राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहगारों की चीन के प्रतिनिधि से चर्चा

नई दिल्ली/बीजिंग: भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहगार अजित डोवल चीन में दाखिल हो कर, उन्होंने चीन के विशेष अधिकारी यांग चीएसे मुलाकात की| ‘डोकलाम’ का सीमा विवाद का जटिल विषय लेकर इस बैठक को महत्वपूर्ण माना जा रहा है| ‘डोकलाम’ पर चर्चा असंभव बताते हुए अजित डोवल के इस चीन दौरे से अधिक अपेक्षा ना रखे यह बात चीन के सरकारी माध्यम ने कही|

‘ब्रिक्स’ देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहगारों की बैठक चीन की राजधानी बीजिंग में आयोजित की गयी है और दो दिन की इस बैठक को लेकर अजित डोवल चीन में दाखिल हुए है| डोकलाम के सीमा विवाद का रूपान्तर युद्ध में हो जायेगा और सन १९६२ में हुए भारत की हार से ज्यादा बुरा पराजय भारत को झेलना पड़ेगा यह धमकियां चीन के सरकारी माध्यम एवं विदेश मंत्रालय से दी जा रही है| साथ ही भारत ने अपनी सेना को डोकलाम से पीछे लेने के बाद ही इस विषय पर राजनैतिक चर्चा होगी यह चीन ने आवाहन किया था, पर यह मसला राजनैतिक चर्चा से हल होगा इस बात पर कायम रहते भारत ने चीन के इस आवाहन को उपेक्षित किया था|

डोवल के चीन दौरे के पहले भी चीन ने डोकलाम की चर्चा से इनकार किया था| पर असल में चीन इस विषय पर चर्चा कर के डोकलाम में निर्माण हुए इस संकट  से अपनी रिहाई करने की तैयारी कर रहा है| डोवल ये ही डोकलाम के सीमा विवाद के जनक है यह आरोप करते हुए चीन के सरकारी माध्यमों ने उन से चर्चा असंभव है यह दावा किया था| पर चीन के विशेष प्रतिनिधि ‘यांग जिए’से डोवल से मुलाकात करके द्विपक्षीय चर्चा होने की खबर है| इसमें डोकलाम के विषय भी शामिल था यह जानकारी अब तक स्पष्ट समझ नहीं पायी|

दौरान, डोवल के इस चीन दौरे से डोकलाम से निर्माण हुआ तनाव के कम होने का विश्वास भारत से व्यक्त किया जा रहा था| चीन के एक दैनिक ने डोवल का यह दौरा विवाद मिटाने की एक अच्छा अवसर होने की बात कही है पर चीन फिर भी अपने सख्त भूमिका पर अड़े हुए आक्रामकता का प्रदर्शन कर रहा है| पर इस चर्चा के सभी दरवाजे बंद न करने के निर्णय लेने का चीन का संकेत है| भुतान के भूभाग में घुसकर रास्ता बनवाने का चीन ने प्रयास किया था| ऐसे स्थिति में भुतान के साथ खड़े होकर भारत ने चीन ने शुरू किए इस काम को रोक दिया था| भारत भूतान के लिए इतना कठोर कदम उठाएगा यह चीन को अपेक्षित नहीं था| इसी कारणवश चीन अजीब स्थिती में फंसने का दावा विशेषज्ञ कर रहे है|

भारत को चीन से मिली धमकियाँ एक मानसिक दबावयंत्र होते हुए चीन भारत के विरोध में लष्करी कारवाई नहीं करेगा यह विश्वास कई विशेषज्ञों ने जाताया| डोकलाम में भारतीय सेना ने रास्ता निर्माण का काम रोकने पर चीन ने युद्ध की धमकियाँ देते हुए तिबेट में सीधे टैंक, जहाजभेदी शस्त्र और बंकर उजाड़ने वाले टैंक तैनात कर दिए थे| जिस पर भारत पे दबाव बढेगा यह चीन का अनुमान था| पर चीन की रणनीति उसी पर भारी पड़ते हुए भारत ने किसी भी स्थिती में डोकलाम में सेना पीछे नही हटेगी यह कहते हुए चीन को चुनौती दी थी|

 

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