अफ्रीका में रशिया का बढ़ता प्रभाव रोकने के लिए अमरीका की गतिविधियां

मास्को/वॉशिंग्टन – रशिया-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर ही अफ्रीकी महाद्वीप में रशिया का प्रभाव बढ़ने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इस वजह से अमरीका के साथ पश्चिमी देश भी बेचैन हुए हैं और उन्होंने रशिया का प्रभाव रोकने के लिए अपनी गतिविधियां भी शुरू की हैं। रशिया-चीन और अमरीका-यूरोप यह दोनों पक्ष अफ्रीकी देशों को अपनी ओर खींचने की कोशिश में लगे हैं। इससे अफ्रीकी महाद्वीप में नया शीत युद्ध शुरू हो सकता हैं, ऐसा दावा अमरिकी माध्यम कर रहे हैं।

रशिया में फिलहाल अफ्रीकी समिट शुरू हैं और लगभग ४० अफ्रीकी देशों के प्रमुख और वरिष्ठ अधिकारी इस परिषद के लिए उपस्थित हैं। यह बात अफ्रीका में रशिया का बढ़ता प्रभाव दर्शाती हैं। सोमवार को रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने इस परिषद को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने अफ्रीका अब नए बहुध्रुवीय विश्व के नेतृत्व का अहम हिस्सा होगा, ऐसी गवाही दी। रशिया अफ्रीकी देशों के सहयोग को हमेशा प्राथमिकता देगी, यह दावा भी पुतिन ने किया।

अफ्रीकी देशों को प्रदान हुए कर्ज़े में से २० अरब डॉलर्स का कर्ज़ रशिया मांफ कर रही हैं, यह ऐलान भी पुतिन ने किया। रशिया-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर हुई ‘ग्रेन डील’ को लेकर भी राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने अफ्रीकी देशों को आश्वस्त किया।

आनेवाले समय में रशिया यदि इस समझौते से बाहर हुई तो भी अफ्रीकी देशों को अनाज़ की मूफ्त आपूर्ति की जाएगी, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने कहा। रशिया और अफ्रीकी देश बाहर से थोपी जा रही उपनिवेशवाद की नई विचारधारा का विरोध करती हैं और सामाजिक तत्व सुरक्षित रखने की लगातार कोशिश में होने का दावा भी पुतिन ने इस परिषद में किया।

रशिया-यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद अफ्रीकी महाद्वीप के कई देशों ने गुटनिरपेक्ष नीति अपनाकर पश्चिमी गुट का साथ करने से इन्कार किया था। इसपर अमरीका समेत यूरोपिय देशों ने दबाव बनाने की कोशिश की और इसके बाद भी अफ्रीकी देशों ने अपनी भूमिका कायम रखी थी। इसी पृष्ठभूमि पर रशिया ने अफ्रीका में अपना प्रभाव अधिक मज़बूत करने की गतिविधियां शुरू की हैं। जनवरी महीने में रशिया के विदेश मंत्री सर्जेई लैव्हरोव्ह ने अफ्रीका का दौरा किया था। इसके बाद फ़रवरी महीने में रशिया का प्रगत युद्धपोत नौसैनिक युद्धाभ्यास के लिए दक्षिण अफ्रीका पहुंचा था।

ईंधन और रक्षा क्षेत्र के सहयोग के बलबूते पर रशिया ने अफ्रीका में सहयोगी देशों की संख्या बढ़ाना शुरू किया है। रशिया की नीति सुरक्षा कंपनी ‘वैग्नर ग्रुप’ ने अफ्रीका के कुछ देशों में अपने दल तैनात किए ैहं और इसके माध्यम से रशिया अपनी जड़ें यहां अधिक फैलाने की कोशिश कर रही हैं। यह बात अमरीका और यूरोपिय देशों को चूभ रही हैं और पश्चिमी देशों ने स्पष्ट तौर पर इसपर बयान करके आगाह करना शुरू किया है।

कुछ दिन पहले अमरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन ने अफ्रीका के नाइजर की अचानक यात्रा की थी। इस साल में किसी वरिष्ठ अमरिकी अधिकारी ने अफ्रीका का किया वह चौथा दौरा था। इस दौरान अमरीका ने इस देश के साथ साहेल क्षेत्र के लिए आर्थिक और रक्षा सहायता का ऐलान किया था। इसके बाद अमरीका ने अफ्रीका में चाड के राष्ट्राध्यक्ष की हत्या करने की साज़िश रशिया कर रही हैं, ऐसे दावे भी किए थे। इससे पहले अमरीका की वित्त मंत्री जैनेट येलेन और संयुक्त राष्ट्र संगठन में नियुक्त राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफिल्ड ने अफ्रीकी देशों की रशिया के साथ बढ़ रही नज़दियों को लेकर चेतावनी दी थी।

मराठी English

Leave a Reply

Your email address will not be published.