जापान के प्रधानमंत्री एबे के रशिया दौरे में जापान और रशिया के बीच शांति अनुबंध और आर्थिक सहकारिता पर चर्चा

व्लादिवोस्तोक: ‘जापान और रशिया के बीच पिछले ७० साल में नहीं किया गया उतनी चींजों का आदानप्रदान एक साल में शुरू हुआ है। इसी तरह से अगले कुछ सालों में कदम उठाए गए तो जापान और रशिया में संबंधों का उज्जवल भविष्य वास्तव उतरने की बात देखने मिलेगी। उसके लिए दोनों देशों के बीच शांतता अनुबंध न होने वाली विचित्र स्थिति का अंत करना ही होगा। जापान और रशिया हाथों में हाथ डालकर दोनों देशों के बीच संबंधों का एक नया युग शुरू कर सकते हैं’, इन शब्दों में जापान के प्रधानमंत्री शिन्झो एबे ने रशिया के साथ संबंध अधिक मजबूत होने का आश्वासन दिया है।

जापान और रशियारशिया के व्लादिओस्तोक शहर में ‘ईस्टर्न इकोनोमिक्स फोरम’ इन दो दिनों के आर्थिक और व्यापार विषयक परिषद का आयोजन किया गया है। इसके लिए जापान, दक्षिण कोरिया, चीन और भारत के साथ करीब ५० देशों के ३,५०० से अधिक प्रतिनिधि रशिया में दाखिल हुए हैं। जापान के प्रधानमंत्री शिन्झो एबे, व्यापार मंत्री और प्रमुख उद्योजकों के शिष्ठ मंडल के साथ रशिया में दाखिल हुए हैं। गुरुवार को प्रधानमंत्री एबे साथ ही बाणिज्य मंत्री हिरोशिगे सेको ने ‘ईस्टर्न इकोनोमिक्स फोरम’ की बैठक को संबोधित करते हुए रशिया के साथ व्यापारी संबंध, शांति अनुबंध, उत्तर कोरिया जैसे कई मुद्दों पर अपनी भूमिका स्पष्ट की है।

रशिया की इस बैठक की पृष्ठभूमि पर प्रधानमंत्री एबे ने रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात की। इस साल में रशिया और जापान के प्रमुख नेताओं के बीच यह तीसरी मुलाकात है। इसके पहले अप्रेल माह में प्रधानमंत्री एबे ने रशिया को भेट दी थी। उसके बाद जुलाई माह में, ‘जी-२०’ समूह की बैठक की पृष्ठभूमि पर दोनों नेताओं की जर्मनी में मुलाकात हुई थी। पिछले साल रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने करीब ११ साल बाद जापान को ऐतिहासिक भेट दी थी। इस भेट के बाद दोनों देशों के बीच आर्थिक और व्यापारी सहकारिता के बलबूते पर द्विपक्षीय संबंध मजबूत करने के लिए आक्रामक कदम उठाए जा रहे हैं।

रशिया और जापान के बीच दूसरे विश्वयुद्ध के अंत से ‘कुरिल आयलैंड’ के हक़ को लेकर विवाद शुरू है। रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने जापान के साथ सहकारिता बढ़ाने की नीति अपनाने के बाद इस सन्दर्भ में चर्चा गतिमान हुई है। दोनों नेताओं ने पिछले महीने में हुई मुलाकात में ‘कुरिल’ के साथ आर्थिक संबंध मजबूत करने के लिए विशेष पहल की है। प्रधानमंत्री एबे ने रशियन राष्ट्राध्यक्ष को दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने के लिए आठ धाराओं की योजना का प्रस्ताव भी रखा था। रशिया ने उस मामले में सकारात्मक भूमिका लेने की बात कही जा रही है।

दोनों देशों के बीच पिछले १० महीनों में ८० से अधिक आपसी सुलह और व्यापारी अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। व्लादिओस्तोक परिषद की पृष्ठभूमि पर भी दोनों देशों के बीच करीब ४० अनुबंधों पर हस्ताक्षर होने की जानकारी सूत्रों ने दी है। इसमें तकनीक, स्वास्थ्य, पर्यटन, इंधन, कराधान, संयुक्त प्रकल्प के साथ कई क्षेत्र के अनुबंधों का समावेश है। जापान ने इसके पहले ही रशिया के विविध क्षेत्रों में अरबों डॉलर्स का निवेश करने के लिए हरी झंडी दिखाई है।

पिछले कुछ वर्षों में अमरीका और यूरोप के साथ संबंधों में तनाव निर्माण हो रहा है, ऐसे में रशिया ने चीन के साथ साथ एशियाई देशों के साथ संबंध बढाने के लिए शुरुआत की थी। चीन ने रशिया के इंधन और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अरबों डॉलर्स का निवेश किया है। लेकिन चीन की आर्थिक गिरावट की पृष्ठभूमि पर इस देश पर पूरी तरह से निर्भर न रहते हुए, जापान जैसे प्रमुख देश के साथ संबंध अधिक मजबूत करने की नीति रशियन राष्ट्राध्यक्ष अपना रहे हैं, यह प्रधानमंत्री एबे के साथ की हुई भेट से नजर आ रहा है।

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