भारत की चेतावनी के बाद यूरोप के नौं देशों की ‘कोविशील्ड’ लगाए गए भारतीय नागरिकों को यात्रा करने के लिए अनुमति

नई दिल्ली – यूरोपियन महासंघ ने भारत में जारी टीकाकरण के तहत इस्तेमाल हो रहीं ‘कोविशील्ड’ और ‘कोवैक्सीन’ का समावेश अपने ‘ग्रीन पास’ योजना में नहीं किया था। इस वजह से भारत से नौकरी, शिक्षा एवं अन्य कारणों के लिए यूरोप जाने की मंशा रखनेवाले भारतीय नागरिकों को यूरोप जाना असंभव हो गया था। एक तरह से भारतीय नागरिकों को यूरोप में यात्रा करने पर पाबंदी लगाने वाला यह निर्णय था। भारतीय वैक्सीन का प्रमाणपत्र स्वीकारने से इन्कार करनेवाली यूरोपियन महासंघ की इस नीति की भारत ने कड़ी आलोचना की थी। साथ ही भारतीय नागरिकों को ‘कोविड ग्रीन पास’ प्राप्त नहीं हुआ तो भारत आने की मंशा रखनेवाले यूरोपियन नागरिकों को भी ‘ग्रीन पास’ प्राप्त नहीं होगा, यह इशारा भारत ने दिया था। इसके बाद यूरोपियन महासंघ के कुछ देशों ने ‘कोविशील्ड’ का टीका लगानेवाले भारतीय नागरिकों के टीकाकरण का प्रमाणपत्र स्वीकारने का निर्णय किया है। इस मुद्दे पर यूरोपियन देशों के मतभेद भी सामने आए हैं। 

कोरोना के संकटकाल में भी अंतरराष्ट्रीय यात्रा सामान्य करने के लिए ‘वैक्सीन पासपोर्ट’ का प्रस्ताव ‘जी ७’ की बैठक में रखा गया था। इसके अनुसार किसी भी देश में आने-जाने के लिए यात्रियों को टीकाकरण का प्रमाणपत्र अपने साथ रखना आवश्‍यक होगा, यह निर्णय यूरोपिय देशों के साथ अन्य कुछ देशों ने किया है। यूरोपियन महासंघ ने यूरोपियन मेडिसिन एजन्सी द्वारा मंजूरी प्रदान किए हुए वैक्सीन के टीके लगवानेवाले यात्रियों को ही यूरोप में यात्रा करने की सहुलियत प्रदान की है। इसे ‘ग्रीन पास’ कहा जा रहा है। भारत में लगाई जा रहीं ‘कोविशिल्ड’ और ‘कोवैक्सीन’ जैसी वैक्सीन्स का समावेश यूरोपियन महासंघ ने ‘ग्रीन पास’ में नहीं किया है। इस वजह से बड़ी समस्या निर्माण हुई है।

लाखों भारतीय यूरोपिय देशों में रहते हैं। साथ ही नौकरी, कारोबार एवं शिक्षा के कारणों से हज़ारों भारतीय यूरोपिय देशों की यात्रा करते हैं। यूरोपिय महासंघ ने भारतीय टीकाकरण के प्रमाणपत्र को ग्रीन पास के तौर पर स्वीकृति ना देने से भारतीयों का यूरोप जाना असंभव हो गया। खास तौर पर भारत में प्रदान हो रही ‘कोविशिल्ड’ वैक्सीन ब्रिटेन की ‘एस्ट्राजेनिका’ और ‘ऑक्सफर्ड’ ने मिलकर विकसित की हुई है और इस वैक्सीन के कई परीक्षण भारत के साथ यूरोपिय देशों में भी हुए हैं। ब्रिटेन समेत यूरोप के कई देशों में ‘कोविशील्ड’ का टीकाकरण भी हुआ है। इसके बावजूद भारत में प्रयोग हो रहीं ‘कोविशिल्ड’ का समावेश यूरोपिय यूनियन ने ग्रीन पास में ना करना आश्‍चर्यजनक बात है।

इस मुद्दे पर भारत लगातार यूरोपियन महासंघ से संपर्क बनाए हुए है। मंगलवार के दिन भारत के विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने ‘जी २०’ बैठक में यूरोपिय महासंघ के प्रतिनिधि जोसेफ बॉरेल के सामने भी यह मुद्दा उपस्थित किया था। भारत ने इससे पहले इस विषय पर यूरोपिय देशों को स्पष्ट चेतावनी भी दी। भारत को ‘कोविड ग्रीन पास’ प्राप्त हुआ तो ही यूरोप के नागरिकों को ग्रीन पास मिलेगा, यह स्पष्ट इशारा दिया गया था। भारत की दोनों वैक्सीन यूरोपियन महासंघ ने नहीं स्वीकारी तो भारत आनेवाले यूरोपियन नागरिकों को भी भारत में पहुँचते ही ‘क्वारंटाईन’ किया जाएगा। ‘क्वारंटाईन’ के नियम से इन्हें तभी छूट मिलेगी, जब भारत की दोनों वैक्सीन्स को यूरोप में स्वीकृति प्राप्त होगी, यह इशारा भारत ने यूरोपिय महासंघ को दिया।

इस पृष्ठभूमि पर यूरोपिय महासंघ के अफसरों ने भारतीय प्रमाणपत्र स्वीकारना है या नहीं, यह निर्णय महासंघ के सदस्य देश स्वतंत्ररूप से अपने देश के लिए कर सकते हैं, ऐसा कहा था। इसके बाद दो दिनों में नौं देशों ने ‘कोविशील्ड’ का टीका लगवाए हुए भारतीय यात्रियों को अपने देश में यात्रा करने की अनुमति प्रदान की है। यानी की, ‘कोविशील्ड’ के टीकाकरण का प्रमाणपत्र रखनवालों को इन देशों में इस प्रमाणपत्र का ‘ग्रीन पास’ के तौर पर इस्तेमाल करना मुमकिन होगा।

जर्मनी, ऑस्ट्रिया, स्लोवेनिया, ग्रीस, आईसलैण्ड, आयर्लैंड़ और स्पेन समेत स्वित्जर्लैंड़ ने ‘कोविशील्ड’ ने प्रमाणपत्र स्वीकारने का निर्णय किया है। ‘एस्टोनिया’ ने भी अब यह प्रमाणपत्र स्वीकारने की तैयारी दिखाई होने का वृत्त है। यूरोपिय महासंघ में २७ देश सदस्य है और अब तक ९ देशों ने ‘कोविशील्ड’ को मंजूरी प्रदान की है। यह भारत की राजनीतिक जीत मानी जा रही है। जल्द ही यूरोपियन महासंघ के अन्य देश भी भारतीय वैक्सीन का स्वीकार करेंगे और इसमें ‘कोवैक्सीन’ का भी समावेश होगा, ऐसी संभावना जताई जा रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.