भारत और चीन के बिच सशक्त और स्थिर संबंध दोनों देशों के हित के लिए आवश्यक- चीन का विदेश मंत्रालय

बीजिंग: भारत और चीन के बिच सशक्त और स्थिर संबंध दोनों देशों के बुनियादी हित के लिए आवश्यक साबित होंगे, ऐसा चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है। भारत के वायुसेना प्रमुख बी. एस. धनोआ ने वायुसेना एक ही समय पर चीन और पाकिस्तान का सामना करने के लिए तैयार है, ऐसा विधान किया था। उसके बाद चीन की ओर से यह प्रतिक्रिया आयी है।

भारत और चीन के बिच शुरू हुआ डोकलाम विवाद, भले ही सुलझा है ऐसा दिखाई दे रहा है, लेकिन चीन ने इस इलाके में नए सिरे से गतिविधियाँ शुरू की हैं। साथ ही डोकलाम अपनाही भूभाग है, ऐसा चीन की सेना ने फिर से घोषित किया है। इसी पृष्ठभूमि पर भारत के वायुसेना प्रमुख बी. एस. धनोआ ने वायुसेना एक ही समय पर चीन और पाकिस्तान का सामना करने की क्षमता रखती है, ऐसा स्पष्ट किया था। इसके लिए आवश्यक उतने विमानों की संख्या भारत के पास नहीं है, फिर भी भारत के पास पर्याय उपलब्ध हैं, ऐसा धनोआ ने कहा है।

इस पर प्रतिक्रिया देते समय चीन के विदेश मंत्रालय ने संयमी भूमिका अपनाई है, ऐसा दिखाई दे रहा है। ‘भारत और चीन एक दूसरे के महत्वपूर्ण पडौसी देश हैं। दोनों देश उभरती अर्थव्यवस्था और विकसित हो रहे बाजार हैं, ऐसे में दोनों देशों के बिच सशक्त और स्थिर संबंध दोनों देशों के बिच बुनियादी हित के लिए आवश्यक हैं’, ऐसा चीन के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है। इस के पहले डोकलाम विवाद के दौरान, भारतीय सेना प्रमुख रावत ने अपनी सेना एक ही समय पर चीन और पाकिस्तान का सामना करने के लिए तैयार है, ऐसा कहा था। उस समय चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी।

भारत ने सन १९६२ की हार का सबक लेना चाहिए, ऐसा चीन ने कहा था। इस पृष्ठभूमि पर वायुसेना प्रमुख के विधान पर चीन से आयी हुई प्रतिक्रिया बहुत ही सौम्य है। लेकिन यह प्रतिक्रिया देते समय भी चीन के विदेश मंत्रालय ने इतिहास का प्रमाण दिया है। सीधे भारत और चीन के बिच हुए १९६२ के युद्ध का उल्लेख चीनी विदेश मंत्रालय ने टाला है। उसके बजाए ऐतिहासिक प्रवाह का विचार करते हुए, भारत के रक्षा दल की जिम्मेदार व्यक्ति दोनों देशों के बिच उत्तम संबंध प्रस्थापित होने के लिए अनुकूल साबित होने वाली भूमिका लेंगे, ऐसा चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है।

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