सौदी अरब ‘एससीओ’ और ‘ब्रिक्स’ का हिस्सा बनने के लिए उत्सुक – रशियन राजदूत की जानकारी

रियाध – ‘सौदी अरब ने अपनी विदेश नीति में बदलाव किया है और सौदी ‘शांघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन’ (एससीओ) और ‘ब्रिक्स’ जैसी अंतरराष्ट्रीय संगठनों का हिस्सा बनने के लिए उत्सुक है’, ऐसा दावा सौदी में नियुक्त रशिया के राजदूत सर्जेई कोझ्लोव ने किया। इसके साथ ही सौदी की तरह ईरान को भी शामिल करने के मुद्दे पर ‘ब्रिक्स’ देशों की चर्चा जारी है, ऐसा रशिया एवं दक्षिण अफ्रीका के राजदूत का कहना है।

‘शांघाई को ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन’ संगठन का साल २००१ में गठन किया गया। राजनीतिक, आर्थिक, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, सांस्कृतिक सहयोग के आधार पर बनाए गए इस संगठन में कुल आठ सदस्य है। इनमें रशिया, चीन, भारत, कज़ाकस्तान, किरगिज़िस्तान, ताजिकीस्तान, उज़बेकिस्तान और पाकिस्तान का समावेश है। इसके अलावा चार निरीक्षक और छह सहयोगी देश इस संगठन का हिस्सा बने हैं। पिछले कुछ सालों में क्षेत्रीय सुरक्षा की पृष्ठभूमि पर ‘एससीओ’ को बड़ी अहमियत प्राप्त हुई है।

ऐसे में पश्चिमी देशों के प्रभाव में वाले संगठनों के विकल्प के तौर पर ‘ब्रिक्स को देखा जा रहा है। ब्राज़िल, रशिया, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका इन पांचों विकासशील देशों का यह संगठन है। विश्व के कूल राष्ट्रीय उत्पादकता में ब्रिक्स देशों का हिस्सा लगभग २५ प्रतिशत है। विश्व की ४० प्रतिशत जनसंख्या इन्हीं ब्रिक्स देशों में है। इसकी वजह से विश्व में सबसे अधिक मानवशक्ति भी ब्रिक्स में ही होने के मुद्दे की ओर अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

ऐसी स्थिति में पिछले कुछ सालों से सौदी अरब ने अपनी विदेश नीति में बदलाव करने की जानकारी रशियन राजदूत सर्जेई कोझ्लोव ने रशियन वृत्तसंस्था से साझा की। इस बदलती हुई विदेश नीति के तहत सौदी को ‘एससीओ’ और ‘ब्रिक्स’ जैसी अंतरराष्ट्रीय संगठनों में शामिल होने की ज़रुरत महसूस हो रही है, ऐसा कोझ्लोव ने कहा। इनमें से ‘एससीओ’ में सौदी को शामिल करने पर चर्चा शुरू हुई है और इस बहुष्ट्रीय संगठन में सौदी का समावेश होना लगभग तय होने का बयान रशियन राजदूत ने किया। ‘ब्रिक्स’ के सदस्य दक्षिण अफ्रीका के राजदूत ने भी सौदी और ईरान के ब्रिक्स में प्रवेश के मुद्दे पर चर्चा शुरू होने की बात कही।

इसी बीच, सौदी समेत तकरीबन १२ देश ब्रिक्स की सदस्यता के लिए उत्सुक होने की जानकारी रशियन विदेश मंत्री सर्जेई लैवरोव ने इस साल के आरंभ में ही प्रदान की थी। इनमें लैटिन अमरिकी, अफ्रीकी एवं खाड़ी देशों का समावेश होने का बयान लैवरोव ने किया था। इनमें से अधिकांश देश चीन के प्रभाव तले होने का दावा भी किया जा रहा है।

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