ईंधन भंड़ारों की सुरक्षा के लिए ब्रिटीश सेना की सौदी में तैनाती

लंदन – ब्रिटेन ने सौदी अरब में ख़ुफ़िया तरीके से सेना की तैनाती करने की बात उजागर हुई है। सौदी के ईंधन भंड़ारों की सुरक्षा के लिए यह तैनाती की होने का खुलासा ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने किया है। लेकिन, ब्रिटेन की संसद को सूचित किए बगैर यह तैनाती की होने के कारण, प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन की आलोचना हो रही है। इसी बीच, ईरान के परमाणु वैज्ञानिक हुई हत्या, अमरीका के ‘बॉम्बर्स’ और विमान वाहक युद्धपोत की हुई तैनाती की वजह से खाड़ी क्षेत्र की स्थिति चिंताजनक बनी है। इस पृष्ठभूमि पर, सौदी में ब्रिटीश सेना की हुई तैनाती अब संवेदनशील मुद्दा बना है।

saudi-oil-fields-britainब्रिटेन के एक अख़बार ने, सौदी में की गई सेना की इस तैनाती की जानकारी सामने लायी है। ब्रिटेन की सेना की ‘रॉयल आर्टिलरी’ की १६ वीं रेजिमेंट के सैनिकों के साथ ‘जिराफ’ राड़ार यंत्रणा की सौदी में तैनाती होने की जानकारी इस अख़बार ने जारी की है। सौदी अरब की राजधानी रियाध में ब्रिटीश सैनिक और राड़ार यंत्रणा तैनात होने की बात इस खबर में कही गई है। फ़रवरी महीने से ही ब्रिटेन ने सौदी में यह तैनाती करना शुरू किया और प्रधानमंत्री जॉन्सन ने इस तैनाती की जानकारी छुपाई है, यह आरोप इस अख़बार ने किया है। प्रधानमंत्री जॉन्सन के विरोधकों ने इस खबर को बड़ी अहमियत देने के कारण, ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने खुलासा जारी किया है।

सौदी के ईंधन भंड़ारों पर हो रहें ड्रोन हमलों की वजह से, संवेदनशील आर्थिक और बुनियादी सुविधाओं की सुरक्षा करने के लिए सैनिक और राड़ार यंत्रणा की तैनाती करनी पड़ी, यह बात ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट की है। इनमें से ‘जिराफ’ राड़ार यंत्रणा की सहायता से ७५ मील दूरी तक के शत्रु के विमान, ड्रोन्स एवं मिसाइलों की खोज़ करना संभव होता है। इस यंत्रणा की तैनाती की वजह से, सौदी के ईंधन भंड़ारों पर होनेवाले हवाई हमलें रोकना संभव होगा, यह दावा ब्रिटीश रक्षा मंत्रालय ने किया है। साथ ही, यह तैनाती अभी पूरी नहीं हुई है और आनेवाले दिनों में सौदी में अधिक तैनाती की जाएगी, यह बात भी ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट की है।

पिछले वर्ष १४ सितंबर, २०१९ के दिन सौदी के अबकैक और खुरैस शहरों में स्थित अराम्को कंपनी के ईंधन प्रकल्पों पर हुए ड्रोन हमलों की मिसाल ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने दी है। अबकैक और खुरैस के ईंधन प्रकल्पों पर हुए हमलों की ज़िम्मेदारी येमन के हौथी बागियों ने स्वीकारी थी। लेकिन, सौदी ने इस दावे से इन्कार करके, ये हमलें ईरान ने किए थे, यह आरोप रखा था। इन हमलों की वजह से सौदी की ईंधन निर्यात पर बड़ा असर हुआ था। इन हमलों के बाद, सौदी के ईंधन भंड़ारों की सुरक्षा के लिए ब्रिटेन को यह निर्णय करना पड़ा, यह बात रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट की।

saudi-oil-fields-britainबीते कुछ महीनों से सौदी के ईंधन प्रकल्प, ईंधन भंड़ार एवं ऑयल टैंकर्स पर हमलें होने की घटनाएँ बढ़ीं हैं। येमन में मौजूद ईरान से जुड़े हौथी के विद्रोही, ड्रोन्स और बैलेस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल करके ये हमलें कर रहे हैं। सौदी और अरब मित्रदेशों ने हौथी के विद्रोहियों के हमलों पर ज़वाबी कार्रवाई भी शुरू की है।

इसी बीच, दो दिन पहले ही ईरान के वरिष्ठ परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फखरीज़ादेह की हत्या की गई। अपने वैज्ञानिक की हत्या के लिए इस्रायल और अमरीका ज़िम्मेदार हैं, यह आरोप करके ईरान ने इसपर प्रत्युत्तर देने की धमकी दी है। ईरान ने इस तरह से धमकाना शुरू किया है कि तभी अमरीका का विशाल विमानवाहक युद्धपोत ‘युएसएस निमित्ज़’ अपने पूरे बेड़े के साथ पर्शियन खाड़ी में तैनात हो रही है। कुछ दिन पहले ही अमरीका के ‘बी-५२ बॉम्बर’ विमान कतार में दाखिल हुए हैं।

ऐसें में ब्रिटेन की सेना सौदी में तैनात होने की जानकारी सामने आना ग़ौरतलब साबित हो रहा है।

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