कनाड़ा के बचाव के लिए भारत पर दबाव बढ़ाने के लिए अमरीका ने खेला दाव

वॉशिंग्टन – कनाड़ा ने निज्जर की हत्या के मामले में भारत के खिलाफ ल गाए आरोप गभीर हैं और इसकी जांच के लिए भारत सहायता करें, ऐसा आवाहन अमरीका ने फिर से किया है। अमरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने हमारे देश ने भारत से खुलेआम यह मांग करने की जानकारी साझा की। उससे पहले निज्जर की हत्या भारतीय गुप्तचर यंत्रणा ने करने की खुफिया जानकारी अमरीका ने ही कनाड़ा से साझा करने का दावा कनाड़ा में नियुक्त अमरीका के राजदूत ने किया था। इस वजह से इस मामले में अमरीका कनाड़ा के पक्ष में खड़ी होती दिख रही है। पाकिस्तान में नियुक्त अमरीका के राजदूत ने गिलगित-बाल्टिस्तान का दौरा किया हैं और यह भारत पर दबाव बनाने की अमरीका की एक और कोशिस होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। अमरीका की यह गतिविधियां भारत की आक्रामक राजनीतिक रणनीति से कनाड़ा की सरकार को बचाने के लिए होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

कनाड़ा के बचाव के लिए भारत पर दबाव बढ़ाने के लिए अमरीका ने खेला दावकनाड़ा के टोरंटो और वैन्कोवर में भारत के राजनीतिक दफ्तर के सामने खलिस्तान समर्थकों ने प्रदर्शन किए। इन प्रदर्शनों में महज सौ लोग मौजूद थे। लेकिन, कुछ दिन पहले तक मौन रहे कनाड़ा स्थित खलिस्तान समर्थकों ने यकायक प्रदर्शन शुरू करना अलग ही संकेत देते हैं। कनाड़ा और अमरीका भारत की आक्रामक राजनीतिक रणनीति के विरोध में वैसे ही आक्रामक जवाब दे सकते हैं, ऐसा संदेश इसके ज़रिये भारत को दिया जा रहा है। कनाड़ा के प्रधानमंत्री ट्रुडो ने निज्जर हत्या मामले में भारत पर आरोप लगाने के बाद गुस्सा हुए भारत ने कनाड़ा से इन आरोपों के सबुत मांगे थे। लेकिन, यह सबूत दिए बिना अमरीका और फाईव्ह आईज गुटों से प्राप्त सबुतों का दाखिला देकर कनाड़ा की सरकार इस मामले में भारत सहयोग करें, ऐसी फिजूल मांग कर रही हैं।

इस मामले को लेकर कनाड़ा के प्रधानमंत्री की दुनियाभर में बेइज्जती हो रही हैं और खलिस्तानी आतंकवादी कनाड़ा में क्या कर रहे थे, ऐसा सवाल अमरीका के पूर्व अधिकारी एवं विश्लेषकों ने किया है। साथ ही कोई भी जिम्मेदार देश इस मामले में कनाड़ा के पक्ष में खड़ा होने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसी स्थिति में अमरीका ने कनाड़ा की सरकार का बचाव करने की तैयारी दर्शायी हैं और भारत इस मामले को अधिक न खिंचे, इस मंशा से अमरीका कोशिश में लगी है। खास तौर पर संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा में भारत के विदेश मंत्री कनाड़ा के विदेश मंत्री से चर्चा करें और यह विवाद खत्म करें, इसके लिए अमरीका ने कोशिश करने के दावे किए जा रहे हैं। लेकिन, भारत ने इससे इनकार किया है और कनाड़ा पर राजनीतिक दबाव बनाए रखा है। कनाड़ा से भारत के खिलाफ कार्रवाई कर रहे खलिस्तान समर्थकों की सूचि भारत ने सार्वजनिक की। साथ ही इन आतंकवादियों की संपत्ति भी भारत ने जब्त की है।

