एम्बेडिंग- ४

ब्लॉग को ‘सामान्य लोगों का समाचार पत्र’ भी कहा जाता है और इसके साथ ही लोकशाही के आनेवाले समय के प्रमुख आधारस्तंभ के रुप में भी इस ब्लॉग की ओर बड़ी उम्मीद से देखा जाता है।

ब्लॉग्स् के इस महत्त्व को ध्यान में रखकर ही हमने पिछले तीन भागों में ब्लॉग्स् एवं साईटस् के लिए महत्त्वपूर्ण लगनेवाली एम्बेडिंग की सुविधाओं के संबंध में जानकारी हासिल की। सामान्य नेटकरों (इंटरनेट का उपयोग करनेवालों) को अचंबित कर देनेवाले एम्बेडिंग के काफी भिन्न प्रकार भी हमने पिछले लेखों में देखे थे। एम्बेडिंग की ही यह शृंखला हम आज भी देखनेवाले हैं, स्वाभाविक है कि नये तरीके से, नये नज़रिये से।

फेसबुक का एम्बेडिंग

फेसबुक ने अब तक उसमें होनेवाले किसी भी पेज अथवा किसी के भी वॉल पर से ‘पब्लिक’ होनेवाले पोस्टस् एम्बेड करने की सुविधा मूलत: हम सभी के खाताधारकों के लिए उपलब्ध की है। इसके लिए बिल्कुल आसान उपाय है, जो पोस्ट हमें एम्बेड करना होता है, उसी के बगल में हमें जो ‘ड्रॉपडाऊन’ दिया गया होता है, उसमें ‘एम्बेड’ यह विकल्प भी दिया गया होता है।

embedding4- एम्बेडिंगउसपर क्लिक करने पर हमें एक एम्बेड कोड मिलता है, जिसे हम अपने साईट/ब्लॉग के एचटीएमएल विभाग में पेस्ट करके सीधे उसका उपयोग कर सकते हैं। इसके पश्‍चात् यह पोस्ट ‘पल्बिश’ करने पर एम्बेड करने की इच्छा रखनेवाला पोस्ट हमें अपने ब्लॉग/साईट पर दिखाई देने लगता है।

फेसबुक पर के पोस्टस् के साथ ही हमें फेसबुक का पूरा का पूरा ‘पेज’ भी अपने ब्लॉग/साईट के किसी एक विशेष पृष्ठ को ही हम एम्बेडिंग के लिए अलग से संभालकर रख देते हैं तब साईट पर मुलाकात देनेवालों के लिए भी वह अधिक सुविधाजनक साबित होगा।

फेसबुक पेज को एम्बेड करने के लिए हम फेसबुक पर होनेवाले ‘लाईकबॉक्स’ नामक अ‍ॅप का उपयोग कर सकते हैं। इस अ‍ॅप को खोलने पर हमें केवल जो चाहिए उसी (हमें अ‍ॅडमिनिस्टर न होनेवाले भी) पेज का पता (यूआरएल) भी देना पड़ता है। इसके पश्‍चात् हमें एम्बेडकोड (आयफ्रेमकोड) मिलता है। जिसे हम अपने साईट/ब्लॉग में होनेवाले एचटीएमएल विभाग में पेस्ट कर सकते हैं। इसके पश्‍चात्  ये पोस्ट ‘पल्बिश’ करने पर एम्बेड करने की इच्छा रखनेवाले फेसबुक के पेज हमें अपने ब्लॉग/साईट पर दिखाई देने लगते हैं। फेसबुक पेज एम्बेडिंग का लाभ फिलहाल मार्केटिंग के क्षेत्र में काफी बड़े पैमाने पर उठाया जा रहा है।

ट्विटर एम्बेडिंग

जिस तरह फेसबुक में होनेवाले पोस्टस् हम एम्बेड कर सकते हैं, बिलकुल उसी तरह से ट्विटर पर होनेवाले ट्विट्स भी हम अपने ब्लॉग/साईट पर एम्बेड कर सकते हैं और वह भी उसी समान पद्धतिनुसार। हर एक ट्विटस् के बगल में हमें एम्बेड करने की सुविधा दी गई होती है। इसमें से प्राप्त एम्बेड कोड का उपयोग करके हम किसी भी और किसी की भी ‘पल्बिक’ ट्विट्स को अपने ब्लॉग/साईट में एम्बेड कर सकते हैं। फेसबुक पेज के समान ही हम अपने ट्विटर की टाईमलाईन भी ब्लॉग/साईट पर एम्बेड कर सकते हैं, जिसके लिए हमें ट्विटर विजेट्स् का उपयोग करना पड़ता है।

फेसबुक एवं ट्विटर के समान ही यदि हमारे पास लिंक्डइन, यूट्युब, फ्लिकर आदि सोशल नेटवर्किंग साईट्स पर हमारा खाता है, तब भी हम अपने ब्लॉग/साईटस् में, ऊपर दिए गए पद्धतिनुसार दिए गए उन्हीं साईट पर होनेवाले, परन्तु समान ही रहनेवाले पद्धतिनुसार एम्बेड कर सकते हैं।

पिछले तीन एवं आज के लेख में भी हमने एम्बेडिंग के इतने सारे प्रकार इसलिए देखे हैं, क्योंकि किसी सामान्य मनुष्य को आज के इस अत्यन्त व्यस्त दिनचर्या में भी ऐसा महसूस होना स्वाभाविक है कि इतने विविध प्रकार के सोशल नेटवर्किंग साईट्स पर अपनी उपस्थिति बनाये रखने के लिए अथवा उसके अपने आप्तजनों को भी इसका कितना लाभ होगा? सच में देखा जाए तो लाभ होने की अपेक्षा समय और भी अधिक व्यर्थ हो सकता है। परन्तु विविध सोशल नेटवर्किंग साईट्स की विशेषताएँ, उन पर होनेवाले युजर्स के प्रोफाइल्स, उनका उद्देश्य एवं इसके कारण उसमें से हमें मिलनेवाला लाभ इन में काफी फर्क  होता है। इसी कारण विविध समयानुसार, उनके विविध ज़रूरतों के अनुसार हमें किस सोशल नेटवर्किंग साईट्स का उपयोग करना है और कितना उपयोग करना है यह यदि हम निश्‍चय कर लेते हैं, तब बिलकुल सामान्य नेटकर्ता को भी इसका काफी लाभ ज़रूर होगा, साथ ही समय बर्बाद होने की चिंता भी नहीं रहेगी।

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