तुर्की को नाटो से बाहर किया जा सकता है – नाटो के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी की कड़ी चेतावनी

वॉशिंग्टन – स्वीडन-फिनलैण्ड या तुर्की में से किसी एक को चुनने के लिए नाटो अभी मज़बूर नहीं हुई है। लेकिन, तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप तय्यीप एर्दोगन की स्वीडन-फिनलैण्ड संबंधी भूमिका पर काफी कुछ निर्भर होगा। राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने स्वीडन-फिनलैण्ड का नाटो में प्रवेश होने रोडा बनाए रखा तो नाटो से तुर्की को बाहर करने पर सोचा जा सकता है, ऐसी चेतावनी नाटो के पूर्व वरिष्ठ कमांडर जेम्स स्टॅव्रिडीस ने दी है। पिछले सात दशकों के इतिहास में पहली बार नाटो अहम मोड़ पर पहुँची है, ऐसा एडमिरल जेम्स स्टॅव्रिडीस ने अमरिकी अखबार के एक लेख में कहा है। रशिया-यूक्रेन युद्ध शुरू होते हुए स्वीडन-फिनलैण्ड यह नॉर्डिक देश नाटो में शामिल होने का इंतज़ार कर रहे हैं। तुर्की के अलावा नाटो के अन्य सदस्य देश इसके लिए अनुकूल हैं। तुर्की एकतरफा विरोध छोड़कर स्वीडन-फिनलैण्ड के नाटो प्रवेश को पूरा समर्थन दे। क्योंकि, तुर्की का यह विरोध रशिया के यूक्रेन पर हमलों के लिए सहायक साबित हो रहा है, ऐसा आरोप नाटो के पूर्व कमांडर स्टॅव्रिडीस ने लगाया।

नाटो से बाहरसोवियत रशिया के विघटन से पहले और बाद में भी तुर्की ने नाटो के लिए काफी बड़ी भूमिका अपनाई है, इसे नाटो के सदस्य देश अनदेखा नहीं कर सकते, इसकी याद स्टॅव्रिडीस ने दिलायी।

अफ़गानिस्तान में नाटो के अभियान के लिए तुर्की ने अपने सैनिक, विमान और विध्वंसक भी उपलब्ध कराए थे। लीबिया के मुहम्मद गद्दाफी विरोधी कार्रवाई में भी तुर्की ने अमरीका और नाटो की सहायता की थी, इसका ज़िक्र स्टॅव्रिडीस ने किया। तुर्की नाटो का अहम सहयोगी देश है और तुर्की में स्थित इंसर्लिक हवाई अड्डे और इज़मीर अड्डा नाटो के लिए काफी अहम हैं।

लेकिन, तुर्की ने कुछ मुद्दों पर अपनाई गई भूमिका नाटो विरोधी है, यह बयान भी स्टॅव्रिडीस ने ड़टकर किया। स्वीडन-फिनलैण्ड विरोधी तुर्की की भूमिका कुर्द द्वेष से प्रेरित होने की आलोचना नाटो के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों ने की। तुर्की ने आतंकी संगठन घोषित किए हुए कुर्दों को स्वीडन-फिनलैण्ड ने आश्रय दिया है। तुर्की की मांग के बाद भी स्वीडन और फिनलैण्ड अपने देश में मौजूद कुर्दों का हस्तांतरण करने के लिए तैयार नहीं हैं, इसकी वजह से तुर्की में गुस्सा है। इस विवाद का हल विरोध से नहीं बल्कि चर्चा से निकालने की जरुरत है। लेकिन, तुर्की को ऐसी चर्चा की जरुरत महसूस नहीं होगी, इस पर स्टॅव्रिडीस ने ध्यान आकर्षित किया।

नाटो से बाहरसाब ग्रिपेन जैसे पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का निर्माण लेने वाला स्वीडन और बहुत कम समय में रशिया की सीमा पर सैन्य तैनात करने की क्षमता रखने वाले फिनलैण्ड को नाटो में प्रवेश देना बड़ा ज़रूरी हो गया है। नाटो के अन्य सदस्य इसके लिए अनुकूल हैं। फिलहाल नाटो पर स्वीडन-फिनलैण्ड या तुर्की में से एक का चयन करने का समय नहीं आया है। लेकिन, राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने स्वीडन-फिनलैण्ड के प्रवेश के खिलाफ अपनी भूमिका कायम रखी तो जल्द ही नाटो के कुछ देश भी अन्य विकल्पों का विचार करने लगेंगे। संभवत:, तुर्की को नाटो से बाहर करने के बारे में भी सोचा जा सकता है, ऐसा इशारा स्टॅव्रिडीस ने दिया।

साल २००९ में एडमिरल स्टॅव्रिडीस को नाटो का सर्वोच्च सैन्य नेतृत्व दिया गया था। एडमिरल स्टॅव्रिडीस के नेतृत्व में ही अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा ने अफ़गानिस्तान और लीबिया में अभियान चलाए थे। स्टॅव्रिडीस ओबामा प्रशासन के विश्वस्नीय थे, यह दावा किया जा रहा है। इसकी वजह से स्टॅव्रिडीस के ज़रिये अमरीका ने ही तुर्की को चेतावनी देने का आगाज हो रहा है।

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