर काम कर रहा है। ईरान के छाबर बंदरगाह को विकसित करने के बाद भारत को मध्य एशियाई देश एवं अफगानिस्तान के साथ व्यापार के लिए पाकिस्तान को दूर रखते हुए, नया मार्ग खुला है। छाबर बंदरगाह द्वारा रास्ते और रेल मार्ग से अफगानिस्तान को जोड़ने के लिए भारत ईरान को सहयोग कर रहा है। तथा छाबर बंदरगाह की वजह से इंटरनॅशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्टेशन कॉरिडोर भी (आईएनएसटीसी) जल्द ही खुला होने वाला है। इस के द्वारा ईरान तक समुद्री मार्ग और उसके बाद अफगानिस्तान, अर्मेनिया, अजरबेजान और रशिया तक राष्ट्रीय रेल मार्ग से माल परिवहन शुरू होगा। मुंबई से रशिया के सेंट पीटर्सबर्ग तक माल परिवहन मार्ग में जल्द ही शुरू होने की बात कुछ दिनों पहले प्रसिद्ध हुई थी।

भारत जापान मिलकर फ्रीडम कॉरिडोर यह विकसित कर रहा है। आशियां प्रशांत क्षेत्र से अफ्रीका तक वव्यूरचनात्मक दृष्टि से महत्वपूर्ण बंदरगाह एवं हवाई तल एवं अन्य मूलभूत प्रकल्प विकसित करने के लिए दोनों देश साथ मिलकर विविध प्रकल्पों पर काम कर रहे हैं।

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