एलएसी से सटे क्षेत्र में भारत-अमरीका युद्धाभ्यास पर चीन ने जताया ऐतराज़

बीजिंग – भारत और अमरीका की सेनाओं ने चीन की सीमा के पास आयोजित किये युद्धाभ्यास के कारण चीन बेचैन हुआ है। उसपर ऐतराज़ जताकर चीन ने भारत को सन 1993 और 1996 में किये सीमाविषयक समझौतों की याद दिला दी। इन समझौतों के अनुसार, भारत और चीन के सीमाविवाद में तीसरे देश की दख़लअन्दाज़ी बर्दाश्त नहीं की जायेगी, ऐसा चीन की ‘नॅशनल डिफेन्स मिनिस्ट्री’ के प्रवक्ता ने चेताया। भारत के साथ हुए सीमासमझौतों का लगातार उल्लंघन करनेवाले चीन को अब, इन समझौतों का हवाला देना पड़ रहा है, यह ग़ौरतलब बात है।

चीन की ‘नैशनल डिफेन्स मिनिस्ट्री’ के प्रवक्ता तान केफेई ने भारत और अमरीका के युद्धाभ्यास पर ऐतराज़ जताया। 8 अगस्त को हिमाचल प्रदेश में भारत और अमरीका की सेनाओं के बीच ‘वज्रप्रहार’ नामक युद्धाभ्यास संपन्न हुआ था। साथ ही, 14 से 31 अक्तूबर के दौरान, भारत और अमरीका की सेनाओं के बीच भव्य युद्धाभ्यास उत्तराखंड के अवली में आयोजित किया जानेवाला है। यह बात गंभीर है, यह बताकर केफेई ने, यह युद्धाभ्यास यानी भारत ने चीन के साथ किये सीमाविषयक समझौतों का उल्लंघन साबित होता है और इस प्रकार सीमाविवाद में तीसरे देश की दख़लअन्दाज़ी बर्दाश्त नहीं की जायेगी, यह भी आगे कहा।

आनेवाले समय में, दोनों देशों के बीच हुए सीमाविषयक समझौते का भारत सटीकतापूर्वक पालन करेगा, ऐसी उम्मीद केफेई ने ज़ाहिर की। अन्यथा इसके परिणाम संभव हैं, ऐसी चेतावनी भी उन्होंने दी है। लेकिन भारत फिलहाल तो चीन की चेतावनियों की परवाह करने की स्थिति में नहीं है। लद्दाख की एलएसी पर तनाव कम करने के लिए चीन इस क्षेत्र की एलएसी पर तैनात की सेना हटाएँ, ऐसी माँग भारत ने की थी। लेकिन यह माँग मान्य करने ले किए चीन तैयार नहीं है। चीन के इस अड़ियल रवैये के कारण, एलएसी पर का तनाव कम ना हो सका है। साथ ही, चीन भारत के साथ किये समझौतों का आदर न करके, उसका उल्लंघन कर रहा है। यही दोनों देशों के बीच बने सीमाविवाद का मूल है, इसका एहसास भारत के विदेशमंत्री ने करा दिया था।

ऐसी परिस्थिति में भारत ने अमरीका के साथ लष्करी अभ्यास का आयोजन करके चीन को एक और झटका दिया है। दुर्गम तथा पहाड़ी क्षेत्र के युद्ध में भारतीय सेना का हुनर संदेह से परे है। इसी कारण दुनियाभर के देश भारतीय सेना के इसी अनुभव का लाभ उठाने हेतु संयुक्त युद्धाभ्यास करने के लिए उत्सुक रहते हैं। महासत्ता होनेवाली अमरीका भी इसके लिए अपवाद (एक्सेप्शन) नहीं है, ऐसा बताया जाता है। ऐसी परिस्थिति में भारत और अमरिकी सेनाओं का, अपनी सीमा से सटे क्षेत्र में युद्धाभ्यास चीन को अत्यधिक बेचैन करा देनेवाला साबित हो रहा है। लेकिन दोनों देशों के लष्करी अभ्यास की व्याप्ति बढ़ रही होकर, आनेवाले दौर में भी चीन को भारत-अमरीका के ऐसे युद्धाभ्यासों को बर्दाश्त करने की तैयारी रख्ननी होगी।

इससे पहले, चीन के पाकिस्तान के साथ उभर रहे सहयोग पर भारत ने समय समय पर जताये ऐतराज़ को चीन ने पूरी तरह नज़रअन्दाज़ किया था। पाकिस्तानव्याप्त कश्मीर के भूभाग में चीन की सेना तैनात होने की ख़बरें जारी हुई थीं। भारत की सुरक्षा को बार-बार चुनौती देनेवाला चीन, अब जाकर भारत को सीमाविषयक सहयोग समझौतों की याद दिला रहा दिखायी दे रहा है।

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