इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में नियमों पर आधारित व्यवस्था होनी चाहिए – भारत के रक्षामंत्री की चीन को फटकार

नई दिल्ली – इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अन्तर्राष्ट्रीय नियमों पर आधारित व्यवस्था कायम रहें, ऐसी उम्मीद भारत के रक्षामंत्री ने ज़ाहिर की। आसियान देशों के रक्षामंत्रियों के साथ हुई वर्चुअल बैठक को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग संबोधित कर रहे थे। चीन के बेतुके कारनामे यह इंडो-पैसिफिक चित्र में सबसे बड़ा संकट माना जाता है। ऐसी परिस्थिति में, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग ने, नियमों पर आधारित व्यवस्था का पुरस्कार करके चीन को लक्ष्य किया दिखाई दे रहा है। उसी समय, साउथ चाइना सी में चल रहीं गतिविधियाँ, इस क्षेत्र के देशों के साथ ही बाहर के देशों का भी गौर फरमा रहीं हैं, ऐसे सूचक शब्दों में भारत के रक्षामंत्री ने अपनी प्रतिक्रिया दर्ज की। चीन को लक्ष्य करते समय, आतंकवाद और कट्टरतावाद इनसे दुनिया को बहुत बड़ा ख़तरा हो सकता है, ऐसा कहकर राजनाथ सिंग ने ठेंठ नामोल्लेख ना करते हुए पाकिस्तान को फटकार लगाई। 

इंडो-पैसिफिक क्षेत्रबुधवार को आसियान के रक्षामंत्रियों की वर्चुअल बैठक संपन्न हुई। इसमें अमरीका, रशिया, चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूझिलंड, दक्षिण कोरिया के रक्षामंत्री भी सहभागी हुए थे। इस समय बात करते हुए भारत के रक्षा मंत्री ने इंडो-पैसिफिक का ज़िक्र करके, चीन से होनेवाले ख़तरे को लेकर भारत सतर्क होने का एहसास करा दिया। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में नियमों पर आधारित व्यवस्था का भारत पुरस्कार करता है। इस क्षेत्र में सागरी और हवाई यातायात की स्वतंत्रता तथा किसी भी प्रकार का बंधन ना होनेवाले व्यापारी व्यवहार होने चाहिए, ऐसी उम्मीद राजनाथ सिंग ने ज़ाहिर की। इसके लिए आसियान का इस्तेमाल किया जा सकता है और उसे भारत का समर्थन होगा, ऐसा भी राजनाथ सिंग ने आगे कहा।

इस क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि बनी रहें, इसके लिए भारत ने सभी देशों के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए कोशिशें शुरू कीं हैं, ऐसा बताकर, इस क्षेत्र के साथ भारत के हितसंबंध जुड़े हुए हैं, ऐसे स्पष्ट संकेत रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने दिए। उसी समय, ‘साऊथ चाइना सी’ किस संदर्भ में भारत के रक्षामंत्री ने किए बयान गौरतलब साबित हो रहे हैं। साउथ चाइना सी क्षेत्र की गतिविधियाँ इस क्षेत्र के देशों के साथ ही, इस क्षेत्र के बाहर के देशों का भी गौर फरमा रहीं हैं। भारत भी इससे चिंतित बना है, ऐसा राजनाथ सिंग ने कहा। चीन के आक्रामक कारनामें यह इस चिंता का कारण है, इसका अलग ज़िक्र राजनाथ सिंग ने नहीं किया है। लेकिन पिछले कुछ हफ्तों से दुनियाभर के प्रमुख देश इस क्षेत्र में चल रही चीन की हरकतों की खुलेआम आलोचना कर रहे हैं। इसलिए सूचक शब्दों में इस संदर्भ में भारत की भूमिका रक्षामंत्री ने रखी हुई दिख रही है।

इसी बीच कमा आतंकवादियों का नेटवर्क और कट्टरता वाज इनसे जागतिक शांति और सुरक्षा को बहुत बड़ा खतरा संभव है, इस पर राजनाथ सिंग ने गौर फरमाया। एफएटीएफ का सदस्यदेश इस नाते भारत, आतंकवादियों को मिलनेवाली निधि रोकने के लिए उत्तरदाई है। आतंकवादी संगठनों को सप्लाई किया जानेवाला पैसा रोककर इन संगठनों की आर्थिक घेराबंदी करने के लिए सभी देशों ने एकजुट करनी चाहिए, ऐसा आवाहन रक्षामंत्री ने किया। अगले हफ्ते में एफएटीएफ की बैठक संपन्न होगी और इस बैठक में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखना है या ग्रे लिस्ट से हटाना है, इसका फैसला होगा। उस पृष्ठभूमि पर, भारत के रक्षामंत्री ने, आतंकवादियों को सप्लाई की जानेवाली निधि का मुद्दा उपस्थित करके पाकिस्तान पर दबाव अधिक ही बढ़ाया दिख रहा है।

जी७ की बैठक में, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चल रहीं चीन की आक्रामक गतिविधियों का मुद्दा चर्चा में था। उसके बाद आसियान की बैठक में भारत ने, इंडो-पैसिफिक में चीन की हरकतों पर चिंता ज़ाहिर करके, इस क्षेत्र की स्थिरता के लिए ज़िम्मेदार होने के आरोपों पर मुहर लगाई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.