’पिनाका रॉकेट लौन्चर्स’ की खरीद के लिए २५८० करोड़ रुपयों का समझौता

नई दिल्ली – चीन के साथ बढ़ रहे तनाव की पृष्ठभूमि पर लष्करी सामर्थ्य में बढ़ोतरी करने के लिए जोरदार गतिविधियां जारी हैं। इसके तहत रक्षा मंत्रालय ने ११४ ‘पिनाका रॉकेट लौंचर्स’ की (छह पिनाका रेजिमेंटस्‌) खरीदने के लिए भारतीय कंपनियों के साथ २,५८० करोड़ रुपयों का सझौता किया है। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए सरकार ने इस क्षेत्र की निजी कंपनियों को प्रोत्साहित करने की कोशिश शुरू की है और यह समझौता इसी कोशिश का हिस्सा समझा जा रहा है।

pinakaबीते कुछ दिनों में भारत और चीन के बीच जारी तनाव काफी हद तक बढ़ चुका है। भारत ने चीन की हरकतों को लष्करी स्तर पर प्रत्युत्तर देने की तैयारी की है और इसके लिए रक्षाबल रक्षा यंत्रणाओं की तैनाती बड़ी मात्रा में बढ़ाई गई है। वर्तमान में लद्दाख के साथ ही चीन से जुड़ी नियंत्रण रेखा पर टैंक, तोप, मिसाइल विरोधी यंत्रणा, लड़ाकू विमान, हेलिकॉप्टर्स और अन्य रक्षा यंत्रणा तैनात किए गए हैं। छह पिनाका रेजिमेंटस्‌ की खरीद का निर्णय इसी नीति का अगला चरण है।

‘पिनाका’ ‘डीआरडीओ’ ने विकसित किया हुआ स्वदेशी ‘मल्टि बैरल मिसाइल’ है। ‘पिनाका मार्क १’ की मारक क्षमता ४० किलोमीटर और ‘पिनाका मार्क २’ की मारक क्षमता ७५ किलोमीटर है। पर्वतीय क्षेत्र में छिपे शत्रु को लक्ष्य करने की क्षमता भी पिनाका रखता है। भारतीय सेना के बेड़े में ‘पिनाका मिसाइल्स’ पहले ही तैनात किए गए है। वर्ष १९९९ में हुए कारगिल युद्ध में इस मिसाइल का प्रभावि इस्तेमाल किया गया था। यह सेना का असरदार और ताकतवर मिसाइल समझा जाता है।

‘पिनाका रेजिमेंट’ की आपूर्ति के लिए भारत अर्थ मुवर्स लि. (बीईएमएल), ‘टाटा पॉवर कंपनी लि.’ (टीपीसीएल) और ‘एलऐण्डटी’ के साथ समझौता किया गया है। इन छह ‘पिनाका रेजिमेंटस्‌’ में ऑटोमेटेड़ ’गन एमिंग ऐण्ड पोज़िशनिंग सिस्टिम’ (एजीएपीएस) के साथ ११४ लौंचर्स और ४५ कमांड पोस्ट्स की आपूर्ति टीपीसीएल और एलऐण्डटी कंपनियां करेंगी। वहीं इन रॉकेटस्‌ के वहन के लिए आवश्‍यक ३३० गाड़ियां बीईएमएल से खरीदी जाएंगी। रक्षा मंत्रालय से खरीदे जा रहे यह लौंचर्स देश की दोनों सीमाओं पर तैनात किए जाएंगे। भारत-चीन सीमा पर तनाव बढ़ने के दौरान ही पाकिस्तान की सीमा को अनदेखा नहीं किया जा सकता, यह एहसास रखकर पिनाका की खरीद का निर्णय होने की बात कही जा रही है। वर्ष २०२४ तक इन मिसाइलों की तैनाती पूरी होगी, यह संकेत रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने दिए हैं।

’मेक इन इंडिया’ को गति देने के लिए स्वदेशी कंपनियों से यह लौंचर्स खरीदे जा रहे हैं। इन कंपनियों के साथ हुए समझौतों के तहत ७०% स्वदेशी सामान का इस्तेमाल इस यंत्रणा के निर्माण में होगा। लौंचर्स खरीदने के लिए स्वदेशी कंपनियों के साथ समझौता करके देश में रक्षा सामान का निर्माण करने के लिए हो रही कोशिशों को मज़बूती प्रदान होगी। कुछ दिन पहले ही रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ के साथ ही ‘मेक फॉर वर्ल्ड’ का उद्देश होने का बयान करके रक्षा क्षेत्र की कंपनियों को प्रोत्साहन देने के लिए बड़े कदम उठाए जा रहे हैं, यह जानकारी साझा की थी।

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