तैवान में ‘दूतावास’ शुरू करके अमरिका ने ‘वन चाइना’ नीति का उल्लंघन किया है – चीनी विदेश मंत्रालय का आरोप

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बीजिंग – ‘’अमरिका ने तैवान में अपने राजनीतिक अधिकारियों को भेजकर ‘वन चाइना पॉलिसी’ का उल्लंघन किया है। अमरिका ने तैवान के बारे में चीन को दिए वचन पर कायम रहना चाहिए और तुरंत अपनी चूक को दुरुस्त करना चाहिए। साथ ही इसके आगे अमरिका-चीन संबंधों को हानि पहुंचाने वाले, तैवान की खाड़ी में शांति और स्थिरता पर परिणाम करने वाली कार्रवाइयों से अमरिका दूर रहे’,’ ऐसी आलोचना चीन के विदेश मंत्रालय ने की है।

अमरिका ने मंगलवार को तैवान की राजधानी तैपोई में ‘अमेरिकन इंस्टिट्यूट ऑफ़ तैवान’ (एआईटी) इस सांस्कृतिक केंद्र की ईमारत का उद्घाटन किया है। लेकिन ‘एआईटी’ मतलब अमरिका का तैवान में अनौपचारिक दूतावास है, ऐसा कहा जाता है। तैवान को देश के तौर पर मान्यता देने के लिए अमरिका ने कदम बढ़ाना शुरू किया है और एआईटी का उद्घाटन इसीका ही हिस्सा दिखाई दे रहा है।

‘वन चाइना पॉलिसी’

तैवान में एआईटी के उद्घाटन की पृष्ठभूमि पर चीन ने अमरिका की आलोचना की है। तैवान अपना ही हिस्सा है और अमरिका ने चीन की अनुमति के बिना तैवान में राजनीतिक अधिकारी भेजकर ‘वन चाइना’ नीति का उल्लंघन किया है, ऐसा आरोप चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ‘गेंग शुआंग’ ने लगाया है। चीन के तैवान विषयक विभाग के प्रवक्ता ‘मा शियाओगुआंग’ ने भी अमरिका की आलोचना की है। किसी भी कारणवश अमरिका और तैवान के अधिकारियों के बीच मुलाकातों को चीन का विरोध रहेगा, ऐसा शियाओगुआंग ने कहा है।

उसीके साथ ही शियाओगुआंग तैवान को भी फटकार लगाई है। ‘अमरिका और उत्तर कोरिया के नेतृत्व के बीच हाल ही में पूरी हुई चर्चा की वजह से दोनों देशों के बीच संबंध सुधरेंगे ऐसी अपेक्षा है। लेकिन इस तरह की चर्चा चीन और तैवान के बीच नहीं हो सकती, इस बात को तैवान ध्यान में रखे’, ऐसी चेतावनी शियाओगुआंग ने दी है। दौरान, तैवान के भूभाग पर अपना राजनीतिक हक़ होने का दावा चीन कर रहा है। लेकिन तैवान की राष्ट्राध्यक्षा ‘त्साई ईंग-वेन’ ने चीन के इस दावे को ख़ारिज करके तैवान को स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता प्राप्त करके देने के लिए जोरदार गतिविधियाँ शुरू की हैं।

साथ ही ‘त्साई ईंग-वेन’ ने तैवान के अमरिका के साथ सहकार्य बढाने के लिए विशेष महत्व दिया है। अमरिका के राष्ट्राधयक्ष पद पर आने के बाद डोनाल्ड ट्रम्प ने भी तैवान के पक्ष में और चीन के खिलाफ आक्रामक भूमिका ली है। इसका सकारात्मक परिणाम अमरिका-तैवान संबंध पर हुआ है।

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