चीनी जनता के आक्रामक प्रदर्शनों के बाद कम्युनिस्ट हुकूमत का ‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी’ शिथिल करने का निर्णय – राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग पीछे हटने के संकेत

बीजिंग – कोरोना का फैलाव रोकने के लिए अपनाई ‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी’ का विरोध करने के लिए चीनी जनता ने किए उद्रेक का संज्ञान लेने के लिए कम्युनिस्ट पाटीर्ओ आखिरकार मज़बूर हुई है। पिछले हफ्ते से सड़कों पर उतरकर तीव्र प्रदर्शन कर रही चीन की जनता के लिए जारी किए प्रतिबंध कुछ हद तक शिथिल किए जाने की बात सामने आ रही है। कम्युनिस्ट पार्टी ने बागड़ोर संभालने के बाद जनता का असंतोष सामने आने पर किया निर्णय पीछे लेने का यह पहला ही अवसर है। इस घटना ने पिछले महीने से ही कम्युनिस्ट पार्टी और चीन पर पुरा अधिकार पाने वाला जिनपिंग का नेतृत्व कमज़ोर होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं, यह दावा विश्लेषकों ने किया है।

‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी’ का सख्त कार्यान्वयन करने की वजह से हुए हादसे की वजह से चीनी जनता भड़ककर पिछले हफ्ते सड़कों पर उतरी थी। लगातार पांच दिनों से अधिक समय तक चीन के दस से भी ज्यादा प्रमुख शहरों में यह प्रदर्शन हो रहे थे। इसमें राजधानी बीजिंग के साथ, शांघाय और ग्वांगझोऊ जैसे प्रमुख शहरों का समावेश था। ऑनलाइन सेन्सॉरशिप और सुरक्षा बलों के माध्यम से दंड़ित करने की कोशिश भी चीनी जनता को रोक नहीं सकी। इस वजह से चीन की हुकूमत मे काफी बेचैनी बनी थी। चीन के मौजूदा एवं पूर्व अधिकारियों ने भी नए प्रदर्शन अभूतपूर्व घटना होने का बयान किया था।

इस पृष्ठभूमि पर बुधवार को चीन की हुकूमत ने ‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी’ के प्रतिबंध शिथिल करने का निर्णय किया, दिख रहा है। राजधानी बीजिंग, ग्वांगझोऊ, झेंगझोऊ और चोंकगिंग शहर में भी प्रशासन ने इससे संबंधित निर्देश जारी किए हैं। इसके अनुसार कोरोना के सौम्य आसार होने पर ‘क्वारंटाईन सेंटर’ जाने के बजाय घरों में ही रुकने की अनुमति दी गई है। कु शहरों में स्कूल और अन्य कारोबार शुरू किए गए हैं और समारोह के आयोजन की भी अनुमति दी गई है। एि साल के शुरू से पूरे देश में प्रतिबंध शिथिल होने से सभी कारोबार शुरू होंगे, यह संकेत भी दिए गए हैं।

पिछले दो महीनों से चीन की राजधानी बीजिंग समेत अन्य प्रमुख शहरों में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा फिर से बढ़ना शुरू हुआ था। इससे चीन की सरकार ने ‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी’ के तहत लगाए प्रतिबंध अधिक सख्त किए थे। कई हिस्सों में लॉकडाऊन का अवधि भी बढ़ाया गया था। रिहायशी इलाकों में जगह जगह पर अड़ंगे बनाकर नागरिकों की गतिविधियां पूरी तरह से बंद की गई थी। ऐसे में झिंजिआंग में आग के हुए हादसे में लोगों की जाने गई और इसके लिए कोरोना के प्रतिबंध ज़िम्मेदार होने की बात स्पष्ट होने से लोगों का गुस्सा फुटा।

इस उद्रेक के बाद शुरू के दो दिनों में चीन की यंत्रणाओं ने काफी आक्रामक भूमिका अपनाकर प्रदर्शनों को कुचलना शुरू किया था। लेकिन, इसके बावजूद लोग सड़कों पर उतरते रहने से हुकूमत एवं सुरक्षा बलों को झटका लगा? नागरिकों ने अड़ंगे हटाकर पथराव कनरे की घटना होने से चीनी हुकूमत को खुलेआम चुनौति मिलती देखी गई। साथ ही प्रदर्शनों में कम्युनिस्ट पार्टी और जिनपिंग विरोधी नारेबाज़ी होने की वजह से जनता का गुस्सा चरमस्तर पर पहुँचने के स्पष्ट संकेत प्राप्त हुए। आर्थिक स्तर पर सबकुछ ठिक ना होने की स्थिति में जनता का ऐसे गुस्सा फुटना खतरे की घंटी साबित हो सकती है, यह अहसास होने से राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग पीछे हटे होंगे, यह दावा विश्लेषक कर रहे हैं।

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