ऑस्ट्रलिया पर दबाव बनाने की ‘बिग टेक’ की कोशिश बर्दाश्‍त नही होगी – ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन का ऐलान

कैनबेरा – ‘फेसबुक ने ऑस्ट्रेलिया मेंशुरू सेवा बंद करने का किया निर्णय ‘बिग टेक’ कंपनियां अपने आप को सरकार से बड़ी समझकर उन्हें कोई भी नियम लागू नही होते हैं, इस भावना से वह क्या कर सकती हैं, यह दिखानेवाला स्पष्ट उदाहरण हैं। इस कृती ने अन्य देशों द्वारा ऐसी कंपनियों को लेकर जताई जा रहीं चिंता उचित होने की बात दिखाई हैं। लेकिन, संसद पर दबाव बनाने की एवं धमकाने की कोशिश ऑस्ट्रेलिया बर्दाश्‍त नही करेगी’, ऐसें तीखें शब्दों में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने फेसबुक को फटकार लगाई हैं। फेसबुक ने किए निर्णय पर अमरीका से भी तीव्र प्रतिक्रिया प्राप्त हुई हैं और फेसबुक की शर्ते स्वीकार करने के लिए किसी देश को घुटनें पर लाने के उद्देश्‍य से धमकाने की बात एकाधिकारशाही की कबुली साबित होती हैं, ऐसा इशारा संसदिय समिती के प्रमुख डेव्हिड सिसिलाईन ने दिया हैं।

‘बिग टेक’

ऑस्ट्रेलिया की नियामक यंत्रणा ‘ऑस्ट्रेलियन कॉम्पिटिशन ॲण्ड कन्झ्युमर कमिशन’ ने बीते वर्ष गुगल और फेसबुक जैसीं कंपनियों के लिए नए कानून तैयार किए थे। उन्हें कानूनी स्वरूप प्रदान करने के लिए ऑस्ट्रेलिया की संसद में ‘न्यूज मीडिया बार्गेनिंग कोड’ नामक विधेयक रखा गया हैं। इस विधेयक के अनुसार गुगल और फेसबुक कंपनी को अपने वेबसाईट पर प्रसिद्ध हो रहीं खबरों के लिए संबंधित अखबार एवं प्रसार माध्यमों को मोबदला देना होगा। ऐसा ना करने पर गुगल और फेसबुक से जुर्माना वसुलने का प्रावधान किया गया हैं। ऑस्ट्रेलियन संसद में दाखिल किए गए इस विधेयक पर फिलहाल चर्चा हो रही हैं।

इसपर सुनवाई जारी होते हुए कुछ हफ्ते पहले ही गुगल की ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैण्ड की प्रमुख मेलैनी सिल्व्हा ने ऑस्ट्रेलिया में गुगल की ‘सर्च’ सेवा बंद करना पड़ेगा, यह इशारा दिया था। लेकिन, इस बीच हुई बातचीत के बाद गुगल ने संबंधित विधेयक को होनेवाला अपना विरोध सौम्य किया हैं और कुछ दिन पहले ऑस्ट्रेलिया के एक अग्रीम प्रसारमाध्यम कंपनी के साथ समझौता भी किया हैं। लेकिन, फेसबुक ने अपनी अड़ियल और आक्रामक भूमिका कायम रखकर किसी भी तरह की सुचना किए बगैर ऑस्ट्रेलिया में शुरू अपनी सेवा गुरूवार से बंद की। इससे संबंधित जारी किए निवेदन में ऑस्ट्रेलिया सरकार ने पेश किए विधेयक की वजह से हम यह निर्णय करने के लिए मज़बूर होने की बात कही गई हैं।

‘बिग टेक’

लेकिन, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और वरिष्ठ मंत्रियों ने फेसबुक के विरोध में आक्रामक भूमिका अपनाकर प्रत्युत्तर दिया हैं। ‘ऑस्ट्रेलिया के साथ जारी मित्रता तोड़ने की फेसबुक की हरकत अडियल और बड़ी दुर्भाग्यवश साबित होती हैं। ‘बिग टेक’ कंपनियां अपने आप को सरकार से बड़ी समझती हैं और हमारे लिए कोई भी नियम लागू नही होता, ऐसा समझती हैं। इस मुद्दे पर विश्‍वभर में व्यक्त हो रही चिंता उचित होने की बात फेसबुक की इस कृति ने दिखाई हैं। यह कंपनियां विश्‍व को बदलने का दावा करती होगी, लेकिन इसका मतलब हमें विश्‍व को चलाने का अधिकार प्राप्त हुआ हैं, इस समझ में यह कंपनियां ना रहें। ‘बिग टेक’ कंपनियों की धमकियों से ऑस्ट्रेलिया ड़रेगी नही। इससे पहले ‘एमेझॉन’ जैसी कंपनी ने जारी की हुई धमकियों के सामने भी ऑस्ट्रेलिया नही झुका था’, यह बयान प्रधानमंत्री मॉरिसन ने किया हैं।

ऑस्ट्रेलिया के स्वास्थ्यमंत्री ग्रेग हंट ने फेसबुक की हरकत यानी सार्वभूम देश पर एवं जनता की आज़ादी पर किया आक्रमण होने की आलोचना की हैं। ऑस्ट्रेलिया के अर्थमंत्री जोश फ्रायडेनबर्ग ने भी फेसबुक ने बड़ी गलती की हैं, यह दावा करके कंनि की ऑस्ट्रेलिया में बनी प्रतिमा को हमेशा के लिए झटका लगा है, यह इशारा दिया। फेसबुक केइस निर्णय पर अमरीका के साथ अन्य देशों ने भी तीव्र प्रतिक्रिया दर्ज़ की हैं और फेसबुक जनतंत्र से सुसंगत ना होने की आलोचना अमरीका के वरिष्ठ सांसदों ने की हैं। सोशल मीडिया पर ‘डिलीट फेसबुक’ मुहीम शुरू होने की खबरें प्राप्त हो रही हैं और इसे बड़ा समर्थन प्राप्त होने के दावे भी किए जा रहे हैं।

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