सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से निर्भया के अपराधियों की फांसी कायम 

नई दिल्ली  – निर्भया पर बलात्कार करनेवालों को सुनाई गई फांसी की सजा, सर्वोच्च न्यायालय ने कायम रखी है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिए फांसी के सजा पर पुनर्विचार करने के लिए इन अपराधियों ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। पर इस निर्णय पर पुनर्विचार करने के लिए दिए कारण ठोस ना होने की बात कहकर सर्वोच्च न्यायालय ने यह फांसी की सजा कायम रखी है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर देश भर में समाधान व्यक्त किया जा रहा है।

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सन २०१२ वर्ष के दिसंबर महीने में निर्भया पर सामूहिक बलात्कार के मामलों से सारा देश जूझ उठा था। निर्भया पर बलात्कार करनेवाले और उसका अंत करनेवाले इन शैतानों को किसी भी प्रकार की दया न दिखाते हुए, कठोर से कठोर सजा हो ऐसी मांग देश भर से हो रही थी। दिल्ली सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में निर्णय लेकर अपराधियों को फांसी की सजा सुनाई थी। उनमें से एक अपराधी ने कारावास में ही आत्महत्या की थी। तथा एक अल्पवयीन होने से ३ वर्ष की सजा के बाद उसकी रिहाई हुई थी।

इन अपराधियों में मुकेश, पवन गुप्ता और विनय शर्मा ने अपने फांसी की सजा पर पुनर्विचार करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। लेकिन इस अपराध में शामिल हुए अक्षय कुमार सिंह ने फांसी की सजा के विरोध में याचिका दाखिल नहीं की थी। पर सर्वोच्च न्यायालय ने इन तीनों को फांसी की सजा कायम रखी है और उस पर पुनर्विचार करने के लिए कोई भी सुयोग्य कारण नहीं दिया गया है ऐसा कहा है।

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश दीपक मिश्रा , न्यायाधीश आर.बानुमति, अशोक भूषण इनके अदालत ने यह निर्णय घोषित किया है। इस पर निर्भया के माता-पिता ने समाधान व्यक्त किया है। मुकेश, पवन गुप्ता और विनय शर्मा इन के वकील ने यह निर्णय राजनीति और माध्यमों के दबाव में आकर दिए जाने का दावा किया है। निर्भया के अपराधियों को हुई सजा सर्वोच्च न्यायालय ने कायम रखी है और उसे जल्द से जल्द कार्यान्वित किया जाएगा ऐसी मांग निर्भया की मां से की जा रही है।

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