सौदी अरब की ईंधन परियोजना नही, पहले अमरिकी लष्करी ठिकानों पर हमलें करने की ईरान की साजिश थी – अंतरराष्ट्रीय वृत्तसंस्था का दावा

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तर

लंदन – दो महीने पहले ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता आयातुल्ला खामेनी के आदेश पर ईरान ने सौदी अरब के ईंधन परियोजनाओं पर ड्रोन एवं मिसाइलों के हमलें किए थे| पर, सौदी के यह ईंधन परियोजनाएं ईरान का पहला लक्ष्य नही था| बल्की सौदी में स्थापित अमरिकी लष्करी अड्डों को लक्ष्य करने का उद्देश्य ईरान रख रहा था| पर, ठिक समय पर हमले का यह लक्ष्य बदला गया, यह जानकारी ईरान की सरकार और सेना से जुडे अफसर ने सामने रखी| अंतरराष्ट्रीय माध्यमों के साथ की बातचीत के दौरान यह जानकारी रखी गई है|

पिछले वर्ष अमरिका ने ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते से पीछे हटने का निर्णय किया था| इसके बाद अमरिका ने ईरान पर कडे प्रतिबंध भी लगाए थे| अमरिका के इन प्रतिबंधों से ईरान की अर्थव्यवस्था को झटके लगे और इससे अमरिका को सही जवाब देने की बात ईरान ने ठानी थी| इसी पृष्ठभूमि पर मई महीने में ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता आयातुल्ला खामेनी एवं चरमपंथी नेता और वरिष्ठ सेना अधिकारीयों की बैठक आयोजित की गई थी| ईरान के रिव्होल्युशनरी गार्डस् के प्रमुख मेजर जनरल हुसेन सलामी ने इस बैठक का नेतृत्व किया?था, यह जानकारी इस बैठक से संबंधित अफसर ने अंतरराष्ट्रीय वृत्तसंस्था को दी

इस बैठक में सौदी अरब में अमरिका के काफी अहम ठिकानों को लक्ष्य करने के लिए सहमति बनी थी| इसमें अमरिकी दूतावास के साथ ही लष्करी ठिकानों का समावेश था| अमरिकी सेना के ठिकानों की जानकारी प्राप्त करके हमलें के लिए समय भी तय किया गया था| पर, सौदी या अन्य अरब देशों में अमरिकी ठिकानों पर हमलें करने से खामेनी ने ऐस मौके पर इन्कार किया, यह जानकारी भी संबंधित अफसर ने दी| साथ ही सौदी में हमलें करते समय नागरिक और अमरिकी लोगों को लक्ष्य ना करने की खास सूचना खामेनी ने की थी|

सौदी अरब या अरब देशों पर किए ईरान के हमले में अमरिकी नागरिकों की मौत हुई तो इसके परिणाम ईरान को काफी लंबे समय तक भुगतने होंगे, यह एहसास आयातुल्ला खामेनी को हुआ था| अमरिका के साथ ही अरब देश और यूरोपिय देशों के विरोध का भी सामना करना होगा, यह जानकर खामेनी ने अमरिकी लष्करी अड्डे पर हमला करने के लिए विरोध किया| इस वजह से ईरान ने १४ सितंबर के रोज सौदी के अबकैक और खुरैस इन दो प्रमुख ईंधन परियोजनाओं पर हमलें किए|

इन हमलों में सौदी की ईंधन की निर्यात का बडा नुकसान हुआ| पर, इन हमलों के लिए ईरान ही जिम्मेदार होने का आरोप सौदी ने किया था| साथ ही ईरान के हमलें यानी पर्शियन खाडी में हो रही ईंधन की यातायात को खतरा बनाना है यह कहकर इस क्षेत्र की यातायात को सुरक्षित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय ईरान के विरोध में कार्रवाई करें, यह मांग सौदी ने की थी| इस घटना के बाद अमरिका ने इस क्षेत्र में अपनी विमान वाहक युद्धपोत, हवाई सुरक्षा यंत्रणा और अतिरिक्त सैनिक तैनात किए है और अगले दिनों में इस तैनाती में बढोतरी करने के संकेत भी अमरिकी लष्करी अफसर दे रहे है|

इसी बीच पर्शियन खाडी में अमरिका और ईरान के बीच सीधा मुकाबला होना मुमकिन नही होगा, यह बात पश्‍चिमी विश्‍लेषक कह रहे है| पर, अमरिका का मित्रदेश होनेवाले इस्रायल पर ईरान यकिनन हमलें कर सकता है, यह दावा अमरिकी विश्‍लेषक कर रहे है|

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