ब्रिटन में श्वेतवर्णीय बहुसंख्यांक ही शरणार्थीयों में घुलमिले – इराकी-ब्रिटिश लेखिका की सलाह

लंदन: ब्रिटेन के शरणार्थि स्थानीय समाज में घुल मिल जाए, ऐसी सलाह देने के बदले ब्रिटेन के श्वेतवर्णीय बहुसंख्या में होने वाले समाज हममें घुल मिले ऐसी मांग इराकी ब्रिटिश वंश की लेखिका रुकाया इजिद्दीन ने की है। कुछ दिनों पहले ब्रिटेन के भूतपूर्व विदेश मंत्री बोरिस जॉनसन ने इस्लाम धर्मियों के वेशभूषा पर आलोचना करके खलबली फैलाई थी। इस पृष्ठभूमि पर इझिद्दीन ने किया यह विधान सभी का ध्यान केंद्रित कर रहा है।

एकीकरण अथवा घुलमिल कर रहना, यह बड़ी समस्या निर्माण करने वाली संकल्पना होकर, किसी कल्पित कहानी की तरह है, ऐसा दावा करके इझिद्दीन ने ब्रिटेन के साथ यूरोपीय देशों में शरणार्थियों के मुद्दे पर शुरू विवाद पर एक बार फिरसे ध्यान केंद्रित किया है। ब्रिटेन के भूतपूर्व विदेशमंत्री जॉनसन ने इस महीने की शुरुआत में लिखे एक लेख में इस्लाम धर्म में महिलाओं के बुरखे को लक्ष्य किया था।

ब्रिटन, श्वेतवर्णीय बहुसंख्यांक, शरणार्थीयों, घुलमिले, इराकी, ब्रिटिश, लेखिका, सलाह, लंदन, इस्लाम धर्मियजॉनसन ने इस लेख में किए टिप्पणी पर ब्रिटेन में खलबली फैली है और विविध मतप्रणाली व्यक्त हो रही है। इस पृष्ठभूमि पर फिलहाल मोरक्को में रहने वाले एवं वेल्स प्रांत में शिक्षा लेनेवाले इराकी ब्रिटिश वंश की लेखिका रुकाया इझिद्दीन ने सीधा उल्लेख ना करते हुए उसके विरोध में नाराजगी का सुर लगाया है। ब्रिटेन में रहते हुए एवं शिक्षा लेते हुए आएं अनुभवों का दाखिला देकर इझिद्दीन ने स्थानीय श्वेतवर्णी समाज से शरणार्थियों को दिए जाने वाले बर्ताव पर आलोचना की है।

अल्पसंख्याक शरणार्थियों ने स्थानीय समाज के साथ घुलमिल कर रहना चाहिए, यह मुद्दा किसी जादू की छड़ी की तरह लगातार लोगों पर बरसाया जाता है। पर समाज में दूसरों ने अपनाना चाहिये ऐसा लग रहा है तो, घुल मिलकर रहने के मुद्दे पर जोर देना, हमें छोड़ देना चाहिए। स्थानीय बहुसंख्यक समाज के कार्यक्रम में शामिल होने के बाद भी अल्पसंख्यक समाज को स्वीकारा नहीं जाता, ऐसा दावा इझिद्दीन ने किया है।

ब्रिटेन के साथ यूरोप में फिलहाल शरणार्थियों का मुद्दा बिगड़ा हुआ है और अधिकतम देशों में स्थानीय जनता के साथ आक्रामक राष्ट्रवादी गटों से शरणार्थियों के विरोध में कठोर भूमिका लेने की मांग तीव्र हो रही है। यूरोप में अनेक देशों में शरणार्थियों पर प्रतिबंध जारी किए हैं और यूरोपीय देशों में आश्रय लेने के लिए विभिन्न स्तर पर चुनौतियां देनी पड़ रही है, ऐसे स्वरूप के कायदे किए जा रहे हैं। इसमें स्थानीय भाषा मूल्य जैसे बातों का समावेश है।

पिछले कई दशकों में यूरोप में दाखिल हुए शरणार्थियों ने अनेक देशों में स्वतंत्र गट होने वाले वसाहत तैयार होने की बात सामने आई है और यह मुद्दा भी विवाद का विषय ठहरा है। इस पृष्ठभूमि पर शरणार्थियों की पृष्ठभूमि होनेवाली लेखिका ने स्थानीय लोगों को शरणार्थियों में मिलजुल कर रहने की सलाह देकर नया विवाद छेड़ा है। इस पर ब्रिटन से तीव्र प्रतिक्रिया उमड़ सकती है। इस प्रश्न पर पहले ही दबाव बढा है, ऐसे में ब्रिटेन के यंत्रणा के सामने नई समस्या निर्माण हो सकती है।

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