पाकिस्तानी सेना में हो रही उथल-पुथल से हाफिज सईद के घर के करीब हुए बम विस्फोट की संदिग्धता बढ़ी

लाहोर – पाकिस्तान स्थित लाहौर के में हाफिज सईद के घर के करीब हुए बम विस्फोट के पीछे भारत पर आरोप लगाया जा रहा है। कुछ पाकिस्तानी पत्रकार इसके लिए भारत को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं, फिर भी इसके पीछे कुछ अलग ही बात के संकेत प्राप्त होने लगे हैं। कुछ दिन पहले पाकिस्तान के सेनाप्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा की हत्या की साज़िश पाकिस्तानी लष्करी अफसरों ने ही रचने की बात सामने आयी थी। इन अधिकारियों और कमांडोज्‌ को हिरासत मे लिया गया है और इसलिए पाकिस्तान में सनसनी मची है। ऐसी स्थिति में हाफिज सईद के घर के करीब हुए बम विस्फोट की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए भारत पर आरोप लगाना पाकिस्तानी सेना के लिए आवश्‍यक हुआ दिख रहा है।

बुधवार के दिन लाहौर में स्थित हफिज सईद के घर के करीब हुए बम विस्फोट में तीन लोग मारे गए और २१ घायल हुए थे। इस मामले में पंजाब पुलिस ने कुछ स्थानों पर छापे मारने की खबरें प्राप्त हो रही हैं। इस साज़िश से जुड़े एक की गिरफ्तारी होने की जानकारी भी साझा की जा रही है। इसी बीच पाकिस्तान के माध्यम इस बम धमाके के पीछे भारत के होने का आरोप लगाने लगे हैं। मुंबई पर २६/११ का आतंकी हमला करनेवाला हाफिज सईद भारत के निशाने पर था। अमरीका ने पाकिस्तान में घुसकर अल कायदा का प्रमुख ओसामा बिन लादेन को ढ़ेर किया था। उसी तरह भारत ने हाफिज सईद को ढ़ेर करने के लिए यह बम विस्फोट किया है, यह दावा करना पाकिस्तानी पत्रकारों ने शुरू किया है। इस दावे की पुष्टी करनेवाला एक भी सबूत या तार पाकिस्तान के माध्यम एवं पत्रकार पेश नहीं कर पाए हैं।

बुधवार के दिन हुए इस बम विस्फोट से पहले पाकिस्तान में काफी बड़ी उथल-पुथल की खबरें प्राप्त हो रही हैं। पाकिस्तान के सेनाप्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को रास्ते से हटाने के लिए पाकिस्तानी सेना अधिकारियों ने ही साज़िश रची थी। जनरल बाजवा २७ जून के दिन पाकिस्तान के कब्जेवाले कश्‍मीर में स्थित चकाल की यात्रा करनेवाले थे। इस यात्रा के दौरान उनकी हत्या करने की साज़िश सामने आयी और इसके बाद बड़ी कार्रवाई की गई। १९ जून के दिन रावलपिंड़ी में रात दस बजे के करीब पाकिस्तानी सेना के ६६ लोगों को पकड़ा। इनमें १४ अधिकारी, २२ कमांडोज्‌ और ३० सैनिकों का समावेश होने के दावे किए जा रहे हैं।

भारतीय माध्यमों में यह खबरें प्रसिद्ध हुईं थी। लेकिन, पाकिस्तान के माध्यमों ने खुद इन खबरों को प्रसिद्ध किए बगैर यह वृत्त प्रसिद्ध किया कि, ऐसी अफवाएँ फैलाई जा रही हैं। पाकिस्तानी सेना ने इसकी पुष्टी नहीं की है। लेकिन, जनरल बाजवा काफी पहले से असंतुष्ट लष्करी अधिकारियों के निशाने पर थे, इससे पाकिस्तानी सेना में दरार निर्माण होने की बात स्वीकारने के लिए पाकिस्तानी पत्रकार भी मजबूर हुए हैं। लेकिन, राष्ट्रीय माध्यमों पर इस बात की चर्चा किए बगैर सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के पत्रकार इस खबर पर अपने विचार दर्ज़ कर रहे हैं।

