जम्मू-कश्‍मीर में सुरक्षाबलों के लिए भूमि अधिग्रहण करने के लिए नियमों में ढ़ील

नई दिल्ली – जम्मू-कश्‍मीर में तैनात सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ जैसे सुरक्षाबलों को अपनी छांवनी और अड्डे बनाने के लिए आवश्‍यक भूमि का अधिग्रहण करने में अब कोई भी कठिनाई नहीं होगी। जम्मू-कश्‍मीर में सुरक्षाबलों को भूमि का अधिग्रहण करने के लिए तय की गई प्रक्रिया और नियम अब शिथिल किए गए हैं। इसके लिए जम्मू-कश्‍मीर प्रशासन ने 50 वर्ष पहले जारी किया गया एक परिपत्र हटाया गया है। सेना के पूर्व अधिकारी एवं रक्षा विशेषज्ञ इस निर्णय का स्वागत कर रहे हैं।भूमि अधिग्रहण

बीते वर्ष जम्मू-कश्‍मीर की धारा 370 हटाने का निर्णय लिया गया। इसके बाद जम्मू-कश्‍मीर को केंद्रशासित प्रदेश घोषित किया गया। अब कुछ महीने पहले ही केंद्र सरकार ने नागरिकों के लिए बनाए गए नियमों में बदलाव लाए हैं। इसके कारण 7 से 15 वर्षों से जम्मू-कश्‍मीर में रहनेवाले लोगों को वहां का नागरिक होने का दाखिला पाना संभव किया गया है। अब तक यह दाखिला प्राप्त करने के लिए हज़ारों आवेदन आए गए हैं और इनमें से 25 हज़ार से अधिक लोगों को जम्मू-कश्‍मीर का ‘डोमिसाईल सर्टिफिकेट’ प्रदान किए जाने के समाचार प्राप्त हुए हैं।

अब सुरक्षा बलों के लिए भूमि अधिग्रहण करने के नज़रिए से नियमों में ढील दी गई है। जम्मू-कश्‍मीर में वर्ष 1971 के समय रही सरकार ने जारी किए परिपत्रक के अनुसार सुरक्षा बलों को राज्य में आवश्‍यक कारणों के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए गृह विभाग से ‘एनओसी’ प्राप्त करनी पडती थी। यह ‘एनओसी’ पाने के लिए रक्षा बलों को भी बड़ी कठिनाई हो रही थी। कई बार रक्षा बलों को प्रदान की हुई भूमि की ‘लीज’ की अवधि बढ़ाने के लिए भी राज्य सरकार से बडी देर हो जाती थी।

लेकिन अब जम्मू-कश्‍मीर को केंद्रशासित प्रदेश किए जाने के बाद और वहां से धारा 370 को हटाए जाने के बाद केंद्र सरकार के कानून का अमल हुआ है। इसके अनुसार 50 वर्ष पहले जारी किया गया परिपत्र अब हटा दिया गया है। इसके अलावा वर्ष 2013 के ‘राईट टू फेअर कम्पेन्ज़ेशन ऐण्ड ट्रान्सपरंसी इन लैण्ड ऐक्विजीशन ऐण्ड रिसेटलमेंट ऐक्ट’ लागू किया गया है। इससे रक्षा कर्मी ज़िला अधिकारी की अनुमति से भूमि का अधिग्रहण कर सकेंगे।

सेना के पूर्व अधिकारियों ने और रक्षा विशेषज्ञों ने इस निर्णय का स्वागत किया है। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए रक्षा कर्मियों की अति आवश्‍यक ज़रूरतें तुरंत पूरी करने की प्रक्रिया को भी गति प्राप्त होगी। चीन के साथ तनाव में बढ़ोतरी हो रही है और तभी चीन-पाकिस्तान की बढ़ती गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर लिया गया यह निर्णय अहम साबित होता है। रक्षाबलों को वहां पर तैनात करने के नज़रिए से लंबे समय की योजना बनानी पड़ती है। इस दृष्टीकोण से यह निर्णय अहम साबित होगा, यह बात सामरिक विश्‍लेषक कह रहे हैं।

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