ईरान के युरेनियम मेटल विषयक फैसले की अमरीका, युरोपीय देशों ने की ज़ोरदार आलोचना

uranium-metal-iran-european-countries-2तेहरान/वॉशिंग्टन/लंडन – २० प्रतिशत शुद्धता के संवर्धित युरेनियम मेटल का निर्माण करने का ऐलान ईरान ने किया। शांतिपूर्ण कार्यक्रम के लिए युरेनियम मेटल का निर्माण करने का दावा ईरान कर रहा है। लेकिन ईरान का यह फैसला सन २०१५ के परमाणु समझौते की एक और नियम का उल्लंघन साबित होता है। इससे वियना में जारी चर्चा को झटका लग सकता है, ऐसी आलोचना अमरीका और ब्रिटेन, फ्रान्स और जर्मनी इन युरोपीय देशों ने की। बता दें, २० प्रतिशत शुद्धता के संवर्धित युरेनियम मेटल का निर्माण, ईरान को परमाणु बम के निर्माण के नज़दीक ले जानेवाला साबित हो सकता है, ऐसा दावा किया जाता है।

अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग ने दो दिन पहले ईरान के फैसले की जानकारी सबसे पहले सार्वजनिक की। उसके बाद परमाणु ऊर्जा आयोग में नियुक्त ईरान के राजदूत काझेम घरीबाबादी ने उसकी पुष्टि की। साथ ही, २० प्रतिशत शुद्धता के संवर्धित युरेनियम मेटल का इस्तेमाल वैदिक के कारणों के लिए किया जाएगा कमा ऐसा घरीबाबादी ने स्पष्ट किया। ‘इससे ईरान के रेडिओफार्मास्युटीकल्स का दर्जा बढ़ेगा और परमाणु तंत्रज्ञान में ईरान एक प्रगत देश बनेगा’, ऐसा दावा घरीबाबादी ने किया।

ईरान के विदेश मंत्रालय ने भी संवर्धित युरेनियम मेटल के निर्माण का समर्थन किया। यह फैसला अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग के नियमों के अनुसार है, ऐसा विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद खातिबझादेह ने बताया। लेकिन ईरान के साथ परमाणु समझौते पर वियना में चर्चा कर रहे अमरीका, ब्रिटेन, फ्रान्स और जर्मनी इन देशों ने इसकी आलोचना की। रशिया ने भी ईरान के इस फैसले पर चिंता ज़ाहिर की है।

uranium-metal-iran-european-countries-1अमरीका के विदेश मंत्रालय ने ईरान के इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। ‘ईरान की यह कार्रवाई परमाणु समझौते को छेद देनेवाली साबित होती है। संवर्धित युरेनियम मेटल के निर्माण का फैसला करके ईरान ने दिखा दिया है कि परमाणु समझौते के संदर्भ में होनेवाले उत्तरदायित्व के साथ ईरान का कुछ लेना देना नहीं है। परमाणु समझौते के लिए अमरीका की प्रामाणिक कोशिशें जारी हैं, ऐसे में ईरान का यह फैसला, वियना में चल रहीं चर्चा की कोशिशों को दिया झटका साबित होता है’, ऐसा दोषारोपण अमरीका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राईस ने किया। लेकिन उसी के साथ, सन २०१५ के परमाणु समझौते में फिर से लौट आने के लिए ईरान के पास अभी भी राजनीतिक चर्चा की खिड़की खुली होने के संकेत अमरीका के विदेश मंत्रालय ने दिए।

‘वियना में जारी चर्चा को मिल रही सफलता ईरान के इस फैसले के कारण खतरे में पड़ गई है। ईरान को युरेनियम मेटल पर संशोधन और उत्पादन की आवश्यकता नहीं है। इसके द्वारा ईरान केवल परमाणु बम के निर्माण की ओर कदम उठा रहा है। परमाणु समझौते का उल्लंघन करनेवालीं ये सभी गतिविधियाँ ईरान फौरन बंद करें और वियना में चल रही चर्चा सफल करने के लिए कोशिश करें’, ऐसा ब्रिटेन, फ्रान्स और जर्मनी ने संयुक्त निवेदन में कहा है।

बता दें, सन २०१५ में हुए परमाणु समझौते के अनुसार, अगले १५ वर्षों तक यानी सन २०३० तक युरेनियम मेटल का निर्माण ना करने की बात ईरान ने मान्य की थी। लेकिन पिछले साल के दिसंबर महीने में ईरान की संसद ने ही, इस्फाहन प्लांट में युरेनियम मेटल का निर्माण शुरू करने का प्रस्ताव पारित किया था। ऐसे इस २० प्रतिशत शुद्धता के संवर्धित युरेनियम मेटल का निर्माण किया, तो ईरान परमाणु बम निर्माण के करीब पहुँचेगा, ऐसा दावा अमरीका, युरोपीय देश तथा अन्तर्राष्ट्रीय विश्लेषक कर रहे हैं।

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