संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में भारत द्वारा युक्रेन का युद्ध फ़ौरन रोकने का आवाहन

संयुक्त राष्ट्रसंघ – भारत ने फिर एक बार युक्रेन में चल रहे हिंसाचार को रोकने का आवाहन किया है। संयुक्त राष्ट्रसंघ में नियुक्त भारत की राजदूत रूचिरा कंबोज ने सुरक्षा परिषद की बैठक में बात करते समय, इस युद्ध को रोकने के लिए रशिया और युक्रेन चर्चा करें, ऐसी माँग की। युक्रेन के युद्ध के परिणाम केवल युरोपीय देशों को ही नहीं, बल्कि सारी दुनिया को सहने पड़ रहे हैं। ख़ासकर विकासशील देशों के सामने इससे बहुत बड़ी आर्थिक समस्याएँ खड़ी हुईं हैं, इसका एहसास भारत की राजदूत कंबोज ने करा दिया। इसी बीच, सुरक्षा परिषद की बैठक में पहली ही बार भारत ने एक प्रस्ताव के दौरान रशिया के विरोध में मतदान किया होने की बात दर्ज़ हुई है। सुरक्षा परिषद की बैठक को युक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष ने विडिओ टेलिकॉन्फरन्स के द्वारा संबोधित करने के संदर्भ में रखे गये प्रस्ताव पर, प्रस्ताव के समर्थन में और रशिया के विरोध में भारत ने अपना मत दर्ज़ किया।

सुरक्षा परिषदयुक्रेन के युद्ध के छह महीने बीत चुके हैं। इस युद्ध में बच्चें, महिलाएँ और बुज़ुर्ग झुलस रहे होकर, कई लोग इस युद्ध में विस्थापित हुए हैं। केवल युरोपीय देश ही नहीं, बल्कि सारी दुनिया को इसकी आँच लग रही होकर, विकासशील देशों को अनाज तथा खाद (उर्वरक) की किल्लत इससे महसूस हो रही है। यह सब ध्यान में लेकर, युक्रेन के युद्ध को फ़ौरन रोकने की आवश्यकता है, ऐसा रूचिरा कंबोज ने कहा। इसके लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ में और राष्ट्रसंघ के बाहर भी प्रयास करना ज़रूरी होकर, ऐसे प्रयासों को भारत का पूरा समर्थन रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने, यह युद्ध रोकने के लिए रशिया और युक्रेन ठेंठ चर्चा करें, ऐसा सूचित किया था, इसपर भी कंबोज ने ग़ौर फ़रमाया।

युक्रेन के युद्ध के कारण निर्माण हुईं समस्याओं को सुलझाने के लिए भारत आन्तर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ सहयोग कर रहा है। भारत ने युक्रेन के लिए अब तक 11 चरणों में सहायता भेजी होकर, इसमें 97.5 टन इतनी मानवीय सहायता का समावेश है। युक्रेन के पड़ोस में होनेवाले रोमानिया, मालदोव्हा, स्लोव्हाकिया और पोलैंड इन् देशों के ज़रिये युक्रेनी जनता तक भारत की यह मानवीय सहायता प्रदान की जा रही है, ऐसी जानकारी कंबोज ने दी। युक्रेन के इन पड़ोसी देशों ने युद्ध शुरू होने के बाद, यहाँ पर फँसे हुए 22,500 भारतीयों की रिहाई के लिए भारत की सहायता की थी, इसका भी उल्लेख इस समय रूचिरा कंबोज ने किया।

रशिया और युक्रेन ये दुनिया का ‘ब्रेड बास्केट’ होनेवाले देश माने जाते हैं। कई देशों को रशिया और युक्रेन से गेहूँ, कॉर्न, बार्ली, सूरजमुखी का तेल तथा खादों की सप्लाई की जा रही थी। लेकिन युद्ध भड़कने के बाद इन दो देशों से होनेवाली यह सप्लाई खंडित हुई है। इससे कुछ देशों में अनाज की किल्लत पैदा हुई होकर, कुछ देशों में भूखमरी का संकट खड़ा होने की कगार पर है, ऐसे दावें किये जाते हैं। ऐसे दौर में भारत अपनी क्षमता का इस्तेमाल करके इन देशों पर आये संकटों से मार्ग निकालने की कोशिश कर रहा है। राजदूत कंबोज ने इसका भी ज़िक्र सुरक्षा परिषद में किये अपने भाषण में किया।

अफगानिस्तान, म्यानमार, सुडान तथा येमन इन देशों को भारत ने गेहूँ की आपूर्ति की है। साथ ही, कृषिक्षेत्र से जुड़े खाद तथा अन्य बातों का उत्पादन बढ़ाने के लिए भारत ने इसकी किल्लत दूर करने हेतु कदम उठाये हैं, ऐसी जानकारी कंबोज ने दी। इससे पहले भारत ने कई देशों को टीके और दवाइयों की सप्लाई की है। आनेवाले दौर में भी, संकट की घड़ी में भारत अनाज, स्वास्थ्य और ऊर्जा सुरक्षा के लिए दुनिया को अपना योगदान देता रहेगा, इसका यक़ीन कंबोज ने दिलाया।

इसी बीच, सुरक्षा परिषद को विडिओ टेलिकॉन्फरन्स के द्वारा संबोधित करने का मौक़ा युक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष झेलेन्स्की को देने के प्रस्ताव पर सुरक्षा परिषद में मतदान हुआ। रशिया ने इसपर ऐतराज़ जताया था। लेकिन रशिया को छोड़कर, सुरक्षा परिषद के सदस्य होनेवाले सभी देशों ने इस प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया। उनमें भारत का भी समावेश है। इससे युक्रेन के मुद्दे पर पहली ही बार भारत ने रशिया के विरोध में मतदान किया होने की बात दर्ज़ हुई है। युक्रेन का युद्ध शुरू होने के बाद अब तक भारत ने, सुरक्षा परिषद में रशिया के विरोध में मतदान करना टालकर अनुपस्थित रहने की नीति अपनाई थी। ऐसा होने के बावजूद, युक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष ने सुरक्षा परिषद को संबधित करना यह कुछ ख़ास बड़ी बात ना होकर, भारत ने इसके समर्थन में किये मतदान का, रशिया जैसे परिपक्व मित्रदेश के साथ रहनेवाले भारत के सहयोग पर असर होने की कतई गुंजाईश नहीं है।

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