आतंकवाद को पनाह देनेवाले देशों को जिम्मेदार ठहराना चाहिए

संयुक्त राष्ट्रसंघ में भारत की माँग

syedसंयुक्त राष्ट्रसंघ, दि. २ (पीटीआय) – आतंकवादियों को बढावा देनेवाले और उन्हें पनाह देनेवाले राष्ट्र को जिम्मेदार ठहराया जाए, ऐसी माँग भारत ने संयुक्त राष्ट्रसंघ में की है। संयुक्त राष्ट्र संघ में आंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर आयोजित चर्चासत्र में भारतीय राजदूत अकबरुद्दीन ने पाकिस्तान का नाम ना लेते हुए यह माँग की। ‘आतंकवाद यह एक आंतरराष्ट्रीय समस्या बनकर फ़ैली हैं। इसके खिलाफ कौनसा भी एक देश ड़टकर मुकाबला नहीं कर सकता,  इसके लिए सभी देशों का सहकार्य अत्यावश्यक है’ ऐसा अकबरुद्दीन ने स्पष्ट किया।

किसी भी प्रकार के धार्मिक विश्वास या राजनीतिक उद्देश्य से अथवा समर्थन से आतंकवाद को सही नहीं ठहराया जा सकता है। आतंकवाद एक आंतर्राष्ट्रीय चुनौती है। इस आतंकवाद की वजह से कितने मासूमों की जाने जा रही हैं। ऐसी परिस्थिती में आतंकवाद को उत्तेजन देनेवाले और उन्हें पनाह देनेवाले देश को आतंकवाद के लिए जिम्मेदार ठहराना उचित होगा। इसके लिए कॉम्प्रिहेन्सिव्ह कन्व्हेंशन ऑन इंटरनॅशनल टेररिझम (सीआयटी) पर जल्द से जल्द अमल करने की आवश्यकता है, ऐसी माँग अकबरुद्दीन ने की है।

संयुक्त राष्ट्र संघ में ‘सीआयटी’ समझौते पर कई सालों से बहस शुरू है। आतंकवादी और उनके समर्थकों को, किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता या हथियार उपलब्ध कराना तथा आतंकवादियों को पनाह देना, इसके खिलाफ ‘सीआयटी’ में सख़्त प्रावधान किये गये हैं। लगभग बीस सालों से संयुक्त राष्ट्र संघ में इसपर चर्चा चल रहीं है। लेकिन दुनिया भर में आतंकवाद बड़े पैमाने पर फैलते हुए भी, ‘सीआयटी’ पर राष्ट्रसंघ के देशों का एकमत अबतक हुआ नहीं है। आतंकवाद की परिभाषा पर गंभीर मतभेद रहने के कारण अबतक यह प्रस्ताव मंजूर नहीं किया गया हैं। इस पार्श्‍वभूमि पर संयुक्त राष्ट्रसंघ में भारत द्वारा की गई माँग सबका ध्यान खींच रही है।

अभी तक ‘सीआयटी’ के उपर एकमत हुआ नहीं हैं। यह बहोत ही खेदजनक बाब हैं। दुनियाभर में आतंकवाद का खतरा मँडराता जा रहा हैं। ऐसे में संयुक्त राष्ट्रसंघ में आतंकवाद की नीती पर कोई भी असर नहीं पड़ा हैं, ऐसी चिंता अकबरुद्दीन ने जतायी हैं।  संयुक्त राष्ट्रसंघ के सभी सदस्य देशों ने आमसभा में इस मामले में एकता दिखाकर यह समझौता जल्द से जल्द पारित करने की कोशिश करनी चाहिए। ऐसा हुआ, तो ही पूरा आंतर्राष्ट्रीय समुदाय आतंकवाद के खिलाफ खड़ा हो गया हैं, ऐसा संदेश मिल सकता है, ऐसा कहकर अकबरुद्दीन ने संयुक्त राष्ट्रसंघ में आवाहन किया हैं।

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