माली में हुए आतंकी हमले में १० सैनिक मारे गए

बमाको – बुधवार के दिन आतंकियों ने सेंट्रल माली में किए हमले में माली के १० सैनिक मारे गए हैं। अल कायदा से जुड़े ‘जीएसआयएम’ नामक गुट ने यह हमला किया है, ऐसा दावा किया गया है। मात्र १० दिनों में माली की सेना पर हुआ यह दूसरा आतंकी हमला है और इससे पहले हुए हमले में छह सैनिक मारे गए थे। इस हमले की पृष्ठभूमि पर फ्रान्स की गुप्तचर यंत्रणाओं ने माली स्थित आतंकी गुट यूरोप में भी हमले कर सकते हैं, यह इशारा दिया है।

सेंट्रल माली के मोपती प्रांत में स्थित बोनी में तैनात सेना की टुकड़ी पर बुधवार की सुबह हमला किया गया। बख्तरबंद गाड़ियों से पहुँचे आतंकियों ने रायफल्स एवं ग्रेनेड्स की सहायता से माली के सैनिकों को लक्ष्य किया। इस हमले में १० सैनिक मारे गए और कम से कम छह लोग घायल हुए। बोनी में स्थित लष्करी अड्डे का नुकसान पहुँचा है और आतंकियों ने बड़ी मात्रा में हथियारों लूटे भी हैं, ऐसी जानकारी अधिकारियों ने प्रदान की।

मोपती प्रांत में बीते १० दिनों में हुआ यह दूसरा बड़ा आतंकी हमला है। रविवार २४ जनवरी के दिन मोपती प्रांत के ‘मोंदोरो’ और ‘बौल्केसी’ के लष्करी दलों पर हमले किए गए थे। इन हमलों में छह सैनिक मारे गए थे और १८ घायल हुए थे। इस दौरान माली सेना ने प्रत्युत्तर देने के लिए की हुई कार्रवाई में ४० आतंकी मारे गए थे। लेकिन, इस कार्रवाई के बाद आतंकी गुटों ने फिरसे लष्करी अड्डे को लक्ष्य करके अपनी ताकत दिखाई है।

बुधवार के दिन माली में हुए आतंकी हमले की पृष्ठभूमि पर फ्रान्स ने भी चिंता व्यक्त की है। फ्रेंच गुप्तचर यंत्रणा ‘डीजीईएस’ के प्रमुख बर्नार्ड एमी ने माली में मौजूद आतंकी गुट यूरोप में हमले करने की गतिविधियां कर रहे हैं, यह इशारा दिया। आयएस, अल कायदा और इन संगठनों से जुड़े गुट माली से फ्रान्स एवं फ्रान्स के सहयोगी देशों पर हमले करने की तैयारी में होने का इशारा एमी ने दिया है। बीते महीने में ही माली के आतंकी गुटों ने फ्रेंच लष्करी टुकड़ी पर किए हमले में दो सैनिक मारे गए थे।

बीते वर्ष माली में लष्कर और समर्थक गुटों ने विद्रोह करके राष्ट्राध्यक्ष इब्राहिम कैता की सरकार का तख्ता पलटा था। वर्ष २०१२ के बाद माली में लष्करी विद्रोह होने का वह दूसरा अवसर था। उस समय हुए विद्रोह का लाभ उठाकर तुआरेग विद्रोहियों का गुट और आतंकी संगठन ने देश के अहम शहरों पर कब्जा करने की कोशिश की थी। इस संघर्ष में उस समय की सरकार की सहायता के लिए फ्रान्स ने लष्करी दखलअंदाज़ी की थी।

इसके बाद माली में आतंकवाद को रोकने के लिए फ्रान्स के लष्करी दल के साथ संयुक्त राष्ट्रसंघ के शांति सैनिक और अमरीका के सलाहकार इस देश में दाखिल हुए थे। फिर भी बीते कुछ वर्षों में माली की सेना पर हो रहे आतंकी हमलों में लगातार बढ़ोतरी होने की बात सामने आयी थी। इस पर नियंत्रण प्राप्त करने में सरकार भी नाकाम हुई थी। बीते वर्ष हुए विद्रोह के बाद माली की सियासी अस्थिरता अब भी कायम है और इसका लाभ उठाकर आतंकी गुटों ने फिरसे अपने हमलों की तीव्रता बढ़ाई होने की बात बीते १० दिनों में हुए हमलों से दिखाई दे रही है।

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