रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन का भारत को ‘संदेश’

मॉस्को – सन २०२१ में भारत और रशिया के बीच सभी स्तरों पर सहयोग अधिक ही दृढ़ होगा, ऐसा विश्‍वास रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन ने ज़ाहिर किया है। राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संदेश भेजकर ख्रिसमस तथा नये साल की शुभकामनायें दीं। भारत और रशिया के बीच विशेष साझेदारी है और आनेवाले समय में क्षेत्रीय तथा आन्तर्राष्ट्रीय मुद्दों पर दोनों देश एक-दूसरे के साथ अधिक सहयोग करेंगे, ऐसा विश्‍वास रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने व्यक्त किया है। भारत-रशिया के बीच सामरिक चर्चा स्थगित करने का निर्णय हुआ था। इससे दोनों देशों के संबंध बिग़ड़ चुके होने के दावें ठोककर, चीन और पाकिस्तान के माध्यमों ने खुशी ज़ाहिर की थी। लेकिन राष्ट्राध्यक्ष पुतिन का संदेश, भारत के दोनों पड़ोसी देशों के उत्साह पर पानी फेरनेवाला साबित हो रहा है।

रशिया के राष्ट्राध्यक्ष

कुछ हफ़्तें पहले रशिया के विदेशमंत्री सर्जेई लॅव्हरोव्ह ने भारत के ‘क्वाड’ में सहभाग पर टिप्पणी की थी। अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के ‘क्वाड’ में सहभागी होकर भारत चीनविरोधी मोरचे का भाग ना बनें, ऐसा लॅव्हरोव्ह ने कहा था। साथ ही, भारत की विदेश नीति की सार्वभूमता पर रशिया के विदेशमंत्री ने की टिप्पणी भारतीय राजनयिकों को ग़ुस्सा दिलानेवाली साबित हुई। हालाँकि उसपर रशिया के भारत में नियुक्त राजदूत ने लीपापोती करने की कोशिश की, लेकिन इससे यह आलोचना शुरू हुई कि रशिया भारत की सुरक्षा की ओर गंभीरता से नहीं देख रहा है।

लद्दाख की एलएसी पर आकस्मिक हमला करके चीन ने भारत के २० सैनिक शहीद किये थे। उसके बाद भारत में चीन के विरोध में ग़ुस्से की लहर उमड़ी थी। उसके पश्चात् भी चीन ने, लद्दाख की एलएसी पर बड़े पैमाने पर लष्कर तैनात करके भारत को उक़साया था। इसके बाद भारत ने, क्वाड में अधिक सक्रीय भूमिका अपनाने के संकेत देकर चीन को जवाब दिया था। भारत के इस फ़ैसले की आलोचना करते समय रशिया के विदेशमंत्री ने भारत के सुरक्षाविषयक हितसंबंधों पर ग़ौर नहीं किया है, इसका एहसास भारत ने गिनेचुने शब्दों में रशिया को करा दिया था।

विदेशमंत्री एस. जयशंकर ने, रशिया के साथ होनेवाले मित्रतापूर्ण संबंधों को भारत सर्वाधिक अहमियत देता है, यह स्पष्ट किया था। लेकिन अपनी सुरक्षा के लिए आवश्यक फ़ैसलें करना भारत के लिए अनिवार्य है, ऐसा कहते हुए जयशंकर ने रशियन विदेशमंत्री के ऐतराज़ों को जवाब दिया था। उसके बाद के समय में भारत और रशिया के बीच तय की गई सामरिक चर्चा स्थगित की होने की ख़बरें जारी हुईं थीं। इसका हवाला देकर चीन के सरकारी मुखपत्र ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने, भारत और रशिया के संबंध बिग़ड़ने के दावे किये थे। उपरी तौर पर हालाँकि दोनों देश यन मान्य नहीं कर रहे हैं, लेकिन दो दशकों से शुरू हुई यह चर्चा इस समय संपन्न नहीं हो सकी, यह बात बहुत कुछ बताती है, ऐसा ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने जताया था। पाकिस्तान के विश्‍लेषक भी ये दावें करने लगे हैं कि भारत और रशिया एकदूसरे दूर गये हैं और आनेवाले समय में रशिया भारत के विरोध में पाकिस्तान की सहायता करनेवाला है।

इस पृष्ठभूमि पर, रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने भारत के राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री को भेजे संदेश को बहुत बड़ा महत्त्व होकर, इससे चीन और पाकिस्तान के उत्साह पर पानी फेरा जाने की संभावना है।

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