‘रिज़र्व बैंक’ जल्द ही ‘ई-रुपये’ का पायलट प्रोजेक्ट शुरू करेगी

मुंबई – रिज़र्व बैंक ने शुक्रवार को ‘ई-रुपये’ का ऐलान करेनवाली कन्सेप्ट नोट जारी की। ‘सेंट्रल बैंक डिजिटल करन्सी’ (सीबीडीसी) का पायलट प्रोजेक्ट जल्द ही शुरू होगा, ऐसा इसमें कहा गया है। लेकिन, भारत की यह नई डिजिटल मुद्रा वर्तमान की मुद्रा का विकल्प नहीं होगी, बल्कि यह अतिरिक्त पेमेंट सिस्टम होगी, यह खुलासा भी रिज़र्व बैंक ने किया। इस वजह से देश की डिजिटल अर्थ व्यवस्था अधिक मज़बूत बनेगी और मनी लौन्डरिंग यानी पैसों का अवैध ढ़ंग से हस्तांतरण बंद हो जाएगा, यह विश्वास भी इस कन्सेप्ट नोट में व्यक्त किया गया है।

२०२२-२३ के वित्तीय वर्ष के लिए पेश किए गए बजट में  केंद्र सरकार ने डिजिटल मुद्रा पेश करने का ऐलान किया था। इसके अनुसार इसका पायलट प्रोजेक्ट जल्द ही शुरू किया जाएगा, ऐसा रिज़र्व बैंक ने स्पष्ट किया। शुरुआती दौर में इसका इस्तेमाल कुछ ही क्षेत्रों तक सीमित रहेगा। भविष्य में इसका दायरा बढ़ाया जाएगा, यह रिज़र्व बैंक ने कहा है। लेकिन, यह डिजिटल मुद्रा मौजूदा व्यवस्था की मुद्रा का स्थान नहीं लेगी, बल्कि इसके लिए सहायक का काम करेगी। इससे मौजूदा पेमेंट सिस्टम अधिक कार्यक्षम बनेगा, यह दावा भी रिज़र्व बैंक ने किया है।

यह नई डिजिटल मुद्रा सबको आसानी से इस्तेमाल करने योग्य और कार्यक्षम, विश्वासार्ह और सुरक्षीत होगी, यह गवाही रिज़र्व बैंक ने अपने कन्सेप्ट नोट में दी है। भारत ही नहीं, बल्कि विश्व के अन्य देश भी इसी दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। विश्व के तकरीबन ६० देशों की सेंट्रल बैंक्स डिजिटल मुद्रा के लिए पहल कर रही हैं और इनमें से कुछ देशों ने छोटे पैमाने पर इसका इस्तेमाल भी शुरु किया है। भारत भी इस मोर्चे पर कदम बढ़ा रहा है और इसे भविष्य की मुद्रा के रूप में देखा जा रहा है। इसके इस्तेमाल से डिजिटल अर्थव्यवस्था का आधार अधिक व्यापक हो सकेगा, यह विश्वास व्यक्त किया जा रहा है।

ऐसी स्थिति में डिजिटल मुद्रा को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए रिज़र्व बैंक ने यह कन्सेप्ट नोट जारी किया है। मौजूदा दौर की आधुनिक अर्थव्यवसथा की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए यह सीबीडीसी सिस्टम शुरु किया जा रहा है, ऐसा रिज़र्व बैंक ने कहा है। आरंभिक दिनों में ‘सीबीडीसी’ के दो चरण होंगे। इनमें रिटेल इस्तेमाल के लिए ‘सीबीडीसी-आर’ और होलसेल के लिए ‘सीबीडीसी-डब्ल्यू’ का इस्तेमाल होगा। आरंभिअक चरण में इसका इस्तेमाल सिर्फ कुछ ही वित्तसंस्थाएं कर सकेंगी। यह जानकारी साझा करके रिज़र्व बैंक ने आनेवाले दिनों में इसके काफी बड़े लाभ देश को प्राप्त होंगे, यह विश्वास भी व्यक्त किया है।

विशेष बात तो यह है कि, जाली मुद्रा का खतरा एवं पैसों का अवैध हस्तांतरण एवं इसके गलत इस्तेमाल को डिजिटल मुद्रा के इस्तेमाल से रोकना मुमकिन हो पाएगा। इसके अलावा मुद्रा की यह नई व्यवस्था आधुनिक दौर से मेल करेगी, यह दावा रिज़र्व बैंक की कन्सेप्ट नोट में किया गया है।

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