विश्व को अब कहा आतंकवाद की भयावहता का अहसास हो रहा है – प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना

नई दिल्ली – विश्व को आतंकवाद की भीषण समस्या का अहसास अब कहा होने लगा है। लेकिन, भारत कई दशकों से सीमा के उस ओर से निर्यात हो रहे आतंकवाद के परिणाम भुगत रहा है। ऐसें तीखें शब्दों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की भूमिका रखी। आतंकवाद को पुरी तरह से अनदेखा करने की दुष्प्रवृत्ती पर सख्त शब्दों में प्रहार करते हुए प्रधानमंत्री ने बिखरा हुआ विश्व आतंकवाद का सामना नहीं कर सकता, यह चेतावनी दी। नई दिल्ली में आयोजित ‘जी २०’ देशों की संसद के सभापति के ‘पी २०’ सम्मेलन में प्रधानमंत्री बोल रहे थे।

विश्व को अब कहा आतंकवाद की भयावहता का अहसास हो रहा है - प्रधानमंत्री मोदी की आलोचनाहमास ने इस्रायल पर भीषण हमला करके बच्चे और महिलाओं पर अमानवी अत्याचार किए। इस हमले के महज कुछ ही घंटे बाद भारत ने यह एक आतंकी हमला है, यह कहकर इसकी कड़ी निंदा की और भारत इस कठिन समय में इस्रायल के साथ होने का ऐलान प्रधानमंत्री मोदी ने किया। इसके बाद विश्व भर के प्रमुख देशों ने भी ऐसी भी भूमिका अपनाई। इसका स्पष्ट ज़िक्र किए बिना प्रधानमंत्री मोदी ने ‘पी२०’ की बैठक में आतंकवाद की भीषण समस्या को अनदेखा कर रहें देशों की कड़ी आलोचना की।

भारत कई दशकों से सीमा के उस ओर से निर्यात हो रहे आतंकवाद का सामना कर रहा हैं, इसका अहसास भी प्रधानमंत्री ने इस दौरान कराया। भारत का नया संसद भवन देखने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिर्ला ‘पी २०’ के सदस्यों के साथ जाने वाले है। इस नए संसद भवन के करीब ही भारत के संसद की पुरानी वास्तू है। वहीं पर शुरू संसद के सत्र के दौरान आतंकवादी हमला हुआ था। संसद के सदस्यों का अपहरण और हत्या करने की साज़िश आतंकवादियों ने रचि थी। ऐसे आतंकी हमलों का सामना करके भारत ने यहां तक का सफर तय किया है। इस भयंकर समस्या का अब कहा विशव को अहसास होने लगा है, ऐसा प्रधानमंत्री ने कहा।

विश्व एक संघ नहीं होता है तो आतंकवाद का सामना करना संभव नहीं है, इसका स्पष्ट अहसास भी प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान कराया। संयुक्त राष्ट्र संघ में अभी भी आतंकवाद की व्याख्या करने पर मतभेद हैं और इससे आतंकवाद विरोधी कार्रवाई बाधित हुई ह। इसका लाभ आतंकवाद का इस्तेमाल कर रहे उठा रहे हैं, ऐसा अफसोस भी प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान व्यक्त किया।

सभी देशों के सांसद इस समस्या पर ध्यान दे, यह आवाहन भी प्रधानमंत्री मोदी ने किया। साथ ही जनतंत्र का उदय भारत में होने का बयान करके भारत भूमि जनतंत्र की जननी होने के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने ध्यान आकर्षित किया। ब्रिटेन में मैग्नाकार्ट के बाद जनतंत्र का उदय होने का विचार रूढ़ हुआ है। लेकिन, भारत में हजारों साल पहले लिखे ग्रंथों में जनतांत्रिक व्यवस्था का स्पष्ट जिक्र हैं। संसद की परंपरा के अनुसार संवाद और सोच-विचार करने के लिए इन ग्रंथों में विशेष स्थान दिया गया है, यह जानकारी भी प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान साझा की। ऋग्वेद में इसका ज़िक्र होने की बात प्रधानमंत्री ने स्पष्ट की।

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