जनरल बाजवा ने ही इम्रान खान को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद पर बिठाया। उनसे अपना कार्यकाल तीन वर्ष के लिए बढ़ाकर जनरल बाजवा ने अपना आसन स्थिर किया। उनके कार्यकाल के डेढ़ वर्ष अभी शेष हैं। लेकिन, इस वजह से पाकिस्तान के सेनाप्रमुख होने की चाह रखनेवाले अन्य अफसरों के हिस्से में निराशा आयी है। ऐसे असंतुष्ट पूर्व अधिकारी बाजवा के विरोध में गतिविधियाँ कर रहे हैं। मौजूदा सेवा में कार्यरत अधिकारी भी जनरल बाजवा पर नाखुश हैं और उन्हें चुनौती देने की तैयारी में होने के दावे किए जा रहे हैं। ऐसे अफसरों को जनरल बाजवा ने सेवा से निवृत्त किया और उन्हें अपने रास्ते से हटा दिया। इसके साथ ही सेवानिवृत्ति के बाद प्राप्त होनेवाले लाभ भी इन अफसरों को जनरल बाजवा ने प्राप्त होने नहीं दिए हैं।

इस वजह से क्रोधित हुए इन अफसरों ने जनरल बाजवा को ही खत्म करने की साज़िश रची थी। इसकी काफी बड़ी गूंज पाकिस्तान में सुनाई पड़ी है। पाकिस्तानी सेना की एकता पर इसका असर पड़ने लगा है और जनरल बाजवा और ‘आयएसआय’ के मौजूदा प्रमुख जनरल फैज के बीच तनाव बढ़ने का वृत्त है। बाजवा के बाद फैज ही पाकिस्तान के सेनाप्रमुख होने के लिए उत्सुक हैं और इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री इम्रान खान के साथ डील करने के दावे भारत के पूर्व सेना अधिकारियों ने किए थे। इसी वजह से जनरल बाजवा बेचैन होने की बात भारत के पूर्व लष्करी अफसरों ने दर्ज़ की।

इस वजह से अगले दिनों में पाकिस्तानी सेना में आशंका और अस्थिरता निर्माण हो सकती है एवं इसके काफी बड़े परिणाम पाकिस्तान को भुगतने पड़ सकते हैं। फिलहाल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान के साथ अन्य वरिष्ठ नेता और अफसरों की सुरक्षा में काफी बढ़ोतरी की गई है। हाफिज सईद के घर के करीब हुए बम विस्फोट के बाद यह निर्णय होने का दावा किया जा रहा है। साथ ही इस विस्फोट के बाद पाकिस्तान की गुप्तचर संस्था ‘आयएसआय’ के मुख्यालय में प्रधानमंत्री इम्रान खान, जनरल बाजवा और जनरल फैज समेत अन्य वरिष्ठ अफसरों की बैठक हुई थी। इस बैठक के बाद जनरल बाजवा तुर्की के दौरे पर चले गए थे।

पाकिस्तानी सेना की यह गतिविधियाँ और अमरीका की अफ़गानिस्तान से होनेवाली सेना वापसी एवं तालिबान का आगे बढ़ना, यह घटनाएँ एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं, यह दावा कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर किया। अब तक पाकिस्तान ने अधिकृत स्तर पर अफ़गानिस्तान में हमले करने के लिए अमरीका को लष्करी अड्डा नहीं दिया है। इसके परिणाम पाकिस्तान को भुगतने पड़ेंगे और फिलहाल जारी गतिविधियाँ इसी की शुरूआत होने के संकेत पाकिस्तान के पत्रकार सोशल मीडिया द्वारा दे रहे हैं।

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