भारत ने आतंकवादी करार दिए लोग कनाड़ा में मुक्त संचार कर रहे हैं और कनाड़ा की सरकार उन्हें अपने नागरिक बताकर सम्मानित कर रहे हैं, यह सच्चाई इससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने आयी है। अमरीका में भी ऐसे खलिस्तानी समर्थक मुक्त घुम रहे हैं और उन्हें अमरीका से रक्षा प्राप्त होने की बात छिपी नहीं रही। इस वजह से अमरीका अब कनाड़ा के बचाव के लिए आगे आती दिख रखी हैं। भारत अब इस मामले में अधिक आक्रामक राजनीतिक नीति न अपनाए और इस विवाद को खत्म करें, इसके लिए अमरीका अब अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर रही हैं। पाकिस्तान में नियुक्त अमरीका के राजदूत डोनाल्ड ब्लोम ने गिलगित-बाल्टिस्तान का दौरा करके भारत को उकसाया है। इसपर भारतीय माध्यमों बातचीत करते हुए भारत में नियुक्त अमरिकी राजदूत एरिक गार्सिटी इस विषय पर बयान करना हमारा अधिकार क्षेत्र में न होने का बयान किया है। कश्मीर विवाद का हल कोई तीसरा देश नहीं निकाल सकता, इस विवाद का हल भारत और पाकिस्तान ही चर्चा करके निकाले, ऐसी फटकार राजदूत गार्सिटी ने लगाई है।

भारत के पूर्व राजनीतिक अधिकारी एवं कुटनीतिक भी अमरीका इस विवाद में अब कनाड़ा के पक्ष में खड़ी होने के दावे कर रहे हैं। साथ ही खलिस्तानी आतंकवादियों को अपने देश में खुली छूट देकर उनका बचाव कर रहे अमरीका और कनाड़ा जैसे पश्चिमी देशों का ढ़ोंग इससे सामने आया हैं, ऐसी आलोचना भारतीय विश्लेषक कर रहे हैं। भारत को ‘जी २०’ परिषद में प्राप्त हुई कामयाबी, भारतीय अर्थव्यवस्था का बढ़ीया प्रदर्शन और चांद्रयान-३ की ऐतिहासिक लैंडिंग के मुद्दे पर अमरीका और अन्य पश्चिमी देश भारत की सराहना कर रहे हैं। लेकिन, वास्तव में इन देशों को भारत ने प्रगति करने की उम्मीद नहीं हैं, उन्हें सिर्फ भारत से लाभ प्राप्त करने हैं। इसी वजह से भारत पर दबाव बनाने के लिए कनाड़ा और अमरीका जैसे देश भारत की सार्वभूमता और अखंड़ता को चुनौती दे रहे अलगावादियों को गुप्त सहायता मुहैया कर रहे हैं। कनाड़ा के प्रधानमंत्री ने निज्जर जैसे आतंकवादियों का पक्ष उठाकर भारत पर लगाए झुठे आरोप एवं इसे अमरीका ने साथ करना यही साबित करता हैं, ऐसा भारतीय विश्लेषक कहने लगे हैं।

लेकिन, मौजूदा भारत पश्चिमियों की यह दमननीति बर्दाश्त नहीं करेगा। भारत को पश्चिमी देशों की ज़रूरत हैं, उससे कई गुना अधिक ज़रूरत पश्चिमियों को भारत की हैं। इस वजह से कनाड़ा के साथ जारी विवाद से भारत बिल्कुल भी पीछे नहीं हटेगा। क्यों कि, कनाड़ा के प्रधानमंत्री ने लगाए आरोप भारत की प्रतिष्ठा पर किया हमला है। इसपर जमकर प्रत्युत्तर देकर भारत इस कोशिश में लगे अन्य देशों को दो टूक लगाए, ऐसी मांग पूर्व सेना अधिकारी कर रहे हैं।

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