आतंकवाद फैलानेवाले देशों को जवाबदेह ठहराना ही होगा – ‘ब्रिक्स’ परिषद में भारतीय प्रधानमंत्री की माँग

नई दिल्ली – ब्रिक्स देशों की वर्चुअल परिषद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद का मुद्दा उपस्थित करके पाकिस्तान समेत चीन के लिए बड़ी मुश्‍किलें खड़ी कीं हैं। आतंकवाद विश्‍व के सामने सबसे बड़ी चुनौती साबित होती है और आतंकवाद का समर्थन करनेवाले देशों को जवाबदेह ठहराना ही होगा, ऐसा आवाहन भारत के प्रधानमंत्री ने किया। इस दौरान रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने भारत की आतंकवाद विरोधी भूमिका का समर्थन करके चीन को झटका दिया।

brics-summitआतंकवाद विश्‍व के सामने खड़ी सबसे बड़ी चुनौती साबित होती है और आतंकवाद को बढ़ावा दे रहें देशों को जवाबदेह ठहराना ही होगा। इसके लिए आन्तर्राष्ट्रीय समुदाय को पहल करनी होगी, यह माँग प्रधानमंत्री मोदी ने बड़े आग्रह के साथ ब्रिक्स की इस वर्चुअल परिषद में रखी। साथ ही, आतंकवाद के विरोध में ब्रिक्स ने अबतक की हुई कार्रवाई का भी भारतीय प्रधानमंत्री ने दखल ली। अगले दिनों में ब्रिक्स का अध्यक्षपद भारत के पास रहेगा और उसका इस्तेमाल करके भारत ब्रिक्स की आतंकवाद विरोधी भूमिका एवं कार्रवाई अधिक तीव्र करेगा, यह भरोसा प्रधानमंत्री मोदी ने दिलाया।

इसी बीच, कोरोना वायरस की महामारी के दौरान भारत के औषधि क्षेत्र ने, विश्‍वभर के देशों को प्रदान की हुई सहायता का प्रधानमंत्री ने ब्रिक्स की परिषद में विशेष ज़िक्र किया। अपने औषधि निर्माण क्षेत्र की क्षमता की वजह से, भारत कोरोना के विरोध में विश्‍वभर के १५० देशों को औषधि प्रदान कर सका, यह बयान प्रधानमंत्री मोदी ने किया। कोरोना के संकट के दौरान ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान शुरू किया गया और इसे बड़ी कामयाबी मिली होने की बात प्रधानमंत्री ने साझा की।

संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद का विस्तार करना टालकर, भारत को स्थायी सदस्यता देने से इन्कार करनेवालों को प्रधानमंत्री ने इस दौरान लक्ष्य किया। संयुक्त राष्ट्रसंघ में सुधार आवश्‍यक होकर, उनके बिना यह संगठन प्रभावी नहीं होगा, यह चेतावनी भी प्रधानमंत्री ने इस दौरान दी। सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों में से अमरीका, रशिया, फ्रान्स और ब्रिटेन इन देशों ने भारत की स्थायी सदस्यता को समर्थन प्रदान किया है और सिर्फ चीन ही भारत का विरोध कर रहा है। इससे यह साफ़ होता है कि प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे को लेकर की हुई आलोचना चीन को सामने रखकर ही की थी। चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग की मौजुदगी में ही भारतीय प्रधानमंत्री ने की हुई इस आलोचना की बड़ी अहमियत बनती हैं, ऐसा माध्यमों का कहना है।

इसी बीच, इस परिषद में चीन के राष्ट्राध्यक्ष का ज़िक्र करने से दूर रहकर भारतीय प्रधानमंत्री ने काफी बड़ा संदेश दिया है, यह दावा विश्‍लेषक कर रहे हैं। लद्दाख की ‘एलएसी’ पर दोनों देशों में बने तनाव का यह असर हैं और चीन ने अपनी विस्तारवादी नीति का त्याग किए बगैर भारत के साथ संबंध पहले जैसे नहीं होंगे, यही संदेश भारत का राजनीतिक नेतृत्व इस माध्यम से दे रहा है।

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