जर्मन यंत्रणाओ द्वारा तुर्की का जासूस गिरफ्तार – हमले की साज़िश नाकाम

बर्लिन/अंकारा – तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन के विरोधक होनेवालों पर जासूसी करके हमला करने की साज़िश जर्मन यंत्रणाओं ने ध्वस्त कर दी। इस मामले में तुर्की की गुप्तचर यंत्रणा के लिए काम करनेवाले एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया गया। तुर्की की एर्दोगन हुकूमत ने, इन विरोधियों को अपने कब्जे में देने के संदर्भ में जर्मनी पर दबाव डालने की कोशिश करके देखी थी। अब तुर्की ऐसे विरोधकों पर निगरानी करने के लिए जासूसी करने की बात सामने आने के कारण, जर्मनी और तुर्की के संबंध बिगड़ने की संभावना जताई जाती है।

german-police-turkey-spy-1जर्मन ‘एसईके स्पेशल फोर्स’ ने पिछले महीने में डुसेलडॉर्फ शहर के एक होटल पर छापा मारा। इस छापे में अली डी. इस ४० वर्षीय संदिग्ध को गिरफ्तार किया गया। उसके पास से काफी हथियार बरामद हुए हैं। अधिक तहकिक़ात के बाद, अली तुर्की की गुप्तचर यंत्रणा ‘एमआयटी इंटेलिजन्स सर्व्हिस’ के लिए काम कर रहा होने की बात सामने आई। अली जर्मनी के कोलोन इलाके में ‘गुलेन मुव्हमेंट’ के लिए काम करनेवाले अथवा उसके सदस्य होनेवालों की जानकारी इकट्ठा कर रहा था। इस गुट के लिए काम करनेवालों की हत्या करने की साज़िश भी उसने रची थी, ऐसी जानकारी सामने आ रही है।

फेतुल्लाह गुलेन तुर्की के प्रभावशाली धर्मगुरुओं में से एक होकर, इन दिनों उन्होंने अमरीका में आश्रय लिया है। तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन के मार्गदर्शकों में से एक के रूप में गुलेन का उल्लेख किया जाता है। लेकिन कुछ समय बाद उन दोनों में अनबन होने के कारण, राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने गुलेन और उनके संगठन को ‘आतंकवादी संगठन’ घोषित किया था। सन २०१६ में तुर्की में हुई नाकाम बगावत के पीछे गुलेन का हाथ होने का आरोप भी एर्दोगन ने किया है। उसके बाद एर्दोगन ने गुलेन समेत उनके गुट के विरोध में आक्रमक मुहिम हाथ में ली है।

german-police-turkey-spy-2पिछले कुछ सालों में तुर्की यंत्रणाएँ तथा राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन के समर्थकों ने अफ्रीकी तथा युरोपीय देशों में, गुलेन को समर्थन देनेवालों को लक्ष्य किया होने की बात भी सामने आई थी। जर्मनी में जासूसी और संभाव्य हमले की साज़िश भी इसी का भाग दिखाई दे रही है। युरोप में सर्वाधिक तुर्की वंशियों का वास्तव्य होनेवाले देश के रूप में जर्मनी जाना जाता है। जर्मनी में ७० लाख से अधिक तुर्की वंशीय निवास कर रहे हैं। इन तुर्की वंशियों समेत अन्य युरोपीय देशों में बसे तुर्की नागरिकों पर प्रभाव डालने के लिए राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने बाकायदा कोशिशें शुरू करने की बात सामने आई थी।

एर्दोगन की इन कोशिशों को युरोपीय देशों में से जोरदार विरोध भी हुआ था। युरोप के प्रमुख देशों ने तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने निर्माण किये इस नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए गतिविधियाँ भी शुरू कीं थीं। इस कार्रवाई के कारण युरोपीय महासंघ और तुर्की में तनाव भी निर्माण होने की बात सामने आई थी। इस पृष्ठभूमि पर, जर्मन यंत्रणाओं ने की कार्रवाई अहम साबित होती है।